हकलाने का मनोवैज्ञानिक कारण क्या है | हकलाते क्यों है | हकलाने का मुख्य कारण क्या है | What is the psychological reason for stuttering
बोलने की प्रक्रिया होंठ हिलाने भर से पूरी नहीं होती है, बल्कि इसमें स्वरतन्तु, गाल, जीभ और होंठ के बीच सामंजस्य की जरूरत होती है । जब कोई व्यक्ति इन सब में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाता है, तो वह हकलाने लगता है ।
हकलाने के कारण वह किसी शब्द के पहले अक्षर पर अटक जाता है और थोड़ी देर बाद पूरा दिमाग के कई कार्यों में भी सामंजस्य होना जरूरी होता है । अगर दिमाग के शब्द बोल पाता है । उसे मां बोलना हो, तो वह म….म…. मां बोलता है ।
बोलने में और देखने का काम करने वाले हिस्से में किसी तरह की बीमारी हो जाए, तो वह ठीक से काम नहीं कर पाता है और इसके कारण व्यक्ति हकलाने लगता है । हकलाने के कारण चेहरे की मांसपेशियों द्वारा अपना काम करने के बाद भी आवाज नहीं निकलती है ।
इसकी शुरुआत किशोरावस्था में होती है । हकलाहट महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में अधिक पाई जाती है । डाक्टर इसके सही कारणों का पता लगाने में असफल रहे हैं । यह बीमारी शारीरिक विकृति या भावनात्मक परेशानी से जुड़ी है । इसको ठीक करने वाली कोई दवाई अभी तक नहीं बनी है, लेकिन इसका इलाज साइकोथैरेपी और स्पीचथैरेपी के जरिए किया जा सकता है ।