अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल | अल्फ्रेड नोबेल आविष्कार | अल्फ्रेड नोबेल की जीवनी | Alfred Bernhard Nobel Biography

अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल

अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल | अल्फ्रेड नोबेल आविष्कार | अल्फ्रेड नोबेल की जीवनी | Alfred Bernhard Nobel Biography

नोबेल पुरस्कार विश्व का महानतम पुरस्कार है । यह प्रतिवर्ष उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है, जो भौतिकी, रसायनविज्ञान, साहित्य, चिकित्साशास्त्र, अर्थशास्त्र और शान्ति के क्षेत्रों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं ।

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नोबेल पुरस्कार


प्रत्येक क्षेत्र में एक नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाता है । यदि किसी विषय में एक से अधिक व्यक्ति पुरस्कार के योग्य पाये जाते हैं तो पुरस्कार की राशि सभी व्यक्तियों में समान रूप से वितरित कर दी जाती है । इस पुरस्कार की स्थापना अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल ने की थी जिन्हें विस्फोटक विज्ञान का जन्मदाता माना जाता है ।

डायनामाइट का आविष्कार


अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल ने २५ नवंबर १८६७ को डायनामाइट नामक विस्फोटक का आविष्कार किया । इस विस्फोटक से इन्होंने इतना धन कमाया कि जब इनकी मृत्यु हुई तब उन्होंने ९० लाख डॉलर की धनराशि छोड़ी । मरते समय इन्होंने एक वसीयतनामा लिखा । इस वसीयतनामे में लिखा गया था कि इस धनराशि को बैंक में जमा करा दिया जाए और इससे प्राप्त होने वाले ब्याज को हर वर्ष भौतिक विज्ञान, रसायनशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, साहित्य और शान्ति के क्षेत्रों में विश्व में महत्त्वपूर्ण कार्य करने वाले व्यक्तियों को पुरस्कार के रूप में प्रदान किया जाए । इसे ही आज हम नोबेल पुरस्कार के नाम से पुकारते हैं ।

नोबेल पुरस्कार की शुरूआत


इस पुरस्कार का आरम्भ सन् १९०१ से किया गया । नोबेल पुरस्कार के अन्तर्गत इस धनराशि के अतिरिक्त एक स्वर्ण पदक तथा एक सर्टीफिकेट प्रदान किया जाता है ।

अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल का जन्म


अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल का जन्म स्टॉकहोम (स्वीडन) में २१ अक्टूबर १८३३ को हुआ था । इनके पिता इमानुएल नोबेल एक गरीब किसान परिवार के व्यक्ति थे । वे एक सेना इंजीनियर के पद पर आसीन थे । अपने पिता से उन्होंने इंजीनियरी के मूल सिद्धांतों को समझा ।

अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की शिक्षा


नोबेल की भी अपने पिता की अनुसंधानों में काफी दिलचस्पी थी । अपने दो बड़े भाइयों रॉबर्ट और लुडविग की भाति इनकी आरम्भिक शिक्षा भी घर में ही हुई ।

सन् १८४२ में नोबेल का परिवार स्टॉकहोम से पीटर्सबर्ग (लेनिनग्राद) अपने पिता के पास चला गया | बालक नोबेल एक दक्ष रसायनज्ञ थे और १६ वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजी, हर्मन, रूसी और स्वीडिश भाषाएं बड़े अच्छे प्रकार से बोल लेते थे ।

अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल के कार्य


सन् १८५० उन्होंने रूस छोड़ दिया । इसके बाद एक वर्ष तक उन्होंने पेरिस में रसायन शास्त्र का अध्ययन किया और चार वर्ष तक जॉन इरिक्शन की देख-रेख में संयुक्त राज्य अमरीका में अध्ययन किया । अध्ययन के पश्चात् पीटर्सबर्ग लौटने पर नोबेल ने अपने पिता की फैक्ट्री में कार्य किया । दुर्भाग्यवश १८५९ में इनके पिता की फैक्ट्री का दिवाला निकल गया ।

इस असफलता के बाद दोनों बाप बेटे स्वीडन वापस आ गए । यहां आकर नोबेल ने विस्फोटकों पर प्रयोग आरम्भ किए । स्टॉकहोम के पास होलेनबर्ग नामक स्थान पर दोनों बाप-बेटे ने अपने अनुसंधानों के लिए एक छोटा सा वर्कशाप स्थापित किया और नाइट्रोग्लिसरिन जैसा विस्फोटक पदार्थ बनाना आरम्भ किया । बड़े दुर्भाग्य की बात थी कि सन् १८६४ में इनके वर्कशाप में एक दिन भीषण दुर्घटना घटित हुई ।

नाइट्रोग्लिसरिन के विस्फोट के विस्फोट के कारण सारा वर्कशाप फट गया और इसी दुर्घटना में इनके छोटे भाई की तथा दूसरे चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गई । इस दुर्घटना के बाद स्वीडन सरकार अत्यधिक नाराज हुई और इन्हें वर्कशाप को पुनः स्थापित करने की आज्ञा नहीं दी गई ।

इसके बाद नोबेल को एक पागल वैज्ञानिक करार दे दिया गया । इस घटना के एक महीने बाद नोबेल के पिता को पक्षाघात (Paralysis) हो गया जिससे वो अपने बाकी जीवन के लिए बेकार हो गए । इससे नोबेल बिल्कुल अकेले हो गए । नोबेल ने नॉवें और जर्मनी में अपनी फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बनाई परन्तु नाइट्रोग्लिसरिन के घातक और विस्फोटक गुणों में वो कोई परिवर्तन न कर पाये ।

जो दुर्घटना नोबेल की वर्कशाप में घटित हुई थी वो अपने आप में अकेली नहीं थी । जर्मनी में नोबेल की फैक्ट्री खतरनाक विस्फोट से उड़ गई । इसके साथ-साथ पनामा का एक समुद्री जहाज भी विस्फोट का शिकार हुआ । ऐसे ही कई विस्फोट सेंट फ्रांसिसको, न्यूयार्क और आस्ट्रेलिया में हुए । अंत में बेल्जियम और फ्रांस ने अपने देश में नाइट्रोग्लिसरिन बनाने पर पाबंदी लगा दी । स्वीडन ने इसके वितरण पर और ब्रिटेन ने भी इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी । इन सब पाबंदियों से नोबेल को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा ।

सन् १८६६ में एक घटना घटित हुई । एक दिन नाइट्रोग्लिसरिन एक डिब्बे में से बाहर रिस गई । यह डिब्बा कीसलगुर (Kiesalguhr) नामक मिट्टी में पैक था । नोबेल ने देखा कि इस मिट्टी में अवशोषित हो जाने के बाद नाइट्रोग्लिसरिन को इस्तेमाल करना अधिक सुरक्षात्मक था । इस दशा में यह विस्फोटक झटके लगने पर भी नहीं फटता था । इस प्रकार नोबेल को नाइट्रोग्लिसरिन हैंडल करने का एक सुरक्षित साधन मिल गया । इस पदार्थ में अवशोषित होने पर इस विस्फोटक की विस्फोटन शक्ति केवल २५ प्रतिशत कम होती थी । इस सुरक्षित विस्फोटक का नाम नोबेल ने डायनामाइट (Dynamite) रखा ।

इसके बाद नोबेल के अनेक कारखाने विकसित होते गए । नाइट्रोग्लिसरिन के निर्माण से और बिक्री से नोबेल के भाग्य का सितारा बुलंद होता गया । सन् १८८७ में उन्होंने बैलस्टिाइट (Ballistite) नामक विस्फोटक पदार्थ खोजा । यह पदार्थ धुआं रहित नाइट्रोग्लिसरिन का पाउडर था । इस पाउडर को अनेक देशों ने बारूद के रूप में इस्तेमाल करना आरम्भ कर दिया । नोबेल ने अपने जीवन में विस्फोटकों पर १०० से भी अधिक पेटेंट प्राप्त किए थे । सारी दुनिया में उनके नाम की धूम मच गई । इन विस्फोटकों से उन्होंने अपार धन अर्जित किया ।

अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु


१० दिसंबर १८९६ को जब नोबेल की मृत्यु हुई तो उन्होंने ९० लाख डॉलर की धनराशि छोड़ी जिसका ब्याज अब हर वर्ष नोबेल पुरस्कार के रूप में दिया जाता है । ये पुरस्कार स्टॉकहोम में नोबेल की पुण्यतिथि पर वितरित किए जाते हैं । विश्व का बालक-बालक आज उनके नाम से परिचित है ।

नोबेल एकांत प्रिय व्यक्ति थे और वे जीवनभर अविवाहित ही रहे । जीवन के अधिकतर वर्षों में वे रोगग्रस्त रहे । विश्व में वो इतने प्रसिद्ध हुए कि १०२वें तत्व का नाम उन्हीं के नाम पर नोबेलियम (Nobelium) रखा गया है । स्वीडन में एक बहुत ही प्रसिद्ध संस्थान है जिसका नाम नोबेल इन्स्टीट्यूट ऑफ स्वीडन (Nobel Institute of Sweden) रखा गया है ।

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