एनरिको फर्मी जीवनी | एनरिको फर्मी का जीवन परिचय | एन्रीको फर्मी | Enrico Fermi Discovered

एनरिको फर्मी | एन्रीको फर्मी | Enrico Fermi Discovered

एनरिको फर्मी को नाभिकीय क्रियाओं (Nuclear Reactions) की खोज का जन्मदाता कहा जाता है । वास्तव में वे परमाणु ऊर्जा के जन्मदाता कहे जाते हैं क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले नाभिकीय श्रृंखला प्रक्रियाओं का आविष्कार किया था ।

एनरिको फर्मी का जन्म


एनरिको फर्मी का जन्म रोम में २९ सितंबर १९०१ मे हुआ था ।

एनरिको फर्मी की शिक्षा


एनरिको फर्मी बहुत ही प्रतिभाशाली छात्र थे । उन्होंने २१ वर्ष की उम्र में ही पीसा (Pisa) विश्वविद्यालय से भौतिकी में एक्स किरणों के क्षेत्र में डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त कर ली थी । सन् १९२७ में वे रोम विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्राध्यापक नियुक्त किए गए। वे इतने योग्य व्यक्ति थे कि सन् १९२९ में उन्हें इटली अकादमी का सदस्य चुना गया । यह इटली का महानतम सम्मान है ।

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एनरिको फर्मी के कार्य


सन् १९३४ में १० वर्ष तक कठिन परिश्रम करके उन्होंने एक मूलभूत खोज की । उन्होंने पता लगाया कि जब तत्वों पर धीमी गति के न्यूट्रॉनों की बौछार की जाती है तो पदार्थ रेडियो-धर्मी हो जाता है तथा इससे विकिरण होने लगता है । इस प्रक्रिया में एक तत्व दूसरे तत्व में बदल जाता है ।

सन् १९३३ में उन्होंने न्यूट्रोनो नामक मूल पदार्थ की परिकल्पना की । न्यूट्रॉनों द्वारा बौछार करके फर्मी ने ८० नए कृत्रिम नाभिक (Nucleus) बनाए ।

उस समय इटली की परिस्थितियां काफी खराब चल रही थी क्योंकि यह देश मुसोलिनी के चंगुल में जकड़ा हुआ था । इसका एनरिको फर्मी पर सीधा प्रभाव पड़ा क्योंकि उनकी पत्नी यहूदी थी । सौभाग्य की बात थी कि उन्हीं दिनों उन्हें अमरीका के कोलम्बिया विश्वविद्यालय में एक भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया । फर्मी अपने परिवार के साथ अमरीका चले गए और कभी भी इटली लौटकर नहीं आए ।

सन् १९३८ में उन्हें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया ।

सन् १९३९ में वे कोलम्बिया विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर बन गए और सन् १९४४ में उन्होंने अमरीका की नागरिकता ले ली ।

फर्मी के जीवन की एक घटना बड़ी ही प्रसिद्ध है । यह घटना इस बात को प्रदर्शित करती है कि अपने प्रयोगात्मक कार्यों में वे पूरे मन से लगे रहते थे । एक बार की बात है कि फर्मी अपनी प्रयोगशाला के एक कमरे से दूसरे कमरे में कोई यंत्र ले जा रहे थे और एक प्रयोग चालू करने जा रहे थे । तभी कोई अनजान व्यक्ति उनसे मिलने के लिए आया । चूंकि वह प्रोफेसर फर्मी को नहीं जानता था, उसने उन्हीं से पूछा कि मैं प्रोफेसर फर्मी से मिलना चाहता हूं । क्या आप बता सकेंगे कि वे कहां मिलेंगे ? प्रोफेसर फर्मी का मस्तिष्क अपने प्रयोग की तरफ लगा हुआ था । उन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि आप थोड़ी देर कमरे में बैठिये, मैं आपको प्रोफेसर फर्मी से मिला दूंगा । वे यह कह कर दूसरे कमरे में अपना प्रयोग चालू करने के लिए चले गए । अपना प्रयोग चालू करने के बाद वे उस व्यक्ति के पास आए और उससे कहा कि कहिए मैं ही फर्मी हूं । वह व्यक्ति विज्ञान में उनकी तन्मयता देखकर आश्चर्यचकित रह गया । इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि जितनी दिलचस्पी उन्हें अपने विज्ञान के कार्यों में थी उतनी किसी दूसरे में नहीं ।

कोलम्बिया विश्वविद्यालय में उन्होंने नियंत्रित नाभिकीय श्रृंखला प्रक्रियाओं पर कार्य आरम्भ किया । वे न्यूट्रॉनों द्वारा यूरेनियम के नाभिकों को तोड़ने में सफल हो गए । इसी आधार पर कई वर्षों के महान परिश्रम के बाद सन् १९४२ में उनके निर्देशन में कागो में पहली नाभिकीय भट्टी बनाई गई । इस भट्टी में परमाणु विखण्डन द्वारा ऊर्जा पैदा की गई थी । इससे सारे विश्व में तहलका मच गया । लोगों ने तो यहां तक कहा कि इटली का यह नाविक अपने आविष्कारों द्वारा एक नई दुनिया में पहुंच गया है ।

इन्हीं दिनों ओटोहान (Otto Hann) व फ्रिज स्ट्रासमैन (Fritz Strassmann) इस बात को सिद्ध करने की कोशिश कर रहे थे कि एनरिको फर्मी यूरेनियम के नाभिकों को न्यूट्रॉन बौछार द्वारा छोटे-परमाणुओं में तोड़ने का प्रयास कर रहा है । फर्मी के समूह में काम करने वाले वैज्ञानिकों ने आइन्स्टीन पर इस बात का दबाव डाला कि वे राष्ट्रपति रूजवेल्ट को एक पत्र लिखें और उन्हें बताएं कि नाभिकीय विखण्डन द्वारा एक शक्तिशाली बम का निर्माण किया जा सकता है और हो सकता है कि जर्मनी के वैज्ञानिक शायद इस प्रकार के विकास में लगे हुए हों । राष्ट्रपति रूजवेल्ट परमाणु बम विकसित करने के सुझाव पर सहमत हो गए । इस कार्य के लिए बहुत सारा धन मंजूर कर दिया गया । गुप्त रूप से फर्मी उसके सहयोगियों ने परमाणु बम विकसित करने के लिए कार्य करना आरम्भ किया ।

इस कार्य के लिए मेनहेटन प्रोजेक्ट पूरा हुआ । इसके बाद फर्मी परमाणु बम बनाने के लिए लॉस अलामोस चले गए । १६ जुलाई, १९४५ को परमाणु बम का सफल परीक्षण सम्पन्न हुआ और दूसरे विश्व युद्ध में इन बमों को जापान के दो नगरों पर गिराया भी गया ।

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद फर्मी शिकागो विश्वविद्यालय में आ गए । वहां उन्हीं केनाम पर नाभिकीय भौतिकी का अध्ययन करने के लिए एक संस्थान का निर्माण किया गया, जो आज भी अनेक क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य कर रहा है ।

एनरिको फर्मी को प्राप्त उपाधि


एनरिको फर्मी अपने समय के माने हुए अध्यापक एवं अन्वेषक थे । उन्होंने भौतिकी के विषयों पर कई पुस्तकें भी लिखी हैं । फर्मी की वैज्ञानिक उपलब्धियां इतनी अधिक थी कि उन्हें १९ मार्च, १९४६ को मैडल ऑफ मेरिट ऑफ द कांग्रेस ऑफ द युनाइटिड स्टेट्स प्रदान किया गया ।

एनरिको फर्मी की मृत्यु


जब वे अपनी ख्याति के उच्चतम शिखर पर थे तभी ५३ वर्ष की आयु में २८ नवंबर १९५४ को शिकागो मे उनका देहान्त हो गया । उनके सम्मान में एक तत्व का नाम फर्मियम (Fermium) रखा गया । उनके सम्मान में फर्मी पुरस्कार की स्थापना की गई, जिसे प्रतिवर्ष विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण कार्य के लिए अमरीकी वैज्ञानिकों को दिया जाता है । आज विश्व के अनेक देशों में नाभिकीय भट्टियां (Nuclear Reactors) हैं, जो भांति-भांति के समस्थानिकों (Isotopes) बनाने और विद्युत उत्पादन के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं । इन सभी नाभिकीय भट्टियों का रूप थोड़ा-बहुत अवश्य बदल गया है । लेकिन मूल सिद्धांत अभी भी वही है, जो फर्मी ने प्रतिपादित किया था ।

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