मैक्स प्लांक का क्वांटम सिद्धांत | मैक्स प्लांक जीवनी | Max Planck Biography

मैक्स प्लांक का क्वांटम सिद्धांत | मैक्स प्लांक जीवनी | Max Planck Biography

क्वांटम सिद्धांत का प्रतिपादन भौतिकी के इतिहास में एक युग परिवर्तनकारी घटना थी । इसका अन्वेषण जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक मैक्स प्लांक ने किया था । इनका पूरा नाम मैक्स कार्ल अर्नस्ट लुडविग प्लांक (Max Karl Ernst Ludwig Planck) था ।

क्वांटम सिद्धांत | Max Planck Atomic Theory


दिसम्बर, १९०० में इस वैज्ञानिक ने पदार्थ और विद्युतचुम्बकीय विकिरणों के बीच ऊर्जा के विनमय से सम्बन्धित एक सिद्धांत प्रस्तुत किया जो कुछ समय बाद क्वांटम सिद्धांत के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।

यह सिद्धांत चिरसम्मत भौतिकी (Classical Physics) से भिन्न था । आरम्भ में इसने भौतिक विज्ञान को ही प्रभावित किया लेकिन बाद में जीव-शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र और इन्जीनियरी जैसे क्षेत्रों में भी क्रान्ति पैदा कर दी ।

मैक्स प्लांक के विषय में कुछ जानने से पहले उनके द्वारा दिए गए क्वांटम सिद्धांत के विषय में कुछ जानना जरूरी है । जनसामान्य के शब्दों में इस सिद्धांत को समझना बहुत मुश्किल है लेकिन फिर भी हम यह कह सकते हैं कि पदार्थ और विद्युत चुम्बकीय विकिरणों के बीच ऊर्जा-विनमय कुछ विभक्त बण्डलों (डिस्क्रीट पैकेजेज) में ही होती है ।

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फोटोन


प्रत्येक बण्डल में ऊर्जा की मात्रा विकिरण की आवृत्ति पर निर्भर करती है । ऊर्जा के इन बण्डलों को क्वांटम कहते हैं । क्वांटम लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘मात्रा । प्रकाश के एक क्वांटम को हम फोटोन (Photon) कहते हैं।

मैक्स प्लांक का क्वांटम सिद्धांत इतना जटिल था कि शुरू-शुरू में इसके महत्त्व को पूरी तरह समझने वाले प्रथम व्यक्ति अल्बर्ट आइन्स्टीन थे । इस सिद्धांत को आधार मानकर उन्होंने फोटो इलेक्ट्रिक इफैक्ट (Photo Electric Effect) की विवेचना की ।

एक समय ऐसा भी था जब प्लांक के क्वांटम सिद्धांत को वैज्ञानिक बिल्कल ही मानने को तैयार न थे । बाद में वह समय भी आया जब वैज्ञानिकों ने यह मान लिया कि क्वांटम सिद्धांत ही एक ऐसा सिद्धांत है जो भौतिक विज्ञान की हर गुत्थी को सुलझा सकता है । इस सिद्धांत को ठोस आधार देने वाले वैज्ञानिक थे आइन्स्टीन, डीब्रोगली, रुदरफोर्ड, डैविसन, पौली, हैजिनवर्ग, स्रोडिन्गर आदि ।

मैक्स प्लांक का जन्म


जर्मनी में २३ अप्रैल १८५८ को जन्मे इस वैज्ञानिक ने इस सिद्धांत को प्रस्तुत करके विश्व में सनसनी मचा दी थी । क्वांटम सिद्धांत के प्रवर्तक मैक्स प्लांक का जन्म जर्मनी के कील नामक स्थान पर हुआ था । इनके पिता जूलियस विलहेल्म कील विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर थे । बाद में वे गौटिनजन विश्वविद्यालय में आ गए ।

मैक्स प्लांक की शिक्षा


प्लांक की शिक्षा मुख्य रूप से म्यूनिख और बर्लिन विश्वविद्यालयों में हुई । बर्लिन विश्वविद्यालय में इन्होंने विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों किरचौफ (Kirchoff) और हैल्महोल्ज (Helmholtz) की देख-रेख में काम किया ।

सन् १८७९ में उन्होंने म्यूनिख विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की । वे इसी विश्वविद्यालय में सन् १८०० से सन् १८८५ तक भौतिकी पढ़ाते रहे । प्लांक के विचारों में जो क्रान्तिकारी विचार आए उनके लिए मुख्य रूप से किरचौफ जिम्मेदार थे ।

सन् १८८५ के बाद वे कील विश्वविद्यालय में ऐसोसिएट प्रोफेसर बना दिए गए । वहां इन्होंने चार वर्ष तक कार्य किया । इसके बाद सन् १८८९ में उनकी नियुक्ति बर्लिन विश्वविद्यालय में किरचौफ के स्थान पर भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में हो गई । इस पद पर वे अवकाश प्राप्त करने तक कार्य करते रहे ।

किरचौफ द्वारा दी गई प्रेरणा से उन्होंने ऊष्मार्गातकी (Thermodynamics) के क्षेत्र में काम करना आरम्भ किया । इस विषय पर छपे कुछ शोध पत्रों ने उनकी रुचि इस क्षेत्र में और भी बढ़ा दी । ऊष्मा गतिकी के क्षेत्र में उनके अनेक शोध पत्र प्रकाशित हुए ।

ऊष्मागतिकी के अध्ययनों के साथ-साथ वे विकिरण सम्बन्धी समस्याओं का भी अध्ययन करते रहे । अपने इन्हीं अध्ययनों में उन्हें प्रकाश के विभिन्न रंगों में ऊर्जा के वितरण की समस्या पर अनुसंधान करने की प्रेरणा मिली । उन्होंने ब्लैक-बौडी (Black Body) से निकलने वाले विकिरणों के अध्ययन और प्रयोगों से ऐसे परिणाम प्राप्त किए, जो प्रचलित भौतिकी के परिणामों से भिन्न थे । बाद में अपने अभूतपूर्व प्रयोगों द्वारा उन्होंने ऊर्जा और विकिरण की आवृत्ति के बीच एक सम्बन्ध स्थापित करने में सफलता प्राप्त की ।

सन् १९०० में प्रकाशित उनका शोध पत्र क्रान्तिकारी क्वाटम सिद्धांत का आधार बना । उन्होंने स्पष्ट किया कि जो विकिरण हमें निरन्तर निकलते दिखते हैं, वे ऊर्जा के अत्यन्त सूक्ष्म पैकिटों के रूप में निकलते हैं ।

मैक्स प्लांक को प्राप्त सम्मान


मैक्स प्लांक को अनेक सम्मान प्राप्त हुए । सन् १९२६ में उन्हें रॉयल सोसायटी का विदेशी फैलो मनोनीत किया गया और सन् १९२८ में उन्हें रॉयल सोसायटी कोप्ले पदक प्रदान किया गया था । सन् १९१८ में उन्हें क्वांटम सिद्धांत के लिए भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया ।

सन् १९२६ में सेवामुक्त होने के बाद भी प्लांक ने विज्ञान की सेवा करना नहीं छोड़ा । वे विज्ञान प्रसार की कैंसर विलहेल्म सोसायटी के अध्यक्ष नियुक्त किए गए । बाद में जर्मनी की स्थितियां बहुत खराब हो गई । वहां हिटलरशाही छा गई । जर्मनी में नाजी सरकार स्थापित हो जाने पर प्लांक को अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ा । वास्तव में यह उनके जीवन का बहुत ही कष्टदायक समय था । अपना देश और देश में विज्ञान की सेवा करना उन्हें बहुत अच्छा लगता था । वे नाजी सरकार की यहूदी नीति के कट्टर विरोधी थे । उन्हें अपने जीवन में सबसे बड़ा सदमा सन् १९४४ में लगा जब उनके लड़के को हिटलर की हत्या करने के असफल प्रयास के लिए फांसी पर चढ़ा दिया गया । इससे उनका मन रो उठा । द्वितीय विश्वयुद्ध के अन्तिम सप्ताहों के दौरान उनका घर बम वर्षा में नष्ट हो गया था । इससे उन्हें बहुत कठिनाई हुई ।

मैक्स प्लांक की मृत्यु


४ अक्तूबर, १९४७ को गाटिनजन में इस युग परिवर्तनकारी वैज्ञानिक का देहावसान हो गया ।

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