थॉमस अल्वा एडिसन हिस्ट्री | थॉमस अल्वा एडिसन की पूरी कहानी | थॉमस अल्वा एडिसन पर निबंध | Thomas Alva Edison in Hindi

थॉमस अल्वा एडिसन हिस्ट्री | थॉमस अल्वा एडिसन की पूरी कहानी | थॉमस अल्वा एडिसन पर निबंध | Thomas Alva Edison in Hindi

सन् १८८९ में पेरिस में एक विशाल अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था जिसमें पूरे एक विभाग में एक ही व्यक्ति थामस एल्वा एडीसन के आविष्कार और तकनीकी विकासों का प्रदर्शन किया गया था । इस महान आविष्कारक को पेरिस में आमंत्रित किया और उनका महान सम्मान के साथ स्वागत किया गया । एडीसन के इस सम्मान समारोह में एक वक्ता ने तो यहां तक कहा था कि इन्होंने इतनी अधिक संख्या में आविष्कार किए हैं कि शायद अब दूसरे लोगों के आविष्कार करने के लिए कुछ शेष ही नहीं रह गया है ।

वास्तविकता तो यह है कि इस अकेले व्यक्ति ने एक हजार से भी अधिक पेटेंट प्राप्त किए । मानव विकास के इतिहास में अब तक कोई भी वैज्ञानिक ऐसा नहीं हुआ है, जिसने एडीसन के बराबर आविष्कार किए हो ।

थॉमस अल्वा एडिसन की बचपन की कहानी


थामस एल्वा एडीसन का जन्म ११ फरवरी १८४७ मिलान में हुआ था । इनके पिता ने हर प्रकार के व्यवसाय करने का प्रयास किया लेकिन उन्हें किसी में भी सफलता न मिली । एडीसन बचपन में बहुत ही कमजोर था और उनका व्यक्तित्व बहुत ही जटिल था । लेकिन इनका मस्तिष्क सदा प्रश्नों से भरा ही रहता था । वह किसी भी चीज को तब तक नहीं मानते थे जब तक कि उसका स्वयं परीक्षण न कर लें ।

इस प्रकार के दृष्टिकोण के कारण ही इन्हें स्कूल से निकाल दिया गया । इनके अध्यापक ने कहा था कि इस लड़के का दिमाग बिल्कुल खाली है । स्कूल से निकाले जाने के बाद इन्हें इनकी मां ने, जो स्वयं एक अध्यापिका थी,पढ़ाया।

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१० साल की उम्र में ही इन्होंने अपने घर के तहखाने में एक प्रयोगशाला बना ली थी । अपने प्रयोगों के लिए जब इन्हें अधिक धन की आवश्यकता हुई तो इन्होंने ग्रांड ट्रंक रेलवे पर चलती हुई रेलगाड़ियों में अखबार, टाफी बेचना आरम्भ कर दिया । इन्होंने यह कार्य लगभग एक वर्ष तक किया और इसी अवधि में एक साधारण किस्म का टेलीग्राफ भी बनाया ।

सन् १८६१ में उत्तर और दक्षिण के बीच में युद्ध छिड़ गया । लोगों की उत्सुकता थी कि उन्हें युद्ध के विषय में समाचार जल्दी से जल्दी मिलें । इस आवश्यकता को देखते हुए एडीसन ने एक समाचार पत्र छापने की योजना बनाई । उन्होंने १२ डॉलर में एक पुराना छापाखाना खरीदा और उसे ट्रेन में ही लगा दिया । कुछ कागज खरीदकर उन्होंने समाचार पत्र छापना आरम्भ कर दिया । इस समाचार पत्र का नाम था ग्रांड ट्रंक हैरल्ड (Grand Trunk Herald)। यह विश्व का पहला समाचार पत्र था जो एक रेलवे ट्रेन में छापा जाता था और वहीं से बांटा जाता था ।

इस समाचार पत्र के लगभग ४०० खरीदार थे । इसी अवधि में इन्होंने रेलगाड़ी के डिब्बे में एक छोटी सी प्रयोगशाला भी बना ली थी, जिसमें यह अपने खाली समय में कुछ न कुछ प्रयोग करते रहते थे ।

इन्हीं दिनों एडीसन के साथ एक दुर्घटना घटित हुई जिसमें ये बहरे हो गए । एक दिन ये अखबार बेचने के लिए ट्रेन से नीचे उतरे और इतनी ही देर में रेलगाड़ी चल दी । एडीसन को जब रेलगाड़ी चलने का बोध हुआ तो वे उसके पीछे दौड़े । तभी रेलवे के एक कर्मचारी ने इन्हें पकड़ के खींचा । इनके हाथों में अखबार थे । इसलिए इन्हें कानों के बल ही खींचा जा सका । कुछ ही दिनों में एडीसन को बोध हुआ कि उनकी श्रवणशक्ति क्षीण होने लगी है । यही उनके जीवनभर बहरे होने की शुरूआत थी ।

एक दिन इनकी रेल के डिब्बे वाली प्रयोगशाला में आग लग गई । इससे रेलवे अधिकारी बहुत ही नाराज हुए और इनकी प्रयोगशाला के सभी वैज्ञानिक उपकरण और रसायन रेल के डिब्बे से बाहर फेंक दिए गए । इसके बाद रेल में अखबार बेचने के लिए उन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया ।

सन् १८६२ की बात है जब इन्होंने अपनी जान पर खेलकर स्टेशन मास्टर के बच्चे को एक रेल दुर्घटना में मरने से बचाया । इस बात से स्टेशन मास्टर बहुत प्रसन्न हुआ । उसके पास धन के रूप में तो कुछ देने को था नहीं, लेकिन उसने एडीसन को टेलीग्राफी सिखाने का वचन दिया । एडीसन ने इस व्यक्ति से टेलीग्राफी सीखी और सन् १८६८ में उन्होंने अपना टेलीग्राफ पर प्रथम पेटेंट कराया । उसी वर्ष उन्होंने वोट रिकॉर्ड करने की मशीन का आविष्कार किया । इसके अगले वर्ष वे न्यूयार्क चले गए । वहां पर भी उन्होंने कुछ समय गरीबी में गुजारा, लेकिन कुछ दिन बाद इन्हें स्टॉक एक्सचेंज के टेलीग्राफ ऑफिस में नौकरी मिल गयी ।

उन्होंने अपना टेलीग्राफ उपकरण एक्सचेंज के प्रेसीडेंट को इस आशा में भेंट किया कि उन्हें इसके २००० डॉलर मिल जायेंगे लेकिन एक्सचेंज का प्रेसीडेंट उनके इस टेलीग्राफ उपकरण से इतना प्रभावित हुआ कि उसने एडीसन को इसके ४० हजार डॉलर दिए । यहीं से उनके सौभाग्य का आरम्भ हुआ ।

सन् १८७६ में न्यूजर्सी के मैनलो पार्क में इन्होंने अपनी प्रयोगशाला स्थापित की । वहां इन्होंने इतने अनुसंधान किए कि लोग इन्हें मैनलो पार्क का जादूगर कहने लगे ।

सन् १८७७ में एडीसन ने ग्रामोफोन का आविष्कार किया । इसी प्रयोगशाला में सन् १८७९ में एडीसन ने विद्युत बल्ब का आविष्कार किया । नववर्ष के उपलक्ष में सारी सड़क को एडीसन द्वारा खोजे गए बल्बों से सजाया गया और इस सजावट को देखने के लिए विश्वभर के संवाददाता आये । जब ये अपने विद्युत बल्ब पर कार्य कर रहे थे तभी इन्होंने तापायनिक उत्सर्जन (Thermionic Emission) के सिद्धांत का आविष्कार किया और बाद में इसी सिद्धांत पर इलेक्ट्रॉनिक वाल्व बनाये गए ।

सन् १८८७ में वे न्यूजर्सी के वैस्ट ओरेंज नामक स्थान पर बनी प्रयोगशाला में चले गए, जहां से मानो नये-नये आविष्कारों की एक अटूट धारा बह निकली ।

एडीसन ने एक मशीन का आविष्कार किया, जिसके आधार पर बाद में रेमिंगटन टाइप राइटर विकसित किया गया । इन्होंने एक विद्युत से चलने वाला पेन भी खोजा, जो बाद में मिमोग्राफ (Mimeograph) के रूप में विकसित हुआ ।

सन् १८८९ में उन्होंने चलचित्र कैमरा भी विकसित किया । सन् १९१२ में इन्हें अपने पुराने सहयोगी टेस्ला (Tesla) के साथ नोबेल पुरस्कार मिलने को था लेकिन टेस्ला अपना नाम एडीसन के साथ जोड़ना नहीं चाहते थे । इसलिए ये दोनों ही वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार से वंचित रह गए ।

अपने जीवन के अंतिम दशक में वे तकनीकी युग के जादूगर के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे । वे जीवन की अंतिम सांसों तक (१८ अक्तूबर, १९३१) भी नयी चीजें खोजने में लगे रहे ।

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