जेम्स क्लर्क मैक्सवेल जीवनी | मैक्सवेल के नियम | जेम्स क्लर्क मैक्सवेल | James Clerk Maxwell | James Clerk Maxwell in Hindi | James Clerk Maxwell Inventions

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल जीवनी | मैक्सवेल के नियम | जेम्स क्लर्क मैक्सवेल | James Clerk Maxwell | James Clerk Maxwell in Hindi | James Clerk Maxwell Inventions

प्रकाश के वास्तविक रूप को समझ पाना न्यूटन के समय से ही वैज्ञानिकों के लिए एक जटिल गत्थी रहा था । इसके लिए विभिन्न वैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न अवधारणाएं प्रस्तुत की थीं । किसी ने प्रकाश की व्याख्या कणों के रूप में की तो किसी ने इसे तरंगों के रूप में व्याख्यायित किया । अधिकतर वैज्ञानिकों ने प्रकाश को चलने के लिए ईथर जैसे, माध्यम की कल्पना की ।

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल जीवनी से पहले प्रकाश को समझने के लिए जितने भी सिद्धांत प्रस्तुत किए गए, वे सब किसी न कसी रूप में अधूरे ही थे । इस गुत्थी को सुलझाया ब्रिटेन के वैज्ञानिक जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने ।

उन्होंने प्रकाश का विद्यत चुम्बकीय सिद्धांत प्रतिपादित किया जो सभी प्रयोगों की कसौटी पर खरा उतरा । अपने इस सिद्धांत के द्वारा ही जेम्स क्लर्क मैक्सवेल जीवनी विश्व के महानतम वैज्ञानिकों की श्रेणी में आ गए ।

कौन जानता था कि गांव में १३ जून १८३१ को जन्मा एक सीधा-सादा बालक एक दिन विज्ञान का ऐसा सिद्धांत प्रस्तुत करेगा, जो विश्व भर में उसके नाम का डंका बजा देगा और भौतिकी की अनेक समस्याओं का समाधान कर देगा । जेम्स क्लर्क मैक्सवेल जीवनी बचपन में बहुत ही सीधे-सादे थे और साधारण कपड़े पहनते थे । इसलिए उनके सहपाठी उन्हें ‘दफती’ (मूर्ख) कहकर चिढ़ाते थे । इनका जन्म ब्रिटेन के एडिनबर्ग नामक स्थान में हुआ था । इनके पिता ग्लैनेयर एक धनी व्यक्ति थे । दर्भाग्यवश जब इनकी उम्र केवल आठ वर्ष की ही थी तभी उनकी मां की मृत्यु हो गई । मां का साया उठ जाने के बाद इनकी देख-रेख उनके पिता को ही करनी पड़ी ।

बचपन से ही इनको प्रकृति से विशेष लगाव था । इन्हें झील, पहाड़ियों और झरनों को देखने का बड़ा शौक था । प्रकृति के रंग-बिरंगे दृश्यों को देखकर वे उनमें डूब जाते थे और उनके विषय में कुछ न कछ सोचते रहते थे । निश्चय ही प्रकृति के इन रंग-बिरंग दृश्यों ने उनकी प्रतिभा को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई । शायद यह प्रकृति का ही उपहार था कि आगे चलकर उन्होंने विविध रंगों का एक समीकरण में बांधन में सफलता प्राप्त की ।

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विद्वता के लक्षण इस वैज्ञानिक में किशोरावस्था में ही प्रकट होने लगे थे । १५ वर्ष की उम्र में ही इन्होंने काटीशियन बोक्स (Cartesian Oval) बनाने की एक यांत्रिक विधि खोज निकाली थी । काटीशियन ओवल ज्यामिति में एक विशेष प्रकार का वक्र होता है । इस यांत्रिक विधि से सम्बन्धित उन्होंने एक शोध पत्र तैयार किया जिसे उन्होंने रॉयल सोसायटी के समक्ष पढ़ा था ।

१८ वर्ष की उम्र में उन्होंने रोलिंग कर्व और लचीले ठोसों की साम्यवस्था के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अनुसंधान किए । इन विषयों पर लिखे शोध पत्र भी इन्होंने रॉयल सोसायटी के समक्ष प्रस्तुत किए थे । इन्होंने शनि के छल्लों से सम्बन्धित एक सनसनीखेज निबन्ध लिखा था । इसके लिए इन्हें ‘एडम पुरस्कार’ प्रदान किया गया ।

मैक्सवेल की प्रतिभा का वास्तविक विकास तब हुआ जब वे स्कॉटिश वैज्ञानिक ‘निकोल’ के सम्पर्क में आए । वास्तव में निकोल इनके लिए महान गुरु सिद्ध हुए । निकोल द्वारा बनाए निकोल प्रिज्म पर इन्होंने शोध कार्य प्रारम्भ किया, जिससे शोध करने की इनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति का अत्यधिक विकास हुआ । उन्हीं के साथ इन्होंने सन् १८५५ में वर्णान्धता (Colour Blindness) पर शोध पत्र प्रकाशित किए ।

मैक्सवेल की सबसे महत्त्वपूर्ण खोज थी – प्रकाश का विद्यत-चम्बकीय सिद्धांत । इस सिद्धांत पर कार्य करने की प्रेरणा उन्हें माइकल फैराडे से मिली थी । माइकल फैराडे को स्वयं यह अहसास हो गया था कि प्रकाश एक विद्यत-चुम्बकीय घटना है लेकिन अधिक शिक्षित न होने के कारण वे इसका कोई गणितीय आधार प्रस्तुत न कर पाए ।

मैक्सवेल ने प्रकाश की विद्युत चुम्बकीय प्रवृत्ति को समझने के लिए अनेक प्रयोग किए और फिर इसे गणितीय रूप में प्रस्तुत किया । इस विषय से सम्बन्धित उन्होंने अपने परिणाम ‘डायनामिकल थ्योरी ऑफ इलेक्ट्रोमैगनेटिक फील्ड’ (Dynamical Theory of Electromagnetic Field) के नाम से प्रकाशित किए ।

इसके आठ वर्ष बाद उन्होंने इसी विषय पर एक महान ग्रन्थ ‘ट्रिटाइज ऑन इलेक्ट्रीसिटी एण्ड मैग्नेटिज्म’ (treatise on electricity and magnetism)लिखा ।

जेम्स क्लर्क मैक्सवेल की विद्यव-चम्बकीय तरंगे ईथर के लचीले माध्यम से संचरित होती थीं । बाद में ईथर माध्यम की संकल्पना निराधार सिद्ध हो गई लेकिन इनका विद्युत चुम्बकत्व सिद्धांत आज भी हर कसौटी पर सत्य उतरता है ।

विद्यत चुम्बकीय सिद्धांत के अतिरिक्त इन्होंने एक चकती का निर्माण किया जो मैक्सवेल चकती के नाम से प्रसिद्ध हुई । इन्होंने गैसों का गतिज ऊर्जा सिद्धांत औसत सक्त पथ तथा मैक्सवेल-वोल्ट्जमैन साख्यिकी पर अनेक कार्य किए । इन्होंने विश्व प्रसिद्ध कैम्ब्रिज की कैवण्डिश प्रयोगशाला में कार्य किया । वे केम्ब्रिज में विश्व के प्रथम कैवेण्डिश प्रोफेसर नियुक्त हुए । विज्ञान को जनसाधारण तक पहुंचाने के लिए अनेक प्रयोग किए क्योंकि उनकी दृढ मान्यता थी कि वास्तविक विज्ञान वही है, जो सबके हित के लिए हो ।

मैक्सवेल विश्व-प्रसिद्ध वैज्ञानिक तो थे ही साथ ही साथ उन्हें तैरने, घुड़सवारी करने और जिम्नास्टिक में भी अच्छी दक्षता प्राप्त थी । वे अच्छी कविताएं भी कर लेते थे ।

विज्ञान की सेवा करते हुए महान प्रतिभावाला यह वैज्ञानिक ५ नवंबर १८७९ में भगवान को प्यारे हो गया । यद्धपि दुनिया में आज जेम्स क्लर्क मैक्सवेल नहीं है लेकिन उनके द्वारा दिया गया विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत हमेशा ही चलता रहेगा ।

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