उच्छिष्ट पिशाच यंत्र | धन रक्षा यंत्र | क्रोध शान्तिकरण यंत्र | महाशत्रु वशीकरण यंत्र | कामिनी सौभाग्यवर्द्धक यंत्र | uchchhisht pishaach yantr | dhan raksha yantr | krodh shaantikaran yantr | mahaashatru vasheekaran yantr | kaaminee saubhaagyavarddhak yantr

उच्छिष्ट पिशाच यंत्र | धन रक्षा यंत्र | क्रोध शान्तिकरण यंत्र | महाशत्रु वशीकरण यंत्र | कामिनी सौभाग्यवर्द्धक यंत्र | uchchhisht pishaach yantr | dhan raksha yantr | krodh shaantikaran yantr | mahaashatru vasheekaran yantr | kaaminee saubhaagyavarddhak yantr

उच्छिष्ट पिशाच यंत्र | धन रक्षा यंत्र


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प्रायः सभी स्थानों में धन के लोभी उचक्के पाये जाते हैं । जिनका कार्य ही किसी न किसी प्रकार लोगों का धन हथिया लेना होता है । अतः उन व्यापारियों को जिनको प्रायः देशावरों में माल आदि की खरीद के लिये जाना होता है, अपने धन की रक्षा के लिये इस यन्त्र का प्रयोग करें तो निश्चय ही इस यन्त्र के प्रभाव से वे उचक्के-बदमाश आपका धन कदापि हरण न कर सकेंगे ।

यन्त्र निर्माण विधि यह है कि अपने खून से भोजपत्र के ऊपर इस यन्त्र को लिख बीच में ह्रीं के नीचे साध्य व्यक्ति का नाम लिखकर पुष्प इत्यादि से विधि पूर्वक पूजन करके ‘ओम् आकर्षय स्वाहा’ इस मन्त्र को पढ़कर यन्त्र के टुकड़े कर मार्ग में डाल देवें, तो उक्त मार्ग से जाने वाले दुष्टजन वश में हो जायेंगे और साधक की चाह करके भी किसी प्रकार की हानि पहुँचाने में समर्थ न होंगे और साधक का धन एवं प्राण सुरक्षित रहेंगे ।

क्रोध शान्तिकरण यंत्र


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कदाचित् आपके मित्र या बान्धव आप से किसी बात पर कुपित हो जायँ तो उनका कोप शान्त करने के लिये आप इस शिवजी के मुखारविन्द से निकले हुये अद्भुत यन्त्र को ताड़ के पत्र पर गोरोचन की स्याही बना लौह लेखनी से लिख कुम्हार की मिट्टी में रख ‘अक्रोधनः सत्यवादी जमदग्नि दृढ़व्रतः । रामस्य जनकः साक्षात् सत्त्वमूर्ते नमोऽस्तु ते।।’ मन्त्र द्वारा विधिवत् पूजन करे तथा इसी प्रकार सात दिवस तक यन्त्र का पूजन करके किसी वेदपाठी विप्र का पूजन कर भोजन करा द्रव्य दान दे और प्रसन्न करे तो यन्त्र के प्रभाव से कुपित मित्र, बान्धवों का क्रोध तत्काल शान्त हो जायेगा ।

महाशत्रु वशीकरण यंत्र


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कदाचित् कोई आपका अति बलवान् शत्रु आपको हानि पहुँचाने की चेष्टा करे और आपके पास उसका सामना करने का सार्मथ्य न हो तो आप इस निम्नांकित यन्त्र को मरघट की राख लाकर धतूरे के दो पत्तों पर निर्माण करें ।

तत्पश्चात् दोनों पत्रों को सम्पुट में लेकर काँटों से छेद कर कृष्ण पक्ष की रात्रि में पूजन करके श्मशान में गाड़, भूतादि बलि प्रदान करे तो अत्यन्त बलशाली शत्रु भी साधक के वश में हो जायेगा ।

कामिनी सौभाग्यवर्द्धक यंत्र


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प्रायः देखा जाता है कि किसी-किसी नारी का पति किसी अन्य सुन्दरी सौन्दर्य पर आकर्षित होकर अपनी पत्नी का ध्यान तक नहीं करता । उस पति की वियोगिनी रमणियों के सुख प्राप्ति हेतु शिवजी महाराज द्वारा वर्णित इस अद्भुत यन्त्र को गोरोचन, कुंकुम, कस्तूरी एवं लालचन्दन-इन चारों वस्तुओं को एकत्रकर भोजपत्र पर उपरोक्त यंत्र लिख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रात्रि के समय से प्रारम्भ कर सात दिवस तक नित्य पूजन करे । सात दिवस के पश्चात् सात स्त्रियों को भोजन करा कर निम्न मन्त्र से विसर्जन करे –

शङ्करस्य प्रिये देवि ललिते प्रीयतामिति ।
रूपं देहि यशो देहि सौभाग्यं देहि मे श्रियम् ।
भगवति वाञ्छितं देहि प्रियमायुष्य-वर्द्धनम् ।।

तत्पश्चात् यन्त्र को चाँदी के ताबीज में भर कर कंठ में धारण कर ले तो जब तक यन्त्र कंठ में रहेगा तब तक वह कामिनी प्रीतम प्यारी बनी रहेगी ।

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