मिश्रित हाथ
मिश्रित हाथ का वर्णन करना सब हाथों में सबसे कठिन है । यद्यपि, इस मामले में
मिश्रित उंगलियों के लिए आधार का काम वर्गाकार हाथ
करता है और सच्चे मिश्रित हाथ में अध्येता के मार्ग-दर्शन के लिए ऐसे किसी आधार का
नाम नहीं लिया जा सकता ।
इस प्रकार के हाथ को मिश्रित इसलिए कहा जाता है कि इसे
वर्गाकार,चपटा, शंकु, दार्शनिक या
मनोवैज्ञानिक आदि किसी एक वर्ग में रखना शायद सम्भव नहीं होता, उंगलियां विभिन्न
श्रेणियों की होती हैं और प्रायः एक उंगली
नुकीली होती है तो दूसरी वर्गाकार, तीसरी चपटी तो चौथी दार्शनिक ।
मिश्रित हाथ, विचारों का, विभिन्नता का और
प्रायः ध्येय में परिवर्तनशीलता का हाथ
है । ऐसे हाथ वाला व्यक्ति मनुष्यों और परिस्थितियों दोनों में अपना सामंजस्य बैठा
लेता है पर्याप्त चतुर होता है, किन्तु अपने गुणों के उपयोग में उत्साही, परिवर्तनशील और
मनमौजी भी। बातचीत का विषय चाहे विज्ञान हो, चाहे कला या चाहे कोरी गपशप, वह मेधावी सिद्ध होता है । हो सकता है वह कोई साज-बजा
लेता हो, थोड़ी-बहुत
चित्रकारी कर लेता हो, या इसी तरह किसी अन्य क्षेत्र में पटू हो, लेकिन महान वह शायद ही कभी बनता हो। इतना अवश्य
है कि जब हाथ में शक्तिशाली मस्तिष्क रेखा की प्रमुखता होती है तो वह अपने सभी कौशलों
में से सर्वश्रेष्ठ को चुनता है और दूसरी खूबियों की विभिन्नता और पटुता से उसे
संवारता है। ऐसे हाथ वाले को काम करने के लिए सबसे बढ़िया अवसर कूटनीति और होशियारी
के क्षेत्रों में होता है । उसकी प्रतिभा इतनी बहुमुखी होती है कि सामने आने वाली
विविध स्थितियों से निपटने में उसे कोई कठिनाई नहीं होती ।
ऐसे लोगों की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता उनकी परिस्थितियों
के अनुकूल ढल जाने की अद्भुत क्षमता रखना है। दूसरों की तरह उन्हें भाग्य के
उतार-चढाव भी अधिक महसूस नहीं होते | हर कोटि का काम उनके लिए समान रूप से सरल
सिद्ध होता है। प्रायः मौलिक सूझ-बुझ वाले होते हैं |
ये थोड़ा बेचैन प्रकृति के होते हैं, और किसी एक शहर
या स्थान पर अधिक नहीं टिकते। नये-नये विचार उन्हें पसन्द होते हैं, एक क्षण मे नाटक लिखने को कटिबद्ध होते हैं, दूसरे ही क्षण शायद राजनीति में जा कूदें । लेकिन चूंकि वे सदा
परिवर्तनशील रहते हैं, पानी की तरह अस्थिर, वे शायद ही कभी सफलता पाते हों ।
यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि जब हथेली किसी एक विशिष्ट
प्रकार की होती है तो इन विशेषताओं का पर्याप्त सुधरा रूप देखने को मिलता है, तथा वर्गाकार हाथ
में मिश्रित, चपटी, दार्शनिक या
शंकु-आकार उंगलियां अधिकतर सफलता पाती हैं, जबकि मिश्रित का शुद्ध रूप असफल ही रहता है ।
जब समूचा हाथ ही मिश्रित हो, तो प्रतिभा की बहुमुखता और ध्येय की विभिन्नता के कारण व्यक्ति के “हर फन का
उस्ताद” कहाये जाने की ही सम्भावना होती है |