भूत-प्रेत बाधा नाशक मंत्र | संकट हरण यंत्र | पीलिया का मंत्र | नजर उतारने का यंत्र | ज्वरनाशक मंत्र | Bhoot-Ghost Obstacle Destroyer Mantra | Sankat Haran Yantra | Jaundice Mantra | eye removal device
आधासीसी का यंत्र
इस यन्त्र को मंगल या रविवार को कागज के ऊपर लिखकर धूप, दीप की धूनी देकर सिर में बाँधे तो आधासीसी का दर्द दूर हो जावे ।
तिजारी का यंत्र | तिजड़ा का यंत्र
इस यन्त्र को भोजपत्र पर लिख कर तिजारी वाले (रोगी) आदमी की दाहिनी भुजा में बाँधे तो तिजारी का ज्वर दूर हो जावे ।
भूत-प्रेत बाधानाशक मंत्र
इन्द्रायण का पका हुआ फल लाकर उसका नस्य (नहरू) बना करके गोमूत्र के साथ सुँघावे या फिर कमलगट्टा व कालीमिर्च के दानों को बारीक पीस कर नस्य बनाकर उसे जिसके ऊपर भूत-प्रेत हो सुँघावे तो ब्रह्मराक्षस, भूत प्रेत, चुड़ैल आदि दूर हो।
नजर के लिये २० का यंत्र
इस यन्त्र को लाल चन्दन से भोजपत्र पर लिख करके और धूप, दीप तथा नैवेद्य आदि देकर यन्त्र को ताँबे के यन्त्र में भर कर बच्चे के गले में बाँधने से नजर दूर होती है और फिर नजर नहीं लगती ।
संकटहरण यंत्र
कैसा ही संकट हो अष्टगन्ध से भोजपत्र पर लिख कर धूप, दीप तथा नैवेद्य देकर गले में बाँध दे ।
पीलिया का मंत्र
ॐ नमो वीर बैताल असुराल नाहर सिंह देव जी
स्वादी तुरवादी सुभाल तुभाल, पीलिया को काटे,
झारे पीलिया रहे न नेक निशान, जो रह जाय तो
हनुमान की आन ।
शुद्ध सरसों का तेल एक कटोरे में लेकर रोगी के मस्तक पर चन्दन से सात बार मले और प्रत्येक बार मन्त्र का उच्चारण करता जावे और कम-से-कम दिन भर में २ बार प्रयोग करें ।
ज्वरनाशक तंत्र – धूप
देवदारु, इन्द्रायणी, लोहबान, गोदन्ती, हींग, सुगन्धवाला, कुटकी, नीबू के पत्ते, वच, दोनों कराई, चव्य, सूखा बिनौला, जौ, सरसों, ‘शुद्ध घी’ काले बकरे का बाल, मोरशिखा- इन सब चीजों को लेकर बैल के मूत्र में पीस कर मिट्टी के कोरे बरतन में रख छोड़े । इसे माहेश्वर धूप कहते हैं । इसकी धूनी देने से सब प्रकार के ज्वर तथा उन्मत्त रोगी को यह धूप देने से ग्रह, राक्षस, भूत, प्रेत, पिशाच, चुड़ैल, नाग, पूतना, शाकिनी, डाकिनी आदि तथा अन्य विघ्न भी क्षण में दूर होते हैं, परीक्षित है।
ज्वरनाशक मंत्र
ॐ नमो भगवते रुद्राय शूलपाणये ।
पिशाचाधिपतये आवश्य कृष्ण पिंगल फट् स्वाहा ।
इस मन्त्र को कागज के ऊपर कोयले से लिख कर दाहिनी भुजा पर बाँधे तो नित्य आने वाला ज्वर दूर हो ।
श्रीकृष्ण बलभद्रश्च प्रद्युम्न अनिरुद्ध च ।
ऊषा स्मरण मात्रेण ज्वर व्याधि विमुच्यते ।।
इस मन्त्र को कागज पर लिख कर धूप-दीप देकर गले में बाँधने से ज्वर दूर होता है तथा उसका जाप करने से भी ज्वर दूर होता है ।