मस्तक पीड़ा निवारण मन्त्र | अधिक अन्न उपजाने का मन्त्र | आत्म रक्षा मन्त्र | अति दुर्लभ निधि दर्शन मंत्र | विपत्ति नाश मंत्र | सर्वांग वेदना हरण मंत्र | उदर वेदना निवारण मंत्र | नेत्र पीड़ा निवारण मंत्र | Atma Raksha Mantra | Nidhi Darshan Mantra | Vipatti Nashak Mantra | Sarva Vighna Vinashak Mantra

मस्तक पीड़ा निवारण मन्त्र | अधिक अन्न उपजाने का मन्त्र | आत्म रक्षा मन्त्र | अति दुर्लभ निधि दर्शन मंत्र | विपत्ति नाश मंत्र | सर्वांग वेदना हरण मंत्र | उदर वेदना निवारण मंत्र | नेत्र पीड़ा निवारण मंत्र | Atma Raksha Mantra | Nidhi Darshan Mantra | Vipatti Nashak Mantra | Sarva Vighna Vinashak Mantra

मस्तक पीड़ा निवारण मन्त्र


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ॐ नमः आज्ञा गुरु को केश में कपाल, कपाल में भेजा बसै भेजा में
कीड़ा करै न पीड़ा कंचन की छेनी रूपे का हथौड़ा पिता ईश्वर गाड़ इनको थापे श्री महादेव
तोड़े शब्द सांचा फुरो मन्त्र ईश्वरो उवाच ।

विधि : इस मंत्र को पहले १०८ बार पढ़कर सिद्धि कर ले, फिर प्रयोग करते समय राख को सात बार पढ़कर काटे तो मस्तक पीड़ा दूर होवे ।

असामयिक मृत्युभय निवारक मन्त्र
ॐ अघोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य: स्वाहा।

सिद्ध करने की विधि : इस मंत्र को किसी भी शुभ नक्षत्र और शुभ वार में दस सहस्र बार जाप कर सिद्धि कर ले और जब प्रयोग करना हो तो जिस रविवार को पुष्य नक्षत्र होवे उस दिन प्रातःकाल गुरमा नामक वृक्ष की जड़ लाकर गर्म जल में मसले और फिर १०८ बार उपरोक्त मंत्र पढ़कर आठ माशा नित्य पान करने से अकाल मृत्यु का निवारण होता है ।

अधिक अन्न उपजाने का मन्त्र


ॐ नमः सुरभ्य: बलज: उपरि परिमिलि स्वाहा

विधि : सर्वप्रथम इस मंत्र को दस सहस्र बार जाप कर सिद्धि करे, फिर जब प्रयोग करना हो तो पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र होवे तो बहेड़े नामक वृक्ष का बाँदा लेकर १०८ बार मंत्र से अभिमन्त्रित करे तथा जिस खेत की उपज बढ़ानी हो उस खेत में गाड़ देने से अन्न की उपज अधिक होती है ।

आत्मरक्षा मन्त्र


ॐ क्षीं क्षीं क्षीं क्षीं क्षीं फट्

उपरोक्त मंत्र का नित्य ५०० बार जाप करने से साधक को समस्त सुख प्राप्त होते हैं और आत्मभय दूर होकर व्यक्ति ‘निर्भय’ हो जाता है ।

गाय भैंस आदि का दूध बढ़ाने का मन्त्र


ॐ नमो हुंकारिणी प्रसव ॐ शीतलम्

उपरोक्त मंत्र १०८ बार पढ़कर पशुओं को चारा खिलाने से दूध की वृद्धि होती है ।

अति दुर्लभ निधि दर्शनं मन्त्र


ॐ नमो विघ्नविनाशाय निधिदर्शन कुरु कुरु स्वाहा

विधि : शुभ दिवस तथा नक्षत्र में दस सहस्र बार जापकर सिद्धि हो जाने पर जब प्रयोग करना हो तब जिस स्थान में धन गड़े होने की सम्भावना होवे उस स्थान पर धतूरे के बीज, हलाहल, सफेद घुघुंची, गन्धक, मैनसिल, उल्लू का विष्ठा तथा शिरीष वृक्ष का पंचांग बराबर-बराबर ले | सरसों के तेल में पकावे तथा इसी से धूप देकर दस सहस्र बार मंत्र का जप करने से भूत-प्रेत तथा पितृ आदि का साया उस स्थान से हट जाता है और भूमि में गड़ा धनराशि साधक को दृष्टिगोचर होने लगता है ।

विपत्ति विदारण मन्त्र


शेष फरिद की कामरी निसि अँधियारी
तानौ को टालिये अनल ओला जल विष ।

ऊपर लिखे मंत्र को सिद्ध कर लेने के बाद पढ़कर ताली बजावे तो आग पानी, विष, ओला आदि का भय दूर होता है ।

सर्वाङ्ग वेदनाहरण मन्त्र


निम्नलिखित मंत्र पढ़कर २१ बार झाड़ने से समस्त शरीर का दर्द दूर हो जाता है ।

ॐ नमो कीतकी ज्वालामुखी काली दोबर रंग पीड़ा दूर सात समुद्र पार कर आदेश कामरू देश कामाक्षा माई हाड़ी दासी चण्डी की दुहाई ।

आधासीसी का दर्द दूर करने का मन्त्र


ॐ नमो बन में बिआई बंदरी ।
खाय दुपहरिया कच्चा फल कंदरी ।।
आधी खाय के आधी देती गिराय ।
हूकत हनुमंत के आधा सीसी चलि जाय ।।

प्रयोग विधि : भूमि पर छूरी से सात रेखा खींच कर रोगी को सन्मुख बैठाय सात बार मन्त्र पढ़कर झाड़ने से आधासीसी का दर्द दूर होता है ।

उदर वेदना निवारक मन्त्र


ऊं नून तं सिन्धु नून सिंधु वाया ।
नून मन्त्र पिता महादेव रचाया ।।
महेश के आदेश मोही गुरुदेव सिखाया ।
गुरु ज्ञान से हम देऊँ पीर भगाया ।।
आदेश देवी कामरू कामाक्षा माई ।
आदेश हाड़ी रानी चण्डी की दुहाई ।

प्रयोग विधि : दाहिने हाथ की केवल तीन उँगलियों से सेंधा नमक का एक टुकड़ा लेकर ऊपर लिखे मन्त्र से तीन बार पढ़कर, अभिमन्त्रित करे बाद में वह टुकड़ा रोगी को खिलाने से पेट की पीड़ा शान्त होती है ।

नेत्र पीड़ा निवारण मन्त्र


ॐ नमः झिलमिल करे ताल कीतलइया ।
पश्चिम गिरि से आई करन भलइया ।।
तहँ आय बैठेउ वीर हनुमन्ता ।
न पीड़ै न पाकै नहीं फूहन्ता ।।
यती मनुमन्त राखे होड़ा ।।

विधि : सात दिन तक नित्य सात बार नीम की टहनी द्वारा झाड़ने से नेत्रपीड़ा शान्त होती है ।

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