कर्ण पिशाचिनी साधना अनुभव | कर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र | कर्ण पिशाचिनी का मंत्र | कर्ण पिशाचिनी विद्या | karna pishachini sadhana | karna pishachini mantra
ओम् क्रीं समान शक्ति भगवती कर्णपिशाचिनी चन्द्र रोपनी वद वद स्वाहा ।
किसी सरिता या सरोवर के तट या किसी अन्य एकान्त स्थान में पवित्रता पूर्वक एकाग्रचित्त होकर इस मन्त्र का दस हजार जाप कर ले, उसके बाद ग्वार-पाठे के गुच्छे को दोनों हथेलियों पर मल कर रात्रि में शयन करने से यह देवी स्वप्न में समय का शुभाशुभ फल साधक को बतला जाती है ।
चिचि पिशाचिनी साधना
ओम क्रीं ह्रीं चिचि पिशाचिनी स्वाहा ।
केशर गोरोचन तथा दूध, इन चीजों को मिला कर नीले भोजपत्र पर अष्टदल कमल बना प्रत्येक कमल पर मायाबीज लिख शीश पर धारण करे और सात दिन तक नित्य दस हजार बार नियमपूर्वक मन्त्र जाप करने से यह देवी स्वप्न में भूत-भविष्य वर्तमान तीनों काल का शुभाशुभ हाल साधक को बतला जाती हैं ।
कालकर्णिका प्रयोग
ओं ह्रीं क्लीं कालकर्णिके कुरु कुरु ठः ठः स्वाहा ।
इस मन्त्र को एकान्त स्थान में एक लाख बार जप करके मन्दार (आक) की लकड़ी, घी, शहद से हवन करे तो कालकर्णिका देवी प्रसन्न होकर साधक को अनेक प्रकार के रत्न, धन आदि ऐश्वर्य प्रदान करती हैं ।
नटी यक्षिणी प्रयोग | नटी यक्षिणी साधना
ॐ ह्रीं क्लीं नटी महानटी रूपवती स्वाहा ।
अशोक नामक वृक्ष के नीचें गोबर का चौका लगा, ललाट में चन्दन का मण्डल लगाकर विधिवत् देवी का पूजन करके धूप दीप दे, एक मास तक नित्य एक हजार बार उपरोक्त मन्त्र का जाप करे तो देवी प्रसन्न होकर के साधक को अनेक प्रकार की दिव्य वस्तुयें प्रदान करती हैं ।
साधन काल में साधक को केवल एक समय भोजन करके अर्ध रात्रि के बाद ही पूजन करना चाहिये ।
चंडिका मंत्र
ओं चण्डिके हसः क्रीं क्रीं क्रीं क्लीं स्वाहा ।
इस मन्त्र को शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से जपना प्रारम्भ करके पूर्णमासी तक नित्य चन्द्रोदय से चन्द्रास्त तक सम्पूर्ण पक्ष में नौ लाख बार जाप करने से अन्तिम दिन देवी प्रत्यक्ष होकर साधक को अमृत प्रदान करती हैं, जिसको पान करने से साधक मृत्युभय से मुक्त हो जाता है ।