नाजी अणु संयंत्र की तबाही | The Destruction of The Nazi Nuclear Plant in Norway | Nazi Nuclear Program Norway | Heavy Water War

The Destruction of The Nazi Nuclear Plant in Norway

नाजी अणु संयंत्र की तबाही | The Destruction of The Nazi Nuclear Plant in Norway | Nazi Nuclear Program Norway | Heavy Water War

सन् १९४० में ब्रिटिश युद्ध कैबिनेट को यह पता लगा कि जर्मनी अपने द्वारा विजित नार्वे के वेमॉर्क स्थित एक फैक्ट्री का इस्तेमाल अपनी आणविक शक्ति को बढ़ाने के लिए कर रहा था । इस फैक्ट्री में वह भारी पानी (आणविक पदार्थ) का अधिकाधिक उत्पादन कर अपनी आणविक क्षमता का विस्तार करना चाह रहा था ।

जर्मनी को आशा थी कि इससे वह एटम बम का रहस्य सुलझा लेगा । घटना के कोई दो वर्ष बाद ईनर स्किनरलैंड (EINAR SKINNERLAND) नामक एक नार्वे का निवासी, जो उस समय अवकाश पर था, उत्तरी सागर पार करता हुआ भाग कर ब्रिटेन जा पहुंचा । किस्मत से वह वहां सही व्यक्तियों से ही मिला, जो घटना की संजीदगी को जानते थे और जिन्होंने शीघ्रता से यह पता लगा लिया कि स्किनरलैंड वेमॉर्क एवं वहां काम करने वाले अनेक लोगों को जानता था ।

स्किनरलैंड को बहुत थोड़े समय में एक खास प्रकार की ट्रेनिंग एवं सटीक निर्देश देकर पैराशूट की मदद से पुनः नार्वे उतार दिया गया । इसके शीघ्र बाद फ्री नार्वेजियन फोर्सेस के दस चुनींदा सिपाही स्किनरलैंड के पीछे-पीछे नार्वे जा पहुंचे । इन सिपाहियों ने अपने अड्डे के रूप में एक सुनसान एवं मानवरहित पठार, जिसे नार्वेवासी हार्डेजर पिड्डा पुकारते थे, को चुना । इन दस खास सिपाहियों को इस बात की विशेष ट्रेनिंग दी गई थी कि वे जर्मनी द्वारा स्थापित उस कथित आणविक संयंत्र को किसी भी तरीके से नेस्तनाबूद कर दें ।

ईनर स्किनरलैंड के साथियों एवं सहयोगियों ने बेमॉर्क स्थित हर उस सुरक्षा इंतजाम का पता लगा लिया, जो जर्मनी ने अपनी हिफाजत के लिए कर रखे थे । इनमें, छतों पर सर्चलाइटें एवं मशीन गनों की कतारें, जमीन में दबाई गई सुरंगें, सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की निगरानी में तैनात एक पुल, जो एक गहरे खड्ड को पाटता था एवं काम के स्थल तक पहुंचने का जरिया प्रमुख थे, परंतु यह विचित्र बात थी कि जर्मन लोग कार्यस्थल तक पहुंचने के लिए एक अन्य मार्ग का इस्तेमाल करते थे । यह दूसरा मार्ग कभी-कभार ही काम में आने वाला रेलमार्ग था, जो एक टीले को काटता हुआ सीधे कार्यस्थल के सामान-गृह में प्रवेश कर जाता था ।

अपनी पूर्ण पोशाकों में सुसज्जित फ्री नार्वेजियन सिपाही स्की (बर्फ में फिसलते हुए आगे बढ़ने का एक उपकरण) की मदद से हार्डेजर पिड्डा से निकल पड़े । ये जांबाज सिर से लेकर पांव तक हथियारों से लैस थे । टॉमी गर्ने, पिस्टल, कमांडो चाकू और विस्फोटक, कहने का तात्पर्य यह कि हर परिस्थिति से निपटने का पूर्ण इंतजाम था । शीघ्र ही ये जांबाज रेल-पथ और फिर धीरे-धीरे सरकते हुए कार्यशाला तक जा पहुंचे ।

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यहां पहुंचने के बाद इन्होंने रुक कर अपने हथियारों को जांचा और पूर्ण आश्वस्त एवं संतुष्ट होने के बाद दो दलों में विभाजित हो गए । एक दल, जिसके जिम्मे सुरक्षा प्रहरियों को दूर रखना था, नट हॉकलिड (KNUT HAUKLID) के नेतृत्व में था और दूसरा दल, जिसके जिम्मे विस्फोटकों को लगाना था, जॉकिम रॉन्सबर्ग (JOACHIM RONNESBERG) के नेतृत्व में था ।

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हॉकलिड का दल आगे बढ़ने लगा । यह सुरक्षा इसलिए जरूरी थी, क्योंकि चारों तरफ जमीन में सुरंगें बिछाई हुई थीं और किसी एक का उस पर पांव पड़ने का मतलब था, सारे दल का खात्मा । कुछ को आगे जाकर संतरियों का ध्यान रखने का कार्य सौंपा गया । इस दौरान नट हॉकलिड और एंटन पोलसन रेंगते हुए जर्मन गार्ड हाउस तक जा पहुंचे । गार्ड हाउस अब उनसे मात्र बीस मीटर ही दूर था ।

लकड़ी के उस गार्ड हाउस तक पहुंचने पर पोलसन ने अपनी टॉमी गन संभाल ली और दूसरी तरफ हॉकलिड हथगोले थाम कर तैयार हो गया । दोनों हर संभव खतरे से निपटने के लिए तैयार थे । उधर जॉकिम रॉन्सबर्ग और फ्रेडरिक केसर अपने बाकी दल से अलग होकर उस स्थान तक जा पहुंचे, जहां संयंत्र के अंदर पाइपों से होकर कुछ तार जाते थे । दोनों की सोच की दिशा एक ही थी । फैक्ट्री में प्रवेश करने पर इन्हें एक बंद दरवाजा मिला, जो गहराई से अध्ययन की गई योजना के अनुसार मुख्य दरवाजा था, जिसके पीछे निश्चित रूप से आणविक पदार्थ का संयंत्र स्थापित था । उन्होंने सावधानी से उस दरवाजे को खोला । वह संयंत्र, जिसे नष्ट करना था, अब उनकी आंखों के सामने था ।

वह कार्यशाला पूर्णतः खाली थी । केवल एक ही व्यक्ति वहां था । उस व्यक्ति की नजर जैसे ही इन दोनों पर पड़ी, वह हक्का-बक्का रह गया । नामालूम कहां से आ टपके इन दो हथियार बंद व्यक्तियों को देखकर उस बेचारे की तो हालत ही खराब हो गई ।

“क… कौन हो तुम?” वह हकलाता हुआ बोला, “यहां क्या कर रहे हो ?”

उत्तर देने के बजाए फ्रेडरिक ने धीरे से अपनी बंदूक उसकी नाक के नीचे लहराई और सख्त लहजे में कहा, “उस दीवार की तरफ खड़े हो जाओ । तुम्हें शीघ्र ही पता चल जाएगा हम क्या कर रहे हैं ? मैं तुम्हें कह देता हूं कि चुप ही रहना ।”

फिर जॉकिम ने इंग्लैंड में अपने प्रशिक्षण के दौरान बार-बार किए गए अभ्यास को क्रियांवित करना शुरू कर दिया । उसने अपने थैले से विस्फोटक पदार्थ निकाल कर वहां मौजूद मशीनों के आसपास लगाने शुरू कर दिए । अचानक कांच टूटने की आवाज गूंजी, जिसे सुनकर फ्रेडरिक अपनी बंदूक पकड़कर सावधान हो गया ।

“हैल्लो”, टूटी हुई खिड़की से एक आवाज उभर कर सुनाई दी, “हमें अंदर आने दो, यहां घुसना वाकई एक मुश्किल कार्य है ।” स्पष्ट था कि ये उनके अपने साथी ही थे । वे सब भी अब यहां पहुंच चुके थे ।

इनके आने से अब विस्फोटक बिछाने का काम तेजी से होने लगा था । फ्रेडरिक उन पर निगरानी के साथ उन्हें निर्देश दे रहा था ।

“सावधान!” कार्यशाला में मौजूद उस जर्मन ने कहा, “यदि तुम इन तारों को गलती से मिला दोगे, तो अभी धमाका हो जाएगा ।”

“तो क्या हुआ ? धमाका ही तो करना है,” हंसते हुए फ्रेडरिक ने कहा, फिर उसने झुक कर उस जर्मन को अपनी सैन्य पोशाक की भुजा दिखाते हुए कहा, “देखो, इसकी तरफ, इन पट्टियों को देखो । तुम जर्मनों को बता सकते हो कि एक ब्रिटिश यूनिफॉर्म कैसी लगती है । मुझे इस बात पर संदेह है कि यहां मौजूद किसी ने कभी इसे देखा होगा । “

फ्रेडरिक का यह कदम इस बात को सुनिश्चित करने के लिए था कि जर्मन इस बात को भली भांति समझ ले कि वेमॉर्क में की गई कार्यवाही एक सैन्य ऑपरेशन था, फिर शायद जर्मन इसके बदले में निर्दोष लोगों को नहीं मारते ।

जॉकिम अब तक किए गए काम से संतुष्ट हो चुका था और वह विस्फोटकों को चिंगारी देने को तैयार था । जर्मन व्यक्ति फैक्ट्री में मौजूद इकलौता दुश्मन था । उसको यह बात अच्छी तरह से समझ में आ गई कि वहां धमाका होने वाला है ।

“मेरा चश्मा कहां है ? डर और घबराहट में वह बोला ।

“तुम्हारी नाक पर,” जॉकिम ने आराम से जवाब दिया और तीली जला दी, “इसे बाहर ले जाओ।” उसने फ्रेडरिक की ओर देखकर कहा ।

फ्रेडरिक उस व्यक्ति को बाहर ले आया और चिल्लाया, “भागो! जितनी तेज भाग सकते हो भागो !”

वह व्यक्ति शीघ्र भागता हुआ अंधेरे में कहीं गायब हो गया । जॉकिम ने विस्फोटकों के फ्यूज में आग लगा दी और फिर दरवाजा बंद करके वे सब वहां से भाग लिए ।

उधर नट हॉकलिड और जैक्स बड़ी बेसब्री से इनका इंतजार कर रहे थे । आखिरकार उन्हें एक हलके धमाके के साथ थोड़ी रोशनी नजर आई । विस्फोटक की आवाज इतनी तेज नहीं थी कि चौकीदार इसकी तरफ खास ध्यान देते । काफी लंबे इंतजार के बाद एक जर्मन सैनिक बाहर निकल कर आया । बाहर आया वह सैनिक निहत्था था, उसके चेहरे आश्चर्य के भाव थे । थोड़ी देर बाद वह जर्मन सैनिक कुछ दूरी पर स्थित विद्युत संयंत्र की तरफ बढ़ गया । उसने उसका दरवाजा खोलने की चेष्टा की, लेकिन खोल नहीं पाया । वह पुनः अपने तम्बू में गया और एक टार्च ले आया । अब वह नट और जैक्स की तरफ बढ़ रहा था । टार्च की रोशनी उनसे कुछ ही फासले पर थी । जैक्स ने धीरे से अपनी टॉमी गन उठाई, “क्या मैं फायर करूं ! “

“अभी नहीं,” नट फुसफुसाया, “उसे तो पता भी नहीं है कि क्या हो रहा है ।” जर्मन सैनिक आसपास घूमता हुआ अपनी टार्च की रोशनी में जमीन टटोलने लगा था । लग रहा था कि वह जमीन में कुछ ढूंढ़ रहा हो । अचानक टार्च की रोशनी उस स्थान पर पड़ी, जहां नट एवं जैक्स छिपे हुए थे । दोनों किसी अप्रत्याशित घटना का सामना करने के लिए दम साधे पड़े थे । जैक्स ने तो एक बार फिर अपनी टॉमी गन संभाल ली । ऐसा लगा कि वह जर्मन हर लिहाज से संतुष्ट हो गया था, क्योंकि वह वापस अपने तम्बू की तरफ मुड़ गया था ।

“वह शायद सोचता होगा कि यह धमाका किसी सुरंग पर बर्फ गिरने से हुआ होगा । ” नट ने अनुमान लगाते हुए कहा।

कुछ देर तक वे वहीं रुके रहे, फिर जब नट को विश्वास हो गया कि विस्फोटक लगाने वाला दल सकुशल निकल गया होगा, तो वह भी जैक्स के साथ रेलवे लाइन की तरफ निकल गया । जब तक जर्मनों को सारा माजरा समझ में आए, तब तक वह नौ सदस्यों वाला ब्रिटिश दल सकुशल हार्डेजर पिड्डा स्थित अपने ठिकाने पर पहुंच चुका था ।

इसमें कोई शक नहीं कि ब्रिटिश सैनिकों की कार्यवाही ने जर्मन आणविक संयंत्र को भारी क्षति पहुंचाई थी, तथापि इस घटना के ठीक एक साल बाद ही जर्मनी ने अपने आणविक संयंत्र का काम पुनः चालू कर दिया ।एक बार फिर खतरनाक इरादा जीवंत हो गया था, फिर एक सुबह नट हॉकलिड एवं ईनर स्किनरलैंड ने आकाश में एक शानदार नजारा देखा । एक सौ पचास अमेरिकी बमवर्षक विमान लयबद्ध होकर उड़ते चले जा रहे थे । विमानों के गुजरने के बाद उस इलाके की मीलों तक की रोशनी व्यवस्था ठप्प हो गई । इसका कारण उनके द्वारा वेमॉर्क स्थित पावर स्टेशन पर बम बरसाना था ।

परंतु इतना कुछ होने पर भी आणविक पदार्थ बचा लिया गया था । स्किनरलैंड को अपने विश्वसनीय सूत्रों से यह पता चला कि अब जर्मन उस आणविक पदार्थ को पानी के जहाज पर लाद कर वापस जर्मनी ले जाने की योजना बना रहे हैं । जहां वे अपने कार्य एवं परीक्षणों को और अच्छा एवं और जल्दी अंजाम दे सकते थे । लंदन से हॉकलिड के लिए आदेश आ चुके थे कि उसे किसी भी तरह से इस कथित ‘सप्लाई’ को नष्ट करना था ।

संदेश अति महत्वपूर्ण था और उसे लेकर किसी भी तरह की कोई भी गलती नहीं की जा सकती थी । ऐसी कोई भी गुंजाइश नहीं रखी जा सकती थी कि वह अमूल्य आणविक पदार्थ जर्मनी पहुंच सके ।

हॉकलिड ने कई दिनों तक संबंधित अधिकारियों एवं अन्य लोगों से बातचीत कर अपनी योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया । उसे विध्वंस की एक ऐसी योजना की तलाश थी, जो सबसे सटीक एवं उत्तम हो । अंत में उसने एक खतरनाक निर्णय ले लिया । उन्हें टिंनरूजो झील में स्थित उस कथित फेरी (एक तरह का पानी का जहाज) को ही उड़ा देना होगा । हॉकलिड एवं उसके साथियों को यह पता लग चुका था कि जर्मन सबसे पहले रेल द्वारा आणविक पदार्थ को जितना संभव हो सके, उतना टिनस्जो झील के पास तक ले जाएंगे, फिर फैरी द्वारा झील पार करवा कर एक बार पुनः रेल द्वारा सागर तट तक ले जाया जाएगा । वहां से एक बड़े पानी के जहाज पर निगरानी में जर्मनी भेजा जाएगा ।

प्रतिरोधक दल के एक सदस्य रॉल्फ सोरली के एक मित्र को भी मुख्य अभियान के दिन उस फैरी में यात्रा करनी थी । सोरली को पता था कि उस दिन फैरी का कैसा अंजाम होने वाला है । लिहाजा चिंतित होना वाजिब था “मैं उसमें क्या कर सकता हूं?” उसने दुखी होकर पूछा।

“अगर उसके साथ यात्रा में उसके कुछ मित्र भी हुए तो ?” हॉकलिड ने बड़े ही नम्र स्वर में उत्तर दिया ।

रॉल्फ ने आह भरी, “हां,” उसने कहा, “मैं जानता हूं क्या हो सकता है । हमारे अभियान का भांडा फूट जाएगा और यह हमारे लिए हर तरह से एक खात्मा ही होगा । “

अभियान के महत्व का इससे ही अनुमान लगाया जा सकता था कि उन्होंने इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताया था । उन्हें केवल इस बात पर ही चिंतन करना था कि उस फैरी पर विस्फोटक की कितनी मात्रा पहुंचे एवं उसे कहां लगाया जाए । इसके अतिरिक्त उन्हें विस्फोटकों से जुड़ा एक ऐसा ‘टाइम फ्यूज’ (विस्फोटक में विस्फोट शुरू कर देने वाला एक ऐसा उपकरण, जो तय किए गए समय पर ही कार्यवाही को अंजाम दे) भी बनाना था, जो ठीक उस समय विस्फोट करे, जब फैरी झील के सबसे गहरे भाग के ऊपर से होकर गुजर रहा हो और विस्फोट इतना सशक्त हो कि फैरी एक या ज्यादा से ज्यादा दो मिनट में ही जल समाधि ले ले ।

रात के समय अंधेरे का फायदा उठाता हुआ हॉकलिड अपने दो सहयोगियों के साथ बेलनाकार विस्फोटक पदार्थ, डेटोनेटर एवं अलार्म घड़ियां छुपाए हुए उस फैरी में चुपचाप घुस गया । नीचे एक कमरे से कुछ बोले जाने की अस्पष्ट आवाजों के अलावा फेरी में कहीं भी कोई नजर नहीं आ रहा था ।

वे धीरे से नौका के पृष्ठ भाग की तरफ बढ़ने लगे। अचानक एक तरफ से कदमों की आवाजें आईं । तीनों इस आवाज को सुनकर छिप गए । दरवाजे से एक आकृति बाहर की तरफ निकली ।

“तुम्हारी योजना क्या है?” एक नॉवेजियन आवाज उभरी ।

“हम कहीं छुपने की जगह तलाश कर रहे हैं।”

“ओह!” पहरेदार की आवाज उभरी “तुम यहां आने वाले पहले व्यक्ति नहीं हो। वहां एक गुप्त दरवाजा है । जल्दी से उस दरवाजे में उतर कर जहाज के निचले गोल हिस्से में चले जाओ । नीचे तुम्हारे होने के बारे में कोई भी संदेह नहीं करेगा ।”

हॉकलिड और रॉल्फ सोरली ने उस पहरेदार को धन्यवाद कहा और फिर अपने साथ लाए डेटोनेटर, विस्फोटक पदार्थ एवं अलार्म घड़ियों को छिपाते हुए नीचे जाने वाले उस दरवाजे की तरफ बढ़ गए । कुछ देर में वे जहाज के पेंदे वाले बदबूदार एवं पानी से भरे हिस्से में थे । उस हिस्से की ऊंचाई अधिक नहीं थी । दोनों कुछ देर में आधे झुके हुए साथ लाए करीब दस किलो विस्फोटक पदार्थ को लगाने की युक्ति सोचने लगे ।

उन्होंने नीचे मौजूद पानी में बेलनाकार विस्फोटकों को लगा दिया । इसके बाद डेटोनेटर्स को लगाया गया । ये तारों के माध्यम से अलार्म घड़ियों से जुड़े थे । अलार्म घड़ियों में विशेष तरह के पाइंट थे, जो निश्चित समय पर कार्यवाही को अंजाम देने के लिए बने थे । अलार्म घड़ियां दो थीं, ताकि एक खराब हो जाए, तो कम-से-कम दूसरी अपना काम कर सके । घड़ियों को मिला दिया गया, फिर वे वहां से निकल कर अपने तीसरे साथी के पास जा पहुंचे ।

“हमें कुछ चीजों के लिए वापस जाना होगा,” तीसरा साथी अभी पहरेदार को यह बता ही रहा था कि नट और सोरली मुस्कराते हुए वहां आ गए ।

पहरेदार के सामने खड़ा हॉकलिड विचारमग्न था । कितना मुश्किल था यह सोचना कि जिस व्यक्ति से वह बातें कर रहा था, अभी थोड़ी देर पहले वह उसी की मौत को निश्चित करके आ रहा है । जाहिर था कि हाँकलिड के द्वारा लगाए गए विस्फोटकों की वजह से उस पहरेदार की भी मौत निश्चित थी । हॉकलिड उस बेचारे को सावधान भी तो नहीं कर सकता था । वह थोड़ा आगे बढ़ा और उसने पहरेदार से हाथ मिलाया । इस बात की केवल कल्पना ही की जा सकती है कि उस समय हॉकलिड के मन में क्या बीत रही होगी ।

दो दिन बाद हॉकलिड अपने हाथ में सुबह का एक अखबार में उसकी सुर्खियां पढ़ रहा था – रेल्वे फैरी हाइड्रो की टिनस्जों में जल समाधि ।

कुल चार जर्मन एवं चौदह नॉर्वेजियन इस हादसे में खत्म हुए । डूब चुकी उस फैरी के साथ ही जर्मनी का युद्ध जीतने का आखिरी स्वप्न भी डूब गया था ।

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