आर्कमिडीज का सिद्धांत | आर्कमिडीज का जीवन परिचय | आर्किमिडीज की कहानी | आर्किमिडीज किस देश के थे | Archimedes Principle | archimedes biography

आर्कमिडीज का सिद्धांत | आर्कमिडीज का जीवन परिचय | आर्किमिडीज की कहानी | आर्किमिडीज किस देश के थे | Archimedes Principle | archimedes biography

आर्कमिडीज का सिद्धांत | आर्कमिडीज का सिद्धांत लिखिए | आर्कमिडीज का सिद्धांत इन हिंदी


सायराक्यूज (सिसली, यूरोप) के राजा हायरो (King Hiero) ने एक सोनार से शुद्ध स्वर्ण का एक मुकुट खरीदा, राजा को यह संदेह हुआ कि सोनार ने शुद्ध सोने का मुकुट नहीं दिया था और उसमें किसी अन्य धातु को मिलाकर इस मुकुट को बनाया है | परन्तु उसकी यह धोखाधड़ी किस प्रकार मालूम की जाए ? राजा हायरो ने इस धोखाधड़ी का पता लगाने का काम अपने समय के प्रसिद्ध गणितज्ञ आर्कमिडीज को सौंपा गया | समस्या को लेकर आर्कमिडीज कई दिन तक हर समय चिंतित बने रहते थे | एक दिन स्नान करते समय उसने यह अनुभव किया कि पानी से भरे टब के भीतर वह स्वयं को कुछ हल्का अनुभव कर रहे है और वह अपने आप ऊपर की ओर आ रहा है |

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बस वह मारे खुशी के चिल्लाते हुए बिना किसी वस्त्र के पागलो की तरह अपनी प्रयोगशाला की ओर भाग खड़े हुए | वहाँ जाकर उन्होने अपनी नई खोज का व्यावहारिक परीक्षण किया, उसने मालूम किया कि

जब कोई वस्तु किसी द्रव में डुबोई जाती है, तो उसके भार में कमी हो जाती है, भार में होने वाली यह कमी वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव के भार के बराबर होती है । उसकी यह खोज आर्कमिडीज के सिद्धान्त (Principle of Archimedes) के नाम से जानी जाती है |

अपनी इस खोज के आधार पर आर्कमिडीज अपने राजा हायरो (King Hiero) को यह बताने में समर्थ हो गए कि मुकुट में कितने प्रतिशत शुद्ध स्वर्ण था |

आर्किमिडीज की कहानी | आर्कमिडीज का जीवन परिचय | आर्कमिडीज का जन्म | आर्कमिडीज का जन्म कब और कहां हुआ


आर्कमिडीज का जन्म सिसली स्थित सायराक्यूज (Syracuse) के एक परिवार में ईसा पूर्व २८७ में हुआ था, उसके पिता का नाम फीडायस (Pheidias) था, राजा हायरो (Hiero) के साथ उनके घनिष्ठ सम्बन्ध थे |

आर्किमिडीज की शिक्षा


युवावस्था में उसकी शिक्षा अलेक्जेण्ड्रिया (Alexandria) में हुई थी | वहाँ उन्होने देखा कि मिस्र में सिंचाई के लिए बहुत सी कठिनाईयो का सामना करना पड़ता है | इसको समस्या को दूर करने के लिए उन्होने पेंच (screw) का आविष्कार किया, जो उसकी प्रतिभा का प्रमाण था और जो मशीनों में एक महत्वपूर्ण अवयव है | आर्कमिडीज ने इस प्रकार के कई मशीनी उपकरणों एवं मशीनों का आविष्कार किया था |

आर्कमिडीज की मृत्यु | आर्कमिडीज की मृत्यु कैसे हुई


आर्कमिडीज का निधन ईसा पूर्व २१२ में हो गया था | उसकी मृत्यु के स्थान, कारण आदि से सम्बन्धित सटीक ब्यौरा तो उपलब्ध नहीं है, परन्तु जो सामग्री उपलब्ध है, उसके आधार पर यह माना जाता है कि विजयी रोमन जनरल मार्सिलस (Marcelus) आर्कमिडीज को बहुत पसन्द करते थे और उनके मन मे आर्कमिडीज के लिए बहुत सम्मान था | वह आर्कमिडीज से मिलना चाहता थे, उन्होने आर्कमिडीज को लाने के लिए आदेश दिया था और सेना का जवान जिस समय आर्कमिडीज के पास पहुँचा, उस समय वह अपनी किसी समस्या का समाधान ढूँढ़ने के कार्य मे व्यस्त थे |

सैनिक को जल्दी थी, परन्तु आर्कमिडीज को अपना काम पूरा करना ही था, नादान सैनिक ने तलवार द्वारा आर्कमिडीज की हत्या कर दी | इस प्रकार विश्व के इतिहास-पुरुष के जीवन का अंत हो गया था |

आर्कमिडीज की मृत्यु का समाचार सुनकर मार्सिलस बहुत दुःखी हुए, आर्कमिडीज का अंतिम संस्कार ससम्मान सम्पन्न किया गया |

आर्कमिडीज के मतानुसार उसके शोधकार्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी इस कारण उनकी इच्छानुसार उनके मकबरे के सामने एक बेलनाकार चित्र के बीच में एक वृत्त खुदवाया गया |

उसकी मृत्यु के १३० वर्ष से अधिक बाद सिसली में राज्य-कोषाधिकारी सिसरो ने ईसा पूर्व ७५ में एग्रीजैण्टायन द्वार (Agrigentine gate) के पास झाड़ियों और काँटों से ढके हुए आर्कमिडीज के मकबरे को खोज निकाला था |

आर्किमिडीज की किताबें


आर्कमिडीज ने युद्ध के कई उपकरणों की खोज भी की थी, मगर आर्कमिडीज इन खोजो को कोई महत्व नहीं देते थे, हथियारों एवं उपकरणों के साथ वह अपना नाम जोड़ना नहीं चाहते थे, वह विद्वता के साथ ही सम्बद्ध होना चाहते थे | आर्कमिडीज ने विशेष ज्ञान तथा सूक्ष्म विवेचन सम्बन्धी अनेक निबन्ध लिखे, जो उसकी प्रसिद्धि के कारण हैं, –

On the Sphere and Cylinder – इस विषय पर दो पुस्तकें हैं, जिनमें गोलाकार वस्तुओं (Spheres), ठोस विषम कोण समचतुर्भुज (Solid Rhomli), बेलन (Cylinders) तथा शंकु (Cones) के परिमाण सम्बन्धी विवेचन किया गया है, प्रत्येक का उत्पादन शुद्ध ज्यामिति के नियमों के अनुसार किया गया है |

On the Equilibrium of Planes or Centres of Gravity of Planes – इसके दो भाग हैं | यह पुस्तक सैद्धान्तिक यांत्रिकी का आधार है. इस विषय पर आर्कमिडीज से पहले अरस्तू लिख चुके थे, परन्तु उनका विवेचन अपेक्षाकृत अनिश्चित तथा कम वैज्ञानिक है | आर्कमिडीज की मान्यताएँ बहुत कुछ आज भी मान्य हैं |

The Measurement of the Circle – इसमें प्रक्षेपों में वृत्त के नाप के विषय में विवेचन किया गया है |

On Conoids and Spheriods – इस पुस्तक में 32 प्रमेय हैं |

On Spirals – इस पुस्तक में 32 प्रमेय हैं |

The Quadrature of the Parabola – इसमें 24 प्रमेय हैं |

The Method – यह एक महत्वपूर्ण निबन्ध है जिसमें आर्कमिडीज ने अपने कई निष्कर्षों को प्राप्त करने की यान्त्रिक पद्धतियों का उल्लेख किया है |

The Psammites – इस पुस्तक में शब्दों के नामकरण एवं उनकी परिभाषा का विवेचन किया गया है | इसको Sand Reckoner भी कहते हैं |

A Collection of Lemmas – समक्षेत्र-ज्यामिति सम्बन्धी प्रमेयों का संग्रह है |

On Floating Bodies – तैरते हुए पदार्थों के बारे में यह एक शोधपूर्ण निबन्ध है |

यह अनुमान लगाया जाता है की आर्कमिडीज ने उस रूप में नहीं लिखा था, जिस रूप में यह पुस्तक उपलब्ध है, क्योंकि यह अरबी में लिखी हुई पाण्डुलिपि का लैटिन भाषा में रूपान्तर है |

इस उदाहरणों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आर्कमिडीज ने तुला (Balances), उत्तोलक (Levers), खगोल-विद्या (Astronomy) पर पुस्तकें लिखी थीं | एक लेखक ने प्रत्यावर्तन (Refraction) के संदर्भ में आर्कमिडीज को उद्धृत किया है, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आर्कमिडीज ने प्रकाश-विज्ञान (Optics) पर भी कोई पुस्तक लिखी थी, जो अब प्राप्त नहीं है |

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