गैलीलियो गैलिली की जीवनी | गैलीलियो गैलिली का जीवन परिचय | गैलीलियो गैलिली की खोज | गैलीलियो गैलीली के आविष्कार | Galileo Galilei biography in hindi

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गैलीलियो गैलीली कौन थे | Galileo Galilei information in hindi


गैलिलियो गैलिली (Galileo Galilei) एक ऐसे विचार के प्रवर्तक थे, जिन्होने दुनिया को हिला दिया था |

“पृथ्वी घूमती है” यह क्रान्तिकारी विचार कौपर्निकस, ब्रूनो और गैलिलियो द्वारा बताया गया था | कौपर्निकस द्वारा इस विषय मे एक किताब भी लिखी गई थी, परंतु चर्च के भय के कारण उक्त किताब ३० वर्ष तक प्रकाशित नहीं हो सकी, मगर कौपर्निकस की मृत्यु के साथ उस किताब मे लिखी सत्य सबके सामने आई |

उसके बाद नेपल्स (इटली) में ब्रूनो नाम के विचारक एवं साहसी व्यक्ति द्वारा इस सत्य को दोहराया गया, मगर १७ फरवरी, १६०० को ब्रूनो को फाँसी लगा दी गई, ब्रूनो पूरी निर्भयतापूर्वक उस सत्य के नाम पर फाँसी पर झूल गया, जिसको कौपर्निकस ने खोजा था |

इसके बाद गैलिलियो गैलिली (Galileo Galilei) ने भी इस सत्य का अनुभव किया था, उन्होने एक नया नक्षत्र देखा और उस नक्षत्र को सर्वप्रथम देखने वाले ज्योतिष शास्त्र के पण्डित के रूप में उसकी ख्याति चारो तरफ फैल गई और वह लोकप्रिय हो गए |

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गैलिलियो गैलिली (Galileo Galilei) का जन्म यूरोप के देश इटली में पीसा (Pisa) में फरवरी १५६४ में हुआ था, उसके पिता एक सम्मानित व्यक्ति थे और दर्शन शास्त्र में उन्होने अच्छी जानकारीया और उपलब्धियाँ थीं |

गैलीलियो गैलिली की शिक्षा


गैलिलियो एक तेज बुद्धि वाला बालक था, वह छोटे-छोटे उपकरण और मशीन के पुर्जे बनाने का खेल-खेला करता था | उनके पिता ने अपने बेटे की प्रतिभा को पहचान लिया और उसको कला संकाय के छात्र के रूप में पीसा विश्वविद्यालय में दाखिल करा दिया |

यह सन् १५८१ की बात है , उसका ध्यान रेखागणित (ज्यामिति) की ओर लग गया, और यहीं से उसकी रुचि आर्कमिडीज की पुस्तकों के प्रति हो गई |

गैलिलियो ने अनेक प्रयोग करके दूरबीन (Telescope) तैयार कर ली | वहाँ के विश्वविद्यालय ने उसको पुरस्कार स्वरूप पेडुआ (Padua) में आजीवन प्रोफेसर का पद प्रदान किया, उनके वेतन में शत-प्रतिशत वृद्धि भी कर दी गई | गैलिलियो के नये उपकरण को देखने के लिए प्रत्येक नागरिक उत्सुक रहता था, सन् १६११ में गैलिलियो ने रोम में अपनी दूरबीन का प्रदर्शन किया, वहाँ उसको सम्मानित किया गया |

गैलीलियो गैलिली की खोज | गैलीलियो गैलीली के आविष्कार |Galileo ke avishkar


सन् १६०८ में एक डच (हालैण्डवासी) उपकरण निर्माता ने एक दूरबीन बनाई जिससे अन्तरिक्ष मे देखा जा सकता था, मगर चर्च ने उसको शैतान का उपकरण घोषित कर दिया |

दूरबीन द्वारा देखकर गैलिलियो ने पुष्टि की की चन्द्रमा की भाँति शुक्र ग्रह की भी कलायें होती हैं | उन्होने सूर्य के धब्बे देखे, उनका अध्ययन किया और कहा कि सूर्य भी घूमता है | उन्होने बृहस्पति ग्रह के चन्द्रमा देखे तथा आकाश में घटित होने वाली अन्य अनेक चमत्कारिक घटनायें देखीं |

गैलिलियो ने अरस्तू के कई सिद्धान्तों का विरोध किया, उन्होंने यह प्रमाणित कर दिया कि ऊँचाई से गिरने वाली वस्तुओं की गति उनके भार के अनुपात में होती है |

इसके बाद गैलिलियो के सिद्धान्त प्रकाशित होने लगे, उन्होंने यंत्र विद्या, गति विज्ञान, विश्व की बनावट, ध्वनि, प्रकाश तथा रंग पर लगातार कई पुस्तकें लिख डालीं | उनकी पुस्तकों में व्यक्त विचारों ने चारों ओर सनसनी पैदा कर दी थी |

अन्ततः गैलिलियो ने अपने उपकरण का श्रेष्ठ रूप तैयार किया और जिसके द्वारा खगोल सम्बन्धी जानकारियाँ प्राप्त की, जिन्होंने दुनिया को आश्चर्यचकित किया और खगोल विज्ञान में क्रान्तिकारी परिवर्तन किये |

गैलिलियो ने अपनी खोजों द्वारा दुनिया में क्रान्ति ही उत्पन्न कर दी थी, जैसे चन्द्रमा पर पर्वत, प्लीजडीज (Pleiades) के नक्षत्र, बृहस्पति के उपग्रह, शुक्र पर अर्द्धचन्द्र की स्थिति, शनिश्चर पर रिंग तथा सूर्य पर धब्बे ठोस पदार्थों के गुरुत्वाकर्षण केन्द्र तथा चुम्बकत्व पर उसके नये-नये प्रयोगों ने विश्व को चमत्कृत कर दिया था |

गैलीलियो की मृत्यु


नई शोधों के साथ ही गैलिलियो का विरोध भी आरम्भ हो गया था, गैलिलियो के विरोधियों ने उसके ऊपर नास्तिकता एवं पाखण्ड के आरोप लगा दिये |

उसके विवाद में गैलिलियो सफलतापूर्वक अपने शत्रुओं को परास्त कर देता था, परन्तु संकटों के अंत होने का सवाल ही नहीं था |चर्च भी उसका विरोधी हो गया था और पृथ्वी गतिमान है” – गैलिलियो के इस सिद्धान्त ने चर्च को उसका जानी दुश्मन बना दिया | उन दिनों Ptolemy द्वारा प्रतिपादित यह सिद्धान्त मान्य था कि “पृथ्वी स्थिर है और अन्य ग्रह-नक्षत्र उसके चारों ओर घूमते हैं”

सन् १६१६ में कार्डीनल कालेज (College of Cardinal) ने गैलिलियो को दोषी घोषित किया और उसको दण्डित किया | इतना ही नहीं उनको इस बात के लिए भी विवश किया कि वह अपने सिद्धान्त का भी खण्डन कर दे | इसी कारणो से उन्हे जेल मे ९ वर्षो तक रहना पड़ा | जेल में वह अंधे हो गया थे और ८ जनवरी, १६४२ को गैलिलियो की मृत्यु हो गई |

गैलीलियो गैलिली पुस्तकें


द डायलॉग ऑफ टू द प्रिंसिपल सिस्टम्स ऑफ द वर्ल्ड (१६३२ में प्रकाशित)

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