...

33 करोड़ देवी-देवता की कहानी । 33 Karod Devi Devtaon Ki Kahani

33 करोड़ देवी-देवता की कहानी । 33 Karod Devi Devtaon Ki Kahani

एक सेठ सेठानो हा । वे भगवान का भक्त हा । बेक कोई परिवार कोनी हो, बेको अब बुढापो आवन लाग्यो । जणा सेठानी बोली सेठजी अब म्हारो सूं काम कोनी होवे । जणा सेठजी बोल्या आपने तो बेटो कोनी बिन बेटे क बहू आपण ने कुण देसी, जद सेठानीजी बोली आपना कणे धन बहुत है| धन का लालच्यास बहु आतक, जणा सेठानी एक थैला म हीरा मोती भर दिया और उपर आटो घाल दियो और बोली कोई चोखी छोरी दिख बीक लार चला जाइजो, सेठजी लेकर निकलग्या एक जगा छोरिया खेलरी ही, सब छोरया तो आपका माटी का घर बनार मिटा दिया पन एक छोरी बोली आपाती बनयाडा घर कोनी बिगाड़ा । सेठजी रे मन में बी छोरीरी बात जचगी ओर बीरे लार लार घर चलयागा और घरे जाय बोल्या आज म थाके अठे जीमुं पण मे म्हार आटा री रोटी खाऊं और थैलो पकड़ाए दो । थैलो जणा खाली करी तो हीरा मोती जगमगा चह । सेठजी जीमण बोल्या । थाकी छोरी से म्हारा बेटा को ब्याव कर दो । म्हारो बेटो दिसावर रेव । तलवार सुं ब्याव कर दियो । पेली तलवार सूं ब्याव कर दिया करता हा । सेठजी के बहू अएगा अच्छा घरा री ही । अच्छे से सगड़ो काम करती और सास समुर री सेवा करती । एक दिन घर म आगी बुझगी तो बहूं पाडोसन क गई तो पाडोसन बोली अलूनी बहुं न आगी घालो, जणा बा बोली अलूनी क्याण ? पाडोसन बोली थारे कोई धणी कोणी । सेठ सेठानी थाने थानें छल स ब्यार लाया है । वा वो दिन रसोई म लुग कोनी घाली और सास समुर री सेवा आज ठीक से कोणी करी, जणा सेठ सेठानी आपस म बोल्या आज अपनी बहू न पराई सीख लगी ह, बोल्या बहू आज रसोई म लुण कोनी जणा बा बोली अलुनी बहू अलुनी रोटया करी ।

सेठजी समझग्या बोल्या महारो बेटो दिसावर रेवे । पण वा की मानी कोनी । जणा सेठानी बोली अब आपनी हसी होवगी तो सेठजी ने बोली आ धन का लालचस दिक सक जणा सेठजी बिन सातो कोणे की चाबी देकर गंगाजी नाव्हन चलागा, बा सगड़ो कोणे घोलर देखी, ६ कोण म तो अन्न धन का भंडार भरा हा और सातवा कोण म ३३ करोड़ देवी देवता , पीपल, पथवारी, तुलसी माता, गंगाजी की धार बे रही ही और एक छोरो पालना में झूल रयो हो । वा देखण पाछा कोण बंद कर दिया और दूसरा दिन सासु सुसरा न बोली थे लोग बार मत जावो आपरा तो घर म ही ३३ करोड़ देवो देवता विराजपान ह गंगा, जमुना पीपल, पथवारी, तुलसी सब हा और वा सातवा कोण ने खोलर दिखाई बठ भगवान आज इत्ता बरस की तप को फल आज दियो सेठ सेठानी न । एक कुंवर पालना म बैठयो हो, सेठ सेठानी वीने देखर राजी हुईग्या । और सब अच्छे से रेवण लाग्या फिर पाडोसन मिली और बोली थार धणी ने जात पुछजे । वा जात पूछी तो वो बोल्यो म्हारी जात मत पूछ पछतावेला पण वा मानी कोणी जणा वो बोल्यो लोटो भर पाणी ले घर आ वा पाणी लेवण न गई जणा वो सांप बनके परीडा में से निकलग्यो । घर म हाहाकार मचग्यो । थोडा दिन बाद गांव म रामलीला आई सगडा देखण न जावता एक महीनो रामलीला चाली पूरी हुई जणा सगडा बोल्या आपा जोडा से नाचाला जणा सब आपरे धणयारे साथ नाचन लाग्या वी बेला व कंवर भी आएगो और बहू रे साथे नाचन लाग्यो और बोल्यो अब तो जात नहीं पूछेला फेर वो सेठ सेठानी रो बेटो बनके रेवन लाग्यो और बेटा बहू खूब सेवा करन लाग्या हे कार्तिक का ठाकुराज दामोदरजी जैसा सेठ सेठानी ने हुस्या वैसा सगडा ने दुज्यो ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Seraphinite AcceleratorOptimized by Seraphinite Accelerator
Turns on site high speed to be attractive for people and search engines.