मेहंदीपुर बालाजी | Mehandipur Balaji Temple

मेहंदीपुर बालाजी
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मेहंदीपुर बालाजी | Mehandipur
Balaji Temple


हनुमान जी जिन्हें बल और बुद्धि का प्रतीक
माना जाता है
, सम्पूर्ण भारत वर्ष में पूजे
जाते हैं। अतुलनीय बलशाली होने के फलस्वरूप इन्हे बालाजी की संज्ञा दी गई।

वैसे तो सम्पूर्ण भारत में हनुमान जी के
अनेकों मंदिर है
, लेकिन कुछ
मंदिर ऐसे है जिनकी लोकप्रियता देखते बनती हैं। मेहंदीपुर बालाजी उन्हीं प्राचीन
मंदिरों में से एक है जो अपने आप में एक चमत्कारिक मंदिर है और जहां साल भर भक्तो
का तांता लगा रहता है।

मेहंदीपुर बालाजी हनुमान जी को समर्पित एक
ऐसा तीर्थ स्थल है
, जो
विशेषकर ऊपरी चक्कर
, भूत-प्रेत
बाधाओं के निवारण के लिए विश्व विख्यात हैं ।

मान्यता यह भी है कि जो भी भूत-प्रेत ,तंत्र-मंत्र
आदि से ग्रसित व्यक्ति इनके दरबार में आता है वह बालाजी महाराज की कृपा से स्वस्थ
होकर लौटता है।

कहां है मेहंदीपुर बालाजी

यह चमत्कारिक मंदिर राजस्थान के दौसा जिले के
पास दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। यह मंदिर दो पहाड़ियों के बीच की घाटी में
स्थित होने के कारण इसे “घाटा मेहंदीपुर” भी कहा जाता हैं। जयपुर से
करीब ११० कि.मी. दूर मेहंदीपुर बालाजी का ये धाम हनुमान जी के प्रमुख सिद्धपीठो में
गिना जाता हैं ।

मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास

मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास लगभग १००० वर्ष
पुराना है। कहां जाता हैं कि
, प्रारंभ
में यहां घनघोर जंगल था । यहां के
वर्तमान पुजारी श्री महंत जी के पूर्वजों को स्वप्न
में बड़ी अनोखी लीला देखने को मिली
, जिसमें
उन्हें बालाजी महाराज ने सपने में आकर तीन रूपों में दर्शन दिए और एक चमत्कारिक
मंदिर बनवाने की ओर संकेत किया । इस प्रकार वहां अरावली पर्वत पर तीन प्रतिमाएं
स्वयं उभर आयी जिन्हें हनुमान जी
, श्री
प्रेतराज और श्री कोतवाल कप्तान के स्वरूप के रूप में पूजा जाता है।

रहस्य की बात यह है कि हनुमान जी के सीने के
बाई तरफ बहुत छोटा सा छिद्र है जिसमे से निरंतर पवित्र जल का प्रवाह  होता रहता है
, जो बालाजी के चरणों के पास स्थित कुंड में एकत्र होता है
जिन्हें भक्तजनों को चरणामृत के रूप में दिया जाता हैं।

 

श्री प्रेतराज सरकार

बालाजी मंदिर में श्री प्रेतराज सरकार को
बालाजी के सहायक देवता के रूप में पूजा जाता हैं। प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं
को दण्ड देने वाले देवता के रूप में भी जाना जाता है। जहां बालाजी महाराज लड्डू से
प्रसन्न होते हैं
, वहीं
श्री प्रेतराज सरकार को चावल का भोग लगाया जाता हैं। इनकी पृथक रूप से कहीं उपासना
नहीं की जाती हैं और ना ही इनका पृथक रूप से कोई मंदिर होता है।

 

कोतवाल कप्तान भैरव देव

कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव शिव के अवतार है
और उन्हीं की तरह थोड़ी सी पूजा से ही खुश हो जाते है। भैरव देव बालाजी महाराज की
सेना के कोतवाल है इसलिए इन्हे कोतवाल कप्तान भी कहा जाता हैं। प्रसाद के रूप में
भैरव देव को उड़द की दाल के बड़े और खीर का भोग लगाया जाता हैं।

       

प्रसाद(भोग)

मेहंदीपुर बालाजी में प्रसाद (भोग) अलग-अलग
तरीके से अर्पित किया जाता हैं। पीड़ितों के लिए यह प्रसाद किसी वरदान से कम नहीं
है
, बालाजी के प्रसाद के लड्डू खाते
ही रोगी व्यक्ति झटापटाने लगता है
, चिल्लाने
लगता है
, अजब-गजब हरकते करने लगता है | जिसके बाद
उसे बालाजी की शरण में ले जाया जाता है जहां उसकी सारी परेशानी पूरी तरह से ठीक हो
जाती हैं।

यहां पर चढ़ने वाले प्रसाद को “दर्खावस्त
और “अर्जी” कहते है।

दर्खावस्त

मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त को
दर्खावस्त लगानी होती हैं। ये दर्खावस्त का प्रसाद मंदिर परिसर के आसपास किसी भी
दुकान पर मिल जाएगा । इसमें लड्डू
, बताशे
और घी शामिल होते हैं जो १०रू. के आते है । यह भोग पहले बालाजी को
, दूसरे
भैरव बाबा को और फिर प्रेतराज सरकार को चढ़ाया जाता है। इसके बाद दर्खावस्त अपने
ऊपर से उतारकर बाहर एक स्थान पर पशु-पक्षी के लिए डाल दिया जाता हैं। इसके बाद उसे
मुड़कर नहीं देखना चाहिए और न ही खाना चाहिए । भक्त को आने और जाने दोनों की
दर्खावस्त लगा लेनी चाहिए
, अगर समय
नहीं है तो एक ही बार में दोनों दर्खावस्त लगानी चाहिए।


अर्जी

किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए अर्जी
लगाई जाती हैं
, जिसमे बालाजी को लड्डू , भैरव
बाबा को काली उड़द और प्रेतराज सरकार को चावल का भोग लगाया जाता हैं। यह भोग ७:३०
से १२ बजे तक लगाया जाता हैं।

सवामणी

भक्तो की मनोकामना पूरी होने पर या पीड़ित के
ठीक होने पर सवामणी का भोग लगाया जाता हैं
, जिसमे हलुआ-पूरी एवं लड्डू-पूड़ी का भोग लगता है। इस भोग
को स्वयं दरबार में आकर लगाना चाहिए ।

          

राजभोग

यह भोग मंदिर में उनके ट्रस्ट द्वारा बालाजी
महाराज को लगाया जाता हैं और फिर दर्शन के पश्चात भक्तो को दिया जाता हैं। इस
प्रसाद को ही सभी भक्तो को खाना चाहिए ।


वर्जित कार्य

बालाजी मंदिर के कुछ अपने नियम है। वहां कुछ
कार्य ऐसे है
, जो
पूर्ण रूप से वर्जित है तथा मंदिर जाने वाले सभी भक्तो को ध्यान रखना चाहिए कि वे
भूल कर भी इन कार्यों को न करे -:

* मंदिर जाने के कम से कम एक सप्ताह पूर्व
लहसुन
, प्याज, अण्डा, मांस
का सेवन बंद करे।

* मंदिर से बाहर निकलते समय कभी भी पीछे
मुड़कर ना देखे खासकर प्रसाद का दौना उतारकर फेखने के बाद ।

* मंदिर में व उनके आसपास किसी से बात नहीं
करनी चाहिए और न ही किसी को छूने की कोशिश करनी चाहिए ।

* घर जाते समय वहां का प्रसाद या कोई खाने-पीने
की वस्तु साथ लेकर नहीं आए । मेहंदीपुर बालाजी से खाने-पीने की चीजे लाना अच्छा
नहीं होता
, कहते है ऐसा करने से ऊपरी बाधाएं हमारे साथ
घर चली आती हैं।

 

लोगो का सोचना है कि मेहंदीपुर बालाजी में
सिर्फ भूत-प्रेत से ग्रसित लोग ही आते
है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
मेहंदीपुर बालाजी आकर हर तरह के दु:ख तकलीफ दूर हो जाते है ।

।।जय बालाजी महाराज।।       

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