राम जन्मभूमि का इतिहास | Ayodhya | Ram Janmabhoomi

%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25AF%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%25A7%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE%2B%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%2B%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B0

अयोध्या – Ayodhya

कहानी राम जन्मभूमि की 


आज अयोध्या मे श्री राम जी की जन्म भूमि पर मंदिर के निर्माण
का कार्य शुरू होने जा रहा है
| पर क्या आप ये जानते है की ये विवाद २०० साल
से भी ज्यादा पुराना है
| भारत के आजाद होने के बाद से ही इस
विवाद ने कोर्ट कचहरी के चक्कर काटे
| और आज कही जाकर ये विवाद
समाप्त हुआ
|

आइए जानते है की आखिर कितनी मूश्किलों के बाद यह अयोध्या विवाद
समाप्त हुआ है
|

मुसलमान यह कहते थे की यहा ५०० वर्ष से मस्जिद है, इसलिए
इस पर समझौता नही हो सकता है
, वही हिन्दू समुदाय का दावा है की
यह भगवान राम की जन्मभूमि है
|

विद्वानो और तथ्यो के अनुसार बाबरी मस्जिद को बाबर के आदेश पर
उसके गवर्नर ने बनवाया था
| पर हिन्दू समुदाए इस
स्थान को श्री राम जी की जन्मभूमि मानकर यहा पूजा व परिक्रमा करते थे और मुसलमान इसका
विरोध करते थे
, जिससे झगड़े होते रहते थे | माना जाता है की मुगल काल मे ही हिन्दुओ ने मस्जिद के बाहरी हिस्से पर चबूतरा
बना लिया था और भजन व पूजा शुरू कर दी थी
|

ब्रिटिश शासन ने शांति बनाए रखने के लिए चबूतरे और मस्जिद के
बीच दीवार बनाकर अलग-अलग कर दिया था पर मुख्य द्वार एक ही था
|  

१८१३ मे पहली बार मंदिर का दावा सामने आया | इस दावे
मे यह बताया गया की मुगल शासक बाबर ने १५२८ मे मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाया
| इस दावे के कारण पहली बार दोनों पक्षो मे हिंसा हुई |

उसके ४६ वर्ष बाद सन १८५९ मे ब्रिटिश शासन ने इस विवादित जमीन
पर तार के घेरा लगवा दी
|

१८८५ मे पहली बार निर्मोही अखाड़े के महंत रघुबार दास ने ब्रिटिश
अदालत से राम जन्म भूमि बताकर चबूतरे मे मंदिर बनाने की अनुमति मांगी मगर मुस्लिमो
ने चबूतरे पर मंदिर बनाने का विरोध किया
|

यह माना जाता है की सन १९३४ मे पहली बार विवादित जगह का एक ढांचा
गिराया गया था
, जिसकी मरम्मत अंग्रेज सरकार ने करवा दी थी | ब्रिटिश शासन मे पहली बार विवादित क्षेत्र के लिए हिंसा हुई |

दिसंबर १९४९ मे हिन्दुओ ने इमारत की मुख्य गुंबद के नीचे रामलला
की मूर्ति स्थापित कर दी और पूजा करनी शुरू कर दी
| जिसके बाद मुस्लिमो मे वहा
नमाज पढ़ना पूरी तरह से बंद कर दिया
|

जनवरी १९५० को गोपाल सिंह विसारद जी ने फैजाबाद की अदालत से
रामलला की पूजा के लिए अनुमति मांगी
| तब कोर्ट ने विवादित स्थल पर सभी के लिए बंद
रखकर सिर्फ पुजारी को पुजा की अनुमति दी
|

इसके बाद १९५९ मे निर्मोही आखाडा अदालत गया और जमीन पर अपना
दावा पेश करने लगा
|  

इसके बाद १९६१ मे वो इस विवाद को लेकर कोर्ट चले गए और यूपी
सुन्नी वफ़्फ़ बोर्ड ने मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया
|

१९८४ मे विश्व हिन्दू परिषद इस विवाद मे सक्रिय हुआ और राम मंदिर
निर्माण के लिए प्रदर्शन शुरू हो गया
|

१९८६ मे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मुस्लिम अधिनियम
पारित कर दिया और इसके कुछ ही दिनो बाद राम मंदिर के ताले भी खुलवा दिए गए
|

भारतीय जनता पार्टी ने मंदिर के लिए आडवानी जी के नेतृत्व मे
सितंबर १९९० मे मंदिर के समर्थन मे द्वारिका से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी
|

                    

६ दिसंबर १९९२ का दिन जब हजारो की संख्या मे हिन्दू समर्थक अयोध्या
पहुचे और विवादित ढांचे “एक धक्का और दो
, बाबरी मस्जिद तोड़ दो” के नारे के साथ गिरा दिया
|

वर्ष २००२ मे ये लड़ाई फैजाबाद से निकालकर इलाहाबाद हाईकोर्ट
पहुची
|  

कोर्ट के आदेश के अनुसार वर्ष २००३ मे पुरातत्व विभाग ने विवादित
स्थल पर खुदाई शुरू की
| जहा यह दावा किया गया की मस्जिद के नीचे मंदिर
के अवशेष मिले है
|

फरवरी २०११ मे मामला सुप्रीम कोर्ट पहुचा और ९ मई २०११ को सर्वोच्च
अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी
| और यह मामला आगे टलता रहा |

२९ जनवरी २०१९ को केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय का रूख करते
हुए विवादित स्थल के आसपास की ६७ एकड़ अधिग्रहित जमीन को उनके मालिको को लौटने की अनुमति
मांगी
|

मामले मे मध्यस्तता के लिए ८ मार्च २०१९ को उच्चतम न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश
एफ॰एम॰आई॰ कलीफुल्ला की अध्यक्षता मे एक कमेटी गठित की
|   

६ अगस्त २०१९ से सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद ४० दिनो तक
नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्णय लिया
|

१६ अक्टूबर २०२० को सभी पक्षो की बाते सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश
रंजन गोगोई ने सुनवाई खत्म कर हिन्दू पक्ष मे फैसला सुनाया
|

न्यायाधीश के तथ्य कुछ इस प्रकार से थे :

१.      हिन्दू पक्ष के पास विवादित ढांचे के बाहरी हिस्से का अधिकार
था
, जिसमे राम चबूतरा और सीता रसोई थी | वहा से जो पूजन
होता था उसकी दिशा गर्भगृह की दिशा मे होती थी
|

          

 २.     
विवादित ढांचे के मौउज्जिन ने १८५८ मे दाखिल एक शिकायत मे माना
था की गर्भगृह मे राम जन्मस्थान का प्रतीक सैकड़ो वर्षो से था और हिन्दुओ द्वारा पूजा
नियमित रूप से की जाती थी
|     
 

३.     
ऐसे कोई प्रमाण नही मिले, जिससे यह स्पष्ट हो सके की
सन १५२८ मे विवादित ढांचे के निर्माण के बाद १८५६ अर्थात लगभग ३०० वर्षों से भी अधिक समय तक वहा नवाज होती थी
|
                    

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *