धनतेरस पूजा विधि व कथा | dhanteras puja vidhi

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धनतेरस पूजा विधि | धनतेरस की कहानी | धनतेरस की कथा | dhanteras puja vidhi | dhanteras katha | dhanteras ki katha

धनतेरस पूजा विधि | dhanteras puja vidhi

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी धन त्रयोदशी के रूप में मनाई जाती है । यह दीपावली के आने के शुभ सूचना है । इस दिन धन्वंतरि के पूजन का विधान है । कहते हैं कि इस दिन धन्वंतरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर आए थे । इसलिए धनतेरस को धन्वतरि जयंती कहते है |

इस दिन घर के टूटे-फूटे पुराने बर्तनों के बदले नए बर्तन खरीदते हैं । इस दिन चाँदी के बर्तन खरीदना अत्यधिक शुभ माना जाता है । इस दिन वैदिक देवता यमराज का भी पूजन किया जाता है । यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के द्वार पर रखा जाता है । रात को स्त्रियाँ दीपक में तेल डालकर चार बत्तियाँ जलाती हैं । जल, रोली, चावल, गुड़ और फूल आदि नैवेद्य सहित दीपक जलाकर यम का पूजन करती हैं ।

धनतेरस की कहानी | Dhanteras Ki Katha


एक बार भगवान विष्णु लक्ष्मीजी सहित पृथ्वी पर घूमने आए । कुछ देर बाद भगवान लक्ष्मी जी से बोले – मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ । तुम यहीं ठहरो, परन्तु लक्ष्मीजी भी विष्ण जी के पीछे-पीछे चल दीं । कुछ दूर चलने पर ईख का खेत मिला । लक्ष्मीजी एक गन्ना तोड़कर चूसने लगीं । भगवान लौटे तो उन्होंने लक्ष्मी जी को गन्ना चूसते पाया । इस पर क्रोधित होकर उन्होंने श्राप दे दिया कि तुम जिस किसान का यह खेत है उनके यहाँ पर 12 वर्ष तक उसकी सेवा करो । विष्णु भगवान क्षीर सागर लौट गए तथा लक्ष्मीजी ने किसान के यहाँ रहकर उसे धन-धान्य से पूर्ण कर दिया ।

बारह वर्ष पश्चात् लक्ष्मीजी भगवान विष्णु के पास जाने के लिए तैयार हो गई परन्तु किसान ने उन्हें जाने नहीं दिया । भगवान लक्ष्मी जी को बुलाने आए परन्तु किसान ने उन्हें रोक लिया । तब विष्णु भगवान बोले – तुम परिवार सहित गंगा-स्नान करने जाओ और इन कौड़ियों को भी गंगाजल में छोड़ देना, तब तक मैं यही रहूँगा । किसान ने ऐसा ही किया । गंगाजी में कौड़ियाँ डालते ही चार चतुर्भुज निकले और कौड़ियाँ लेकर चलते को उद्यत हुए ।

ऐसा आश्चर्य देखकर किसान ने गंगा से पूछा – ये चार हाथ किसके हैं ? गंगाजी ने किसान को बताया कि ये चारों हाथ मेरे ही थे । तुमने मुझे कौड़ियाँ भेंट की है, वे तुम्हें किसने दी हैं ? किसान बोला – मेरे घर में एक स्त्री पुरुष आए हैं । वे लक्ष्मीजी और विष्णु भगवान है | तुम लक्ष्मीजी को मत जाने देना, नहीं तो तुम पुनः निर्धन हो जाओगे ।

किसान ने घर लौटने पर लक्ष्मीजी को नहीं जाने दिया । तब ने किसान को समझाया कि – मेरे श्राप के कारण लक्ष्मीजी भगवान तुम्हारे यहाँ बारह वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही हैं । फिर लक्ष्मीजी चंचल हैं । इन्हें बड़े-बड़े नहीं रोक सके । तुम हठ मत करो । फिर लक्ष्मी जी बोलीं – हे किसान ! यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो कल धनतेरस है । तुम अपना घर स्वच्छ रखना । रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना । मैं तुम्हारे घर आऊँगी । तुम उस वक्त मेरी पूजा करना परन्तु में अदृश्य रहूँगी । किसान ने लक्ष्मीजी की बात मान ली और लक्ष्मीजी द्वारा बताई विधि से पूजा की । उसका घर धन-धान्य से भर गया । इस प्रकार किसान प्रति वर्ष लक्ष्मीजी को पूजने लगा तथा अन्य लोग भी उनका पूजन करने लगे ।

धनतेरस के लिए यमराज जी की कथा


एक बार यमदूतों ने यमराज को बताया कि – महाराज ! अकाल मृत्यु से हमारे मन भी पसीज जाते हैं । यमराज ने द्रवित होकर कहा – क्या किया जाए ? विधि के विधान की मर्यादा हेतु हमें ऐसा अप्रिय कार्य करना पड़ता है ।

के लिए यमराज जी की कथा

यमराज ने अकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा – धनतेरस के पूजन एवं दीपदान को विधिपूर्वक अर्पण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल सकता है । जहाँ-जहाँ, जिस-जिस घर में यह पूजन होता है वहाँ अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है । इसी घटना से धनतेरस के दिन धन्वंतरि पूजन सहित यमराज को दीपदान की प्रथा का प्रचलन हुआ ।

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