हरतालिका की कहानी | Hartalika Teej Ki kahani

हरतालिका की कहानी | Hartalika Teej Ki kahani

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एक दिन शंकर पार्वती कैलाश पर बैठया हा । पार्वतीजी शंकरजी न पूछया कि सगला बरतां म किस्यो अच्छो है । जिम कष्ट कम ओर पुण्य ज्यादा । इस्यो बरत म्हने बताओ । शंकरजी बोल्या नक्षत्र म चन्द्रमाजी श्रेष्ठ, ग्रहण में सूर्यग्रहण श्रेष्ठ, नदियां म गंगाजी श्रेष्ठ, ज्यान ही बरतां म हर तालिका तीज को बरत श्रेष्ठ है। ओ बरत तू लारला, जन्म म हिमालय की कन्या ही जणा करी ही । जिको म्हे थन मिल्यो । तू इतरी तपस्या करी ही । १४ बरस तक झाड़ का सुखा पत्ता खाई । ठण्डी, बरसात, धुप सगला सहन करया । बी कारण थारा पिताजी न बहुत दुख हुयो बे बोल्या की इसी कन्या कीन देवणी नारदजी आया जणा हिमालाय नारदजी न पूछया । नारदजी बोल्या तू थारी कन्या। विष्णु भगवान न दे दी। बीक लायक पति है। आही बात बतावण क वास्त म्ह आयो हूं। हिमालय न या बात सुणकर घणो आनन्द आयो । हांमल भर ली । नारदजी बठासूं निकलग्या। थारा पिताजी या बात म्हने बोल्या । पण थार ध्यान म बैठी कोनी ओर थन भोत रीस आई । थारी रीस देखकर थारी सहेल्यां रीस को कारण पूछयो । जद तू कयो कि म्हारे शंकर भगवान क सिवाय दूसरो वर करणो कोनी । यान को मारो दृण निश्चय है । इक विपरीत म्हारा पिताजी म्हने विष्णु भगवान न देणू चाव ह । वी की सहेल्यां बीन ज़ंगल म लेर गयी । जंगल म एक दिन ओर गुफा दिखी बीम तू स्नान करयो ओर लिंग की पूजा कर क प्रार्थना करी। बी दिन भादव सुदी तीज ही तू बरत करी । रात का जागरण करयों । बी पुण्य स्यूं हारो सिंहासन हिलग्यो और म्ह थन दर्शन दिया । थन वर मांगणे को क्यो । तू बोली म्हारा पति होव इक सिवाय म्हने ओर कोई वर मांगणो कोनी। म्हे बात मान ली ओर बठासू अन्तर ध्यान होयग्यो । दुज दिन बी पूजा की विसर्जन करयो । सहेल्यां क साथ पाठणो करयी । इता म थारा पिताजी बठ आया । थन म्हारा सुं ब्याव करणा को वचन दियो ओर थन लेर घर गया । थोडा दिना बात अच्छो मुहर्त देखर म्हारे साथ थारो ब्याव कर दियो । ई बरत सूं थारी इच्छा पूरी हुई । ज्यान ही भगवान सगलां की इच्छा पूर्ण करीजो । कहाणी केवन्ता सुणता हुंकारा भरबा वाला की इच्छा पूर्ण करीजो ।

हरतालिका व्रत


भादवा सुदी तीज म हर तालिका तीज आव । बी दिन लुगायां बरत कर । फराल वगैरहा की कोनी लेव । खाली दूध, चाय लेव । बालु रेत का महादेवजी बनाव और पार्वती गणेश जी समेत कूंकूं, चांवल, हल्दी, गुड, पान, सुपारी, अगरबत्ती, आरती, खजूर, घी की चिराग, पैसे पाणी का नारियल स्यू पूजा कर । ब्राह्मण कनस्यू [कनवु] कथा सुण शाम की टेम का न्हाकर पूजा कर । भजन कीर्तन कर ।

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