विनायक जी महाराज की कहानी – ५ (मारवाड़ी मे) | Vinayakjee kee kahaniya – 5 (In Marwari)

विनायक जी की कहानिया (मारवाड़ी मे)

Vinayak Ji Ki Kahaniya (In Marwari)

विनायक जी की व्रत कथा, विनायक जी की कहानी, विनायक जी की कथा , विनायक जी महाराज की कहानी

%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%259C%25E0%25A5%2580%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE

एक सावुकार हो बौक टाबर टूबर की कोनी हो । एक दिन गणेश जी बीका खेत म सू जाब हा। चार तिल्ली का दाना पांवड़ी (चप्पल) म आयग्या। गणेशजी बौल्या ई सावुकार क म्हन चार साल नोकरी करनू पडी। खेत म सू घांस काटणु शुरु कर दिया। साबुकार आकर पूछो अरे भाई तू कूण ह गणेशजी बोल्या म्ह थाको ही बेटो हूं। साबकार बौको नाम पूछो । वो बोल्यो म्हारो नाम गणश्यो ह। सावकार बोल्यों आपाक टावर-टूबर कोनी । चोखो आपान भगवान बेटो दियो।

सावकार बोन घर लेर आयो। लगाई न बोल्य देख आपान भगवान बेटो दियो है | गणेश्यो घर को, दुकान को, बार को सब काम करवा लाग्यो । सावुकार को मन भी बोत रामग्यों । एक बार सब गाव क लोग गंगाजी न्हावण जावण लाग्या | सेठानी बोली आपा भी तीरथ करर आवा। सेठ जी बोल्या मन तो फुर्सत कोनी । थान जाण ह टो थे जायो ओर गणेश्या न साथ लेर जायो । गणेश्यो ओर सेठानी दोनो शुभ मुहूर्त में तीरथ करण रवाना हुया।

सब लोग गंगाजी न्हावण लागया । सेठाणी भी न्हावण लाग्यी | पण गणेश्यो सेठानी को हाथ पकड कर मझधार में लेग्यो सेठानी बोली अरे म्हन डुबोई काई ? गणेश्यो बोल्यो नही मां कोई तीर पर कपडा धोब, कुल्ला कर, हाथ मुंडो धोव गंदगी रेव ई वास्त म थन मझधार में न्हुवायो। सेठानी आकार सब बाता घर में सेठ जी न बताइ । सेठ जो बोल्या काई गणेशया यो काम तू क्यान करयो ? गणेश्यो बौल्यो नहीं बाबाजी म्ह मां न मजधार मे नहवायो । सेठ जी बोल्या सेठानीजी था काम तो अक्कल कोनी गणेश्यो समझदार है ।

एक दिन सेठानी निपटकर आयी राख लेकर हाथ धोवा लागी । गनेश्यो मां को हाथ पकड लियो । सेठजी आज थाक बेटो म्हारो हाथ पकड लियो, यान सेठानीजी शिकायत करी । बोल्या काई रे गनेश्या तू आज मां को हाथ मरोठ दियो ? गणेश्या बोल्यो नहीं बाबाजी मां राख सू हाथ धोबा लागी राख में लक्ष्मी को बासो रेव। हाथ मट्टीसू धोणु । ई वास्त म्हे मां कों हाथ पकड्यो | सेठजी बोल्या सेठाणीजी थाकां म लखण कोनी गणेश्यो समझदार है |

एक दिन सेठजी गंगाजी की परसादी करण लाग्या। पंडित न मुहूर्त पुच्छयों। ओर होम की तैयारियां करी । सेठाणी न बोलया थे कपड़ा बदलर आवो। सेठाणी काली घाघरो काडयों काली बाचली काडी | इत्ताम सेठ जी बोल्या देर हों रही है गणेश्या होम को मुहर्त टल ह, थारी मां न बुलार ला । गणेश्यों मां न बुलाबण गयो । माँ काली कांचली साडी परौ हो । गणेश्यो फाड डाल्यो । सेठजी आया सेठानीजी जल्दी चालो । सेठानी बोली आज थांको बेटो इज्जत ले लियो। सेठजी पूच्छ पा काई रे गणेश्या तू मां की इज्जत क्यूं छियो ? जणा गणेश्यो बोल्यो नहीं बाबाजी होम म बेठ जणा केसरिया, कसूमल, गुलाबी पेर कर बेठणू | पण मां काली साडी, कांचली पेरी जिणसूं मह फाड दियो । सेठजी बोल्या सेठानी जी गणेश्यो समझदार है । थे जल्दी चालो, होम शुरु हो गयो पूजा शुरु हुयी । पंडित बोल्या गणेशजी की मूर्ति होणू । सेठजी बोल्या गणेश्या गणेशजो की मूर्ति ल्या । गणेशयो बोल्यो बाबाजी म्ह ही गणेशजी हूं। सेठजी न रीस आई सेठजी बोल्या इत्ता दिन मां सू मजाक करतो हो आज म्हारा सूं करे कांई ? सेठजी अठीण-बठीण की बाता मं लाग्या जित्तामं गणेशजी डूंड-डूंडयाला सूंड-सूंडयाला साक्षात रुप धार लियो। सेठजी गणेशजी का पगांम लुल्ग्या । म्ह तो थान पिछाण्यो कोनी अच्छो बुरो काम करायो । हलको भारी बोल्यो। गणेशजी जवाब दियो म्ह थांका खेत मं सू निकल्यो चार तिल्ली का दाना म्हारा पांवडी म आयर्या । म्हे चार साल थांक नोकरी करयो । अब महे म्हार घर जासूं । सेठजी बोल्यो थान जावण देव कोनी । लक्ष्मी गणेश म्हारा घर म सदा विराज मान रेणू । गणेश जी सेठजी का घर में बास कर लिया। भंडार भरपूर होयग्या ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *