पंचतीरथ्या की कहानी | Panchtirathya Ki kahani

पंचतीरथ्या की कहानी | Panchtirathya Ki kahani

एक ब्राम्हण की बेटी ही बा रोज ४ बजे ऊठर न्हावण जाती राजा को बेटो भी न्हावण आंवतो । वो सोचतो म्हे इत्तो जल्दी जाऊँ तो भी पाणी छेडयोडो मील । म्हारे पेली कूण न्हार जाव ? यान करतां करतां दिन निकल्या एक दिन वो छिपकर बेठग्यो । ब्राम्हण की बेटी न्हावण लागी वो आयो वा गडबड म माला और पगरख्या बठई ही भूलर घर चलेगी। वा पराया पुरुष को मुण्डो देखती कोनी ही । राजा को बेटो माला देख्यो वो बोल्या माला इत्तरी फूठरी है तो वा किती फूठरी होशी ।

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पाप की दृष्टी धर ली। वा आपक घर गयी बाप न बोली कि राजा को बेटो म्हारी माला लेर गयो थे लार देवो । बी को बाप राजा का बेटा क कन गयो और बोल्यो म्हारी बेटी की माला देवो। रजकूमार बोल्यो थारी बेटी न ५ रात म्हारा महल म भज तो माला देवूं नहीं तो फाँसी को हुकुम देवूं । बाप सुस्त होर घर म चुपचाप बैठग्यो बेटी पूछी कांई हुयो । बाप बोल्यो राजा को बेटो थन ५ रात के लिए बीक कन छोडन बोल्यो हैं । बा बोलो कोई साक्षीदरा बैठा दो ज्यो म्हारी साक्षीभर । एकादशी की रात बो खूब फुला की सेज बीछाई और प्रतिक्षा करण लाग्यो । रात की ११ बज्यां वा सगलो श्रृंगार करी बालां म मोती सारया । माला लीवी पूजा को सामान लीवी और बोली थारी पेडयां पग धरु हं। पापी हत्यारा की पेडी पर पाँव कीनो धरुं। तू म्हारो सत राखीजै । बीन नीन्द अजाइज्यो । पहले तो वो जागतो हो और वा गई कि बीन नीन्द आयगी |बा ४ बज्यां तक माला फेरती बैठी रही बीक ४ बज्यां न्हाणे को नेम हो वा सुवा न बोली सुवा सुवा सुवठा थारे पग नेबर साख भरीजे म्हारा देवर । पापी न के दीजै म्हारी एक रात पूरी हुई । वा गया पछ राजकुमार उठयो सुवा न पूछयो वा आयी ही कांई ।

सुवो बोल्यो हाँ आयी ही किसी क ही ? सुवो बोल्यो सावण केसी तीजली आमा जैसी बीजली थारे हाथ आवण कठे पड़ी है। बो बोल्यो हाल काँई हाल तो ४ रातां बाकी है । दूसरे दिन भी ११ बजे आयी और ४ बज्यां तक माला फेरती रही राजकुमार सूतो पडयो हो। न्हावण की टेम होयगी बोली सुवा पापी न कहदीजै म्हारी दो रात पूरी होयगी बा गयी बो उठयो उठ्या पछ सुवा न पूछयो बा आयी ही कांई सुवो जवाब दीयो कि हाँ आयी ही पण बा थारे हाथ कोनी आव| राजकुमार बोल्यो हाल ३ रातां बाकी है। तीजै दिन राजकुमार आपकी जाँघ कतर कर नमक भर लियो और त्राय त्राय कर । वा तो आपकी ११ बजयां न्हा धोर श्रृंगार करर आयगी बा आयी और राजकुमार न नींद आयगी । बा ४ बज्यां तक माला फेरती रही । ४ बज्यां न्हावण को टेम होयगी बा न्हावा न चली गयी राजकुमार उठर सुवा न पूछयो वा आयी ही कांई सुवा बोल्यो आयी ही पर थारे हाथ आबा न कठे पड़ी है। राजकुमार बोल्यो हाल २ रातां बाकी है। चौथी रात राजकुमार आंख्यां म मिरची घाल लियो और सगला डील म मिर्ची लगा लियो जलण सुं हाय हाय कर । नीन्द आयी कोनी।

बा तो रात का ११ बज्यां न्हा धोर श्रृंगार करर आयगी । बा आई और राजकुमार न नीन्द आयगी । बा ४ बज़्यां तांई माला फेरती रही और न्हावण जांवती टेम सुवा न बोली म्हारी साख भरीजे पापी न कइज़्ये म्हारी ४ रातां होयगी है। बा गयी और वो उठयो और सुवा न पूछयो वा आयी ही कांई? सुवा बोल्यो वा आयी ही पण थारै हाथ कोनी आव । पांचवी रात वो सुईयां की सेज बिछादी । पासवाडो फेर और राजकुमार न सुईयां चुभ । तकलीफ घणी होरयी ही । नीन्द आई कोनी बा रात का ११ बज्यां नहा धोर श्रृंगार करर भगवान का चरणां म हाथ जोडर प्रार्थना करी कि म्हारी आज लाज राखीज्ये । पापी न नीन्द आजाईज्यो । बा गयी राजकुमार न नीन्द आयगी वा ४ बज्यां तांई माला फेरती रही । सूुवा न बोली देवर तू म्हारी साख भरीजे । सुवा बोल्यो आज तांई म्हें थारो देवर हो आज सुं म्हें थारो धरम को भाई हूं । वा न्हावण न गयी राजकुमार उठयो । सुवा न पूछयो वा आयी ही कांई ? सुवो बोल्यो आई ही थारा हाथ आवण वा कठ पडी है । राजकुमार बोल्यो आजसुं म्हें बीन धरम की बेन बणाणूं। सगला गांव म डिंडिरो पीटा दियो। एक चुन्दडी और माला पेली की और एक नई माला और मंगा दी । ब्राह्मण की बेटी न चुन्दडी ओढाकर माथ हाथ फेर कर धरम की बेन बणायी । भगवान वीको सत राख्यो ज्यान सबको राखिज्यो|

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