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विनायकजी की कहानी – १५ (मारवाड़ी मे) | Vinayakjee kee kahani – 15 (In Marwari)

विनायक जी की कहानी (मारवाड़ी मे)

Vinayak Ji Ki Kahani (In Marwari)

विनायक जी की कहानिया, विनायक जी की कथा, विनायक जी महाराज की कहानी , विनायक जी की व्रत कथा

एक ब्राम्हण हो रोज दिनुगा जल्दी उठतो गणेश जी की पूजा करतो एक दिन ब्राम्हणी बोली थे पूजा करो जित्त देर हो जाव आज पूजा मत करो म्हने भूख लागी है ब्राम्हण बोल्यो म्हे गणेशजी की पूजा करया बिना कोनी जोमुं । दुजा दिन ब्राम्हण न्हावण गयो जणा ब्राम्हणी गणेशजी न उठार पेटी म रख दियो ब्राम्हण आयो पूछो म्हारा गणेशजी कठ ह ? बा बोलो म्हन मालुम कोनी दोन्यां की खुब लड़ाई हुई बा रिसार सोयग्यो ब्राम्हण भी गणेशजी की पूजा नहीं होणे सु जीम्यो कोनी | यान ही दो तीन दिन निकलग्या | गणेश जी बोल्या म्हारो भगत भूखो ह, गणेशजी पेटी मं सं खुब हस्यां ब्राम्हण बेन पेटी मं सूं निकाल्यो रोज क ज्यान गणेशजी की पूजा करी। गणपतीजी खूब खुश हुया ब्राम्हणी न खुब आनंद हुयो । बा गणेश जी क पगा पडी, क्षभा मांगी, मोदक का लाडू बनाया भौग लगायी, आरती करी ओर भोजन करया । ओर नेम सु पूजा करण लाग्या । गणेश जी ब्याने तुष्ठ मान हुया ज्यान सबन होइजो ।

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