सुरजजी की कहानी – ५ (मारवाड़ी मे) | Surajji kee kahani – 5 (In Marwari)

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सूरजजी की कहानी

Surajji Ki Kahani

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एक गवालो हो गांया चरावंतो हो बीम एक सूरज भगवान को सांड आवंतो हो । बो भी चरण जावंतो । एक दिन मां बोली ओ सांड कीयो ह ? ई की चराई का पैसा कोनी आया । गवालो बौल्यो मां म्हन मालूम कोनी कि ओ कीको हे मा बोली इक साथ-साथ चलयो जा गवालो साथ साथ चलेग्यो सूरज जो की पोख म जार उ बो रेयम्यो । सूरज भगवान मायन सु पुच्छया वार कूण ह ? गयालो बोल्यो महाराज म्ह हूं सांड की चराई मांगु हूं सूर भगवान यांन बोल्या सूपडो भर सौना का जी घाल देबों बो लेकर आयों। बो पिछान्यो कोनी कि सोना का जौ काई रेव।

बो बारन आर अंगार समझर ऊधार चलेग्यों घर गयो मा बौली चराई लायो कोनी ? बेटो बोल्यो मां कामल म अंगार घाली लाल लाल ही म्ह बठ हो न्हा कर आयग्यो मां जाण्यो कामल बलगी तों कोनी ? देखन लागी । दो चार सोना का जौ छाग्योडा हा । मां बोली आपांका तो दलिदर दूर हो जाता दूज दिन गवालयो फिर गयो सूरज भगवान बोल्या बार कृण ह ? गवालो बोल्यो महाराज म्हे हूँ मांयन सु सूरज भगवान बोल्या सूपडो भरर हीरा मोती घाल देवों गवाल्यो समझयो कोनी। कीडयां कागला न भाटा मारतो घर गयो दो चार बचग्या । मां बोली बेटा काई लायो ? गवाल्यो बोल्यो मां ए भाठा दिया। मां बोली बेटा ए तो हीरा मोती है । दूज दिन मां बोली बेटा आज जाव जणा सूरज भगवान न कईजे म्हारी मां बूढी है । सीधा भोजन होव ज्यान की चीज देवो ।

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दूज दिन गवाल्यो गयो । सूरज भगवान बोल्या भरे भाई कूण ह ? महाराज गवाल्यो हूं । अरे थन काल दियो परसूं दियो रोज रोज काई ह ? महाराज म्हे तो पिछाण सक्यो कोनी और फेक दियो म्हारी मां तो बुढ़ी ह सीधा भौजन हुवज्यान की चीज म्हन दे देवो सूरज भगवान मांयन सु बोल्या गवाल्या न कढ़ाई ओर कुंचो दे देवो सूरज भगवान गवाल्या न बोल्या न्हा धोकर कंवाडी (बछडी) गाय को गोबर छाकर नीप कर, सूरज भगवान को नाम लेकर रसोई चढादीज जो तू बोली झिकी रसोई तैयार हो जाई । वो न्हा धोर रसोई चढाव भगवान मनचाही चीज बना जाव एक दिन गवाल्या की मा बोली बेटा आपा संसारम आकर की भी कोनी करया एक बार नगरी न जिमावां बेटो बोल्यो मां अच्छी बात ह । सारा गाँव न न्योतो दे दे, कई छोग हंस्पा खावण तो दाणा ही कोनी कांई को जीमाई ।

कोई थोल्या अव ठीक हुयो ह कोई हसी उडावन जीमन गया, कोई देखन गया, परीक्षा करण गया बेटो न्हायो धोयो बछडी को गोबर लेर नीपा पोता करर सुरजजी को नाम लेकर रसोई चढा दियो। छत्तीस सालना बत्तीस भोजन बनग्या । खीर की कढ़ाया भरगी। लोग जीमन आया खुब पेट भर जीमया, खूब चोरी करथा, खुब झूठों न्हा क्या सो भी रसोई नीठी कोनी। लूगाया केवण लागी आज गवाल्यो ऐसो जिमायो कि कदई गांव को राजा भी कोनी जिमायों । राणी महेल मं सु उभी उभी सुणली। ओर रोसा कर बेठगी । राजाजी आया राणीजी रुस्या कयू ? रानो बोली थाकी लोग निंदा कर ह । केव गवाल्यो इशो जिमायो कदई गांव को राजा भी कोनी जिमायो राजाजी बोल्या किशों गवाल्यो काल गायां चरातो जिको काई । राजाजी नौकरा न भेज्या गवाल्या न बुलार लावो गवाल्यो आयो राजा पूच्छया इत्तो धन कठसु लायो गवाल्यो बोल्यों म्हन तों सूरज भगवान दिया है। म्हे कोंनी जिमायों गांव न तो सूरज भगवान जिमाया है और बेन हकीका को राजाजी बोल्या इशों कडावलों ओर कुंचों रजवाडा म सौंव तू काई करी नौकर जार लेर आयग्या राजाजी दूज दिन सगला गांव म न्यूतो दियों सगला गांव की लकडया जला दी तो भी की बन्यों कोंनी दोंफार होंयगो कडाई म पाणी घाल और छम्म हों जाव की बन्यों कोंनी दोफार दिन चढग्यों राजाजी बोल्या गवाला न बुलार लाओ | राजाजी बोल्या आज म्हाकी लाज रख दे नगरी न्यूतोडी है । जिमां दे । काल कुंचो कडावलो थार घर ले जाइजे । गयालों न्हायों धोयों नींपा पोतां करयो सूरज भगवान को नाम लेर रसोंई चढा दियों। छत्तीस साडना बत्तीस भोंजन होंयग्या । सगलों गांव जीम लियों । घणोंई प्रसाद बचयों सागला न बांटयो कुची कडाकली गवाल्यी आपक घर लेर चलो गयी । भगदा बीन दियो पान सबन दीजी |

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