पथवारी की कहानी – ५ (मारवाड़ी मे) | Pathwari ki Kahani – 5 (In Marwari)

पथवारी की कहानी (मारवाड़ी मे)

Pathwari ki Kahani (In Marwari)

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Pathwari Ki Kahani

एक डोकरी ही बा एकली ही। टाबर टूबर कोई कोनी हो । पथवारी माता की पुजा करती ओर बोलती हे पथवारीमाता म्हन गूदडा रखवालो दीजे । घणा दिन होयग्या । पथवारी माता कियो होकरी न टाबर देणु (गूदडा रखवाली) एक मींडकों रोज डोकरी क बारण जार बेठ जातो। सगलो काम कर देतो यान करता करता घणा दिन होयग्या बी गाव की राजा की लड़की को स्वयंवर होबा लाग्यों मीडकों बोल्यों मां म्हे भी देखण जावं । डोंकरी बोली इत्ती भीड म कठई चिंथीज जाई । बों बोंल्यों नहीं मां म देखण जऊँ सबक साथ जाकर बेठग्यों राजा की लड़की जयमाला लेकर निकली घूमतीं घूमती बी मीडका न हार पिरादी लोंग बोल्या बाई भूलगी लोग जयमाला काढर मीडका न बार काढ दियो दूजी बार पाछी जयमाला लेर फिरो फिरती फिरती पाछी बार जार मीडका न ही पिराई लोग बोल्या ई बाई क ओ मींडकों ही वर लिख्योडों है । राजा खुब धन दायजों दियों । हाथी घोडा रथ पालकी दियों। मींडको बिदारई लेर बींदणी परणार घर रवाना हुयों । डोकरी लोगन पूछी म्हारों मींडको दिख्यो काई बो कठ है ?

लोग बोल्या थारों मीडको बहु लेर आव ह । या बोली क्यूं मजाक उडावो हो । जित्ता म तो मीडको बहु लेर आर पूग्यों । राजी खूशी रेबा लाग्या । डोकरी न चिंता होबा लागी ओंकाई लगाई सु बात करतो होशी ? एक दिन पंथवारी माता न बोली हे पथवारी माता म्हारो सत् तू राखीजो | बहु न पूछी ओ क्यान रेव ह ? बहु बोली ओ दिनका मीडको ओर रात का मोटयार हो जाव । डोकरी दूज दिन ध्यान राखर बा मीडका की खोली उतार लाई खोली न जला दी । वो सागे बेटा को रुप धार लियो । हे पंथवारी माता बीन गूदडा रखवालो दियो ज्यान सब न दीजो ।

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