अनंत चौदस की पूजा | गाज माता की पूजा | Gaaj Mata Vrat Kathaa
भादवा सुदी चौदस न अनन्त चौदस बोल । बी दिन ही गणेशजी का विसर्जन हुव । बी दिन ही मोटयार अणत अनन्त बांध । चौदस को सारा मोटयार बरत करणू बरत करण क बाद उजेवणो करणो । बी दिन ही लुगायां गाज माता की पूजा कर ।
माटी का भील भीलणी बणाव एक बच्चो बनाणू भील भीलणी क ऊपर एक छोटो सो टोकरो रखणू कपडा पिराणा भील न सफेद और भीलणी न लाल कपडा बच्चा न सफेद जवारी का आखा टोकरी म घालणू । छोटो घांस लगाणू । कूंकूं, चांवल, हल्दी, मोली, फुल, धुप, सुषारी, पैसा, दीपकस्यू पूजा करणू । रोट बनाणू शक्करस्यू भील-भीलणी क भोग लगाणू ।
उजेवणो करणो हो तो सीरो, पूडी, रोट बनाणू । चौदा लुगायां और एक साखीदार न जीमाणू एकांसणो करणू । लुगायां न शक्ति सारु देणू अनन्त भगवान की आरती करणू ।
गाज माता व्रत कथा
एक भील भीलणी हा भील भीलणी जंगल म गया बी दिन इन्द्र की अप्सरा गाजमाता को पूजा करण आई पूजा करी खूब रोटा जवारों का आखा, पैसा, पान, सुपारी, भीलणी न दिया क्यूकि जंगल म ब्राह्मण कोनी मिल्यो, भीलणी बहोत प्रसन्न हुई आवतां आवतां एक हिरण को शिकार करयो वो भी टोकरा म रख लियो घर आकर देखी तो गाज माता की किरपास्यू सोना का रोटा, सोना का हिरण, मोत्यां का आखा, सोना की सुपारी होयगी टोकरो भारी वजनदार होयग्यो और उतरण कोनी लाग्यो भीलणी क अब कांई कमी बा तो राजा की राणी होयगी विश्या ही कपडा पहरबा लागगी। बी गांव की धोबण राजा की राणी और भीलणी का कपडा धोवती थी। दोन्यां का कपडा एकसा ही हा । एक दिन राणी ओर भीलणी का कपडा एक दुसरास्यू बदलग्या राजा की राणी का घाघरा न जरी को नाडो और भीलणी का घाघरा क सादो नाडो हो । राजा की राणी कपडा फेरण लागी तो धोबण न बोली म्हारा कपडा क्यान बदलग्या म्हारे ज्यान का कपडा फेरण वाली ई गांव म कूण है? धोबण बोली राणीजी एक तो थांका और दूजा भीलणी का कपडा है। राणी पूछी किसी भीलणी काल तक गायां बकरियां चराती बा कांई ? धोबण बोली हां राणीजी वा ही भीलणो । राणी भीलणी न बुलावो भेज्यो । भीलणी आई राणी भीलणी न पूछी कि थारे इत्तो धन कठास्यू आयो । भीलणी बोली राणीजी म्हने तो इन्द्र की अप्सरा गाज माता को पूजा करण आयी थी जी की म्हने धन दियो हैं। राणी बोली ईसी थांरी गाज माता सांची है तो म्हारे बेटो कोनी। म्हारे बेटो होणूं जदे म्हे सांची जाणूं। भीलणी काचा सूत को धागो राणी क बांध दियो । मानता करी कि हे गाज माता म्हाकी राणी क कंवर हुयो तो थारी पूजा करसी । गाज माता की किरपास्यू राणी गर्भवती होयगी और नवां महिने लड़को हुयो| संगलां न खूब आनन्द हुयो । पाछी गाज माता आयी जणा रानी भीलणी न बोली कि म्हने गाज माता को उजेवणो करणो है । भीलणी बोली राणीजी गाज माता क रोटा करो १४ लुगायां जीमावो गाज माता की पूजा करो। पडोसण आई गाज रोटा करया बा पूछी राणीजी थे कांई रसोई करया । राणी जवाब दी कि गाज रोटा बणाया हा। बा बोली राजा की राणी देश की धीराणी थान गाज रोटा ओप कोनी थे खावो तो टावर को पेट दुखी। ई वास्त चुरमो बणावो । राणी चूरमो बणायो आगे देखी तो चूरमा म लटटां कलबल करण लागी ईत्ता म हवा तूफांन जोरस्यू आयो और बच्चा समेत पालणो उठार भीलणी क घर टांग दियो। गाज माता रुठगी। राणी देखी तो पालणो समेत टाबर कोनी सगलां ढूढ़न लाग्या राणी रोवण लागी राजकुमार कठ भी कोनी मिल्यो । राणी बोली भीलणी न बुलावो राजा क नौकर – चाकर भीलणी क घर गया। आग देख्या तो भीलणी क अठ झूला समेत राजकुमार भीलणी क खेल हो । भीलणी राणी न बोली राणीजी थे गाज माता को अपमान करयो ई वास्ते यान हुयो। बच्चा न घर लेर आया । दूजी साल राणी पाछो बरत करयो और राणी क एक बेटो हुयो । राणी आनन्द के सागे गाजा बाजास्यू गाज माता को उजेवणो (उध्यापन) करायो । लुगायां जीमर आशीष दिवी। गाज माता राणी क बेटो दियो जयान सबन कहानी केवण वालांन, हंकारो भरबा वालां न और सुणवा वालांन दीज्यो ।