Laxmi Mantra
|| लक्ष्मी मंत्र ||
धन लाभ के लिए महालक्ष्मी की वैदिक और तांत्रिक उपासना बहुत कारगर होती है, जो साधक विधि पूर्वक महालक्ष्मी के मंत्रों का पुरश्चरण करते है, उन्हें धन की कमी नहीं होती।
महालक्ष्मी के मुख्य दो मंत्र हैं –
ॐ ऐ हीं श्रीं क्लीं हसौ: जगत् प्रसूत्यै नमः ||
ॐ श्रीं हीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री हीं श्रीं महालक्ष्म्ये नमः ।|
इन दोनों मंत्रों का पुरश्चरण नियम से किया जाय तो धन का संकट दूर होता है और व्यापार धंधे या किसी भी व्यवसाय में सफलता मिलती है जो साधक खुद इस मंत्र का पुरश्चरण कर सकते हैं, उन्हें स्वयं ही इसे करना चाहिए जो साधक इसे खुद नहीं कर सकते वे किसी योग्य विद्वान से इसे करा सकते हैं।
इस पुरश्चरण के साथ पीठ न्यास, ऋषिन्यास, अङ्गन्यास और करन्यास का विधान करना पड़ता है। इसके साथ ही १२ राशियों, नौ ग्रहों, आठ दिग्गजों और दिकपालों का पूजन किया जाता है। पहले मंत्र की जप संख्या १२ लाख है। इसका पुरश्चरण करने पर असंभव काम भी पूरे हो जाते हैं।
जप पूरा होने पर इसका दसवां हिस्सा श्रीफल या कमल से हवन किया जाता है। फिर सुगंधित पवित्र जल से जगदंबा महालक्ष्मी का तर्पण किया जाता है।
पुरश्चरण के समय महालक्ष्मी का निरंतर ध्यान करतें रहना चाहिए।