पति वशीकरण मंत्र | पति वशीकरण तंत्र | Pati Vashikaran Mantra Tantra
गोरोचनं, योनि रक्तं, कदलीरस संयुतम् ।
एभिस्तु तिलकं कृत्वा पतीवश्यं करं परम् ।।
अर्थ – गोरोचन और योनि का रक्त केले के रस में मिलाकर इसका तिलक लगावे और अपने पति के सम्मुख जावे तो उसका पति वशीभूत हो जाता है ।
सफेद सरसों और अनार का पंचांग (फल, फूल, शाखा, पत्ती, जड़) को एक में पीस कर अपनी योनि पर लेप करने से यदि स्त्री दुर्भगा (कुरूपा) भी हो तो वह अपने पति को दास के समान अपने वश में कर लेती है ।
कडुए तेल में मालती वृक्ष के फूल पकाकर इस तेल को यदि स्त्री अपनी योनि में लगाकर पुरुष से विषय-भोग करे तो उसका पति उसके ऊपर मोहित हो जाता है ।
गोरोचन, मछली का पित्त, मोरशिखा तथा शहद व घी, इन सबको मिलाकर स्त्री अपनी योनि पर लेप करके फिर जिससे विषय-भोग करे तो वह उसका दास हो जाता है तथा उसके सिवाय, सुन्दरी से सुन्दरी स्त्री की इच्छा कदापि नहीं करेगा । परीक्षित है ।
कुलथी, बिल्व पत्र, गोरोचन और मैनसिल, इन सबको बराबर भाग में लेकर तांबे के पात्र में सात रात तक सरसों के तेल में पकावे और फिर इस बने हुये तेल को योनि में लेप करके पति के पास जावे तो मैथुन भाव से कामासक्त होकर उसका पति दास हो जाता है, इसमें संशय नहीं ।
नीम की लकड़ी का धूप बनाकर उसी नीम की लकड़ी के धूप से योनि को धूपित करके जो स्त्री अपने पति से विषय करती है, वह उसे अपना दास बना लेती है ।
कांगनी, सौंफ, केसर, वंशलोचन, इन सबको घोड़े के मूत्र में लेप बनाकर योनि पर लेप करे । यह लेप पुरुषों को वश में करने वाला होता है ।