स्त्री वशीकरण तंत्र | Stri Vashikaran Tantra
खस, चंदन, शहद – इन तीनों चीजों को एक में मिलाकर तिलक लगाकर जिस स्त्री के गले में हाथ डाले वह स्त्री वश में हो जावेगी । यह साधन सब प्रकार की नारियों के लिए है ।
चिता की भस्म, वच, कूठ, केशर और गोरोचन, इन सबको बराबर-बराबर लेकर एक में पीस कर चूर्ण बना करके जिस स्त्री के सिर पर वह चूर्ण छोड़े, वह वश में हो जावेगी ।
चिता की भस्म, कूठ, तगर, वच और कुंकुम, यह सब एक में पीसकर स्त्री के सिर पर और मनुष्य के पाँव तले डाले तो जब तक वे जीते रहेगे तब तक दोनों एक दूसरे के दास बने रहेंगे ।
मनुष्य की खोपड़ी लाकर उसमें धतूरे का बीज रक्खे, फिर उसमें शहद और कपूर मिलाकर पीसे और अपने माथे पर तिलक करे तो देखने वाले चाहे स्त्री हो या पुरुष, सभी उसके वशीभूत हो जाते हैं । यह वशिष्ठ जी का बताया हुआ उत्तम कापालिक योग है ।
जब पुष्य नक्षत्र हो तब नदी किनारे से झाऊ की जड़ मँगावे और उसमें कूड़े की छाल मिलाकर फिर उसके बराबर चिता की भस्म मिला दे । जो बुकनी तैयार होगी वह जिस स्त्री के सर पर डाल दी जावेगी वह वश में होगी ।
काले कमल, भौंरा के दोनों पंख, तगरधूल, सफेद कौवाठोठी, (कौव्वा ठोठी एक फल होता है)। इन सबका चूर्ण बनाकर जिस किसी स्त्री के सिर के ऊपर डाल दिया जावे वह स्त्री शीघ्र दासी हो जावेगी ।
माघ के महीने में, दिन बुधवार, तिथि अष्टमी और स्वाति नक्षत्र हो उसी दिन आक (मदार) के वृक्ष को एक पैसा और सुपाड़ी (कसैली) दे न्योत आवे और दूसरे दिन उसकी नवीन कोपल तोड़ लावे, फिर उसे जिस स्त्री के हाथ पर डाले वह वश में हो जायेगी ।
रविवार या मंगलवार को जब पुष्य नक्षत्र हो तो उस दिन धोबी के पैर की धूलि लाकर रविवार के दिन जिस स्त्री के सर पर डाले वह वश में होवे ।
रति के पश्चात् जो पुरुष अपने बायें हाथ से अपना वीर्य लेकर स्त्री के बांये चरण के तलुवे में मल दे, तो वह स्त्री सदा के लिये उसकी दासी हो जाती है ।
रविवार के दिन काले धतूरे का पंचांग (फल-फूल-पत्ता, जड़, शाखा) यानी पाँचों अंग लेकर केसर, गोरोचन, रोरी के साथ पीसकर तिलक करे और फिर जिस स्त्री को देखे वह अवश्य वश में हो जावे, चाहे वह इन्द्रासन की परी ही क्यों न हो । परीक्षित है । इसे बनाने में, पुष्य नक्षत्र, दिन रविवार या मंगल हो, उसी दिन सब सामान लाकर बनाना चाहिये । नक्षत्र, योग, दिन, समय का विशेष ध्यान रखना चाहिये, अन्यथा लाभ न होगा ।