सोमवार की व्रत कथा | सोमवार की कहानी कथा | Somvar Vrat Katha
एक दिन शिवजी पार्वती न बोल्या म्हे दुनियां को खेल देखण जाऊं । पार्वतीजी बोल्या म्हे भी आपरे साथ चालु । रास्ता म भूख, प्यास लागी थे मती चालो । पार्वतीजी हठ करया साथ गया । शिवजी पार्वती न नांदया पर बिठार बाजार सू निकल्या । लोग हंसण लाग्या देखो नांदया पर बोझो रख दियो। शिवजी थोडी दूर बाद आप नांदया पर बेठग्या । लोग केवण लाग्या देखो जोगी लुगाई न उतारर खुद बैठग्यो ।
थोडी दूर जाणे के बाद दोन्यू नांदया पर बैठग्या । लोग हंसण लाग्या महादेवजी पार्वती न बोल्या या दुनियां बैठबा भी कोनी देव पैदल भी चालबा कोनी देव थोडी दूर आगे जार शिवजी एक झांड की छाया क नीचे तकिया लगाकर सोयग्या । उठी सू कुछ लुगायां जा रही थी बोली देखो जोगी बन्योडो हैं तकिया लगार सोव इन भी तक्या बिना नीन्द कोनी आव । शंकर भगवान तकिया न निकाल दियो । लुगायां बोली जोगी न गुस्सो आग्यो आपां बोल्या इ वास्त तकिया निकाल दियो
शिवजी पार्वती न बोल्या ओ ही दुनियां को खेल है । थे देखल्यो । बठासूं निकलर थोडी दूर आगे गया । पार्वतीजी बोल्या म्हने तीस लागी है। जणा भगवान बोल्या म्हे थाने पहले ही बोल्यो हो कि थांका सूं कोनी चाल्यो जाव । पार्वतीजी बैठग्या बोल्या म्हने पाणी मंगार पिलावो । शंकर आपकी जटा खोलर गंगा बहाई। शिवजी पार्वती और नान्दयो पाणी पीया। थोडी दूर आगे गया पार्वतीजी बोल्या भगवान म्हन भूख लागी है।
शंकर भगवान बोल्या कि म्हे थानें पहले ही मना करयो हो कि साथ मती चालो । जणा शंकर पार्वती एक बुढिया की झोपडी म गया और बोल्या माई अलख राम। डोकरी बोली अलख राम (आपन) कांई चइजे । शिवजी बोल्या खीर खाण्ड का भोजन चइजे बुढिया बोली म्हारा टाबरां न ही कोनी मिल थ्राने कठासू घालूं। आगे गया दूसरी डोकरी माई न भिक्षा घालो बोल्या । डोकरी पूछी काई चइजे । शंकर भगवान बोल्या खीर खाण्ड का भोजन चइजे । डोकरी बोली आवो आवो बैठो महाराज । डोकरी रसोई को सामान लाबा चाली शंकर भगवान बोल्या डोकरी कठ जाव थारा घर म ही खूब भण्डार भरयोडा पडया हैं । डोकरी देखी तो सगली चीजा सूं घर भरयोडो हो डोकरी घणी सारी रसोई बणाई शिवजी पार्वती की दो थालयां पुरसी।
शिवजी कहया डोकरी माई और तीन थाल्यां पुरसो। डोकरी बोली तीन थाल्यां कीं की पूरसुं । जणा शिवजी बोल्या एक थारी दो थारा बेटा बह की| जणा डोकरी बोली म्हारा बेटा बहू तो मर गया। भगवान बोल्या तू आवाज दे। आजाही । डोकरी आवाज दी बेटा बहू जीमण न आइग्या ।
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