एस एस सिटी ऑफ होनोलूलू | Story of SS City of Honolulu | City of Honolulu Ocean Liner

एस एस सिटी ऑफ होनोलूलू | Story of SS City of Honolulu | City of Honolulu Ocean Liner

एक साहसी और कर्तव्यपरायण पत्रकार लिंटन वेल्स का नाम “सिटी ऑफ होनोलुलु” नामक विशाल जहाज से जुड़ा है । इतिहास के पन्नों में इस जहाज में लगी भयंकर आग का रोमांचक वर्णन किया गया है । इस साहसी अमेरिकी पत्रकार ने खबरें और चित्र एकत्र करने में अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की । वह इसके लिए गहरे समुद्र में कूद गया था ।

“शिकागो टाइम्स” नामक एक अखबार के लिए लिंटन वेल्स समाचार एकत्र करने का कार्य करते थे । जब “सिटी ऑफ होनोलूलु” जहाज अपने द्वीप से रवाना हुआ, तब किसी को भी यह आशंका नहीं थी, कि आग लग जाएगी और उसमें सवार यात्रियों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा, लेकिन आखिरकार हुआ ऐसा ही । होनोलूलु अपनी गति से चला जा रहा था कि उसमें आग लग गई । आग लगने के स्थान से सात सौ मील दूर था लासएंजिलस ।

यात्रियों में जबरदस्त खलबली मच गई थी और मौत की आशंका उनके दिमाग में मंडराने लगी । समूचे अमेरिका में यह खबर तत्काल फैल गई थी । लेकिन अमेरिकी जहाज “थाम्स “ ने इन यात्रियों की प्राण रक्षा की और पत्रकार लिंटन वेल्स के लिए खबरें और चित्र जुटाने का कार्य भी आसान कर दिया । उनके पास बेतार-यंत्र से संदेश भेजने की सुविधा थी । वेल्स ने जहाज से बचाए गए यात्रियों के पास खबर भेजी कि वह धन देकर उनकी तस्वीरें लेना चाहता है ।

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इस पर यात्रियों ने १५० डालर में अपनी तस्वीरें देना मंजूर कर लिया । वेल्स को भी सौदा ठीक लगा और उसने जहाज के कप्तान के पास यह खबर भेजी कि वह उसे “थाम्स” जहाज पर आने की सुविधा प्रदान करे, ताकि होनोलुलु जहाज से बचाए गए यात्रियों की तस्वीरें ले सके, लेकिन जहाज के कप्तान ने उसे निराश किया ।

कप्तान का जवाब था कि चूंकि मेरा जहाज “थाम्स“ सीधे सानफ्रांसिसको जा रहा है, इसलिए ऐसा करना संभव नहीं हो सकेगा । लिंटन वेल्स में जबरदस्त साहस था, इसलिए वह और कोई उपाय सोचने लगा । अंततः कोई रास्ता न देख उन्होंने एक विमान किराए पर लिया । यह विमान ऊपर उड़ रहा था और उसमें से लिंटन वेल्स देख रहे थे गहरे समुद्र की जल-राशि । वेल्स की आंखें “थाम्स” को खोज रही थीं । लगभग डेढ़-दो घंटों बाद उन्हें “थाम्स” नजर आया, जो यात्रियों को बचाने के बाद गंतव्य की ओर जा रहा था । इस समय लिंटन का विमान आकाश में जहां उड़ रहा था, उससे “थाम्स” दो-तीन मील दूर था । जब विमान से जहाज की दूरी ५०-६० फीट ही रह गई, तो विमान चालक ने विमान की गति को और धीमी कर दिया और उसे “थाम्स” के समीप ले जाने का प्रयास करने लगा ।

विमान और जहाज की दूरी ३०-१० फीट रहने पर लिंटन ने साहस के साथ समुद्र में छलांग लगा दी । यह खतरा मोल लेकर भी लिंटन महाशय घबराए नहीं, वरन उन्होंने प्राण-रक्षक जैकेट का उपयोग किया । शराब की बोतल और न भीगने वाले कुछ कपड़े भी उनके पास थे । कपड़ों में उन्होंने रखे थे पांच सौ डालर । समुद्र में अथाह जल पर गिरते ही वेल्स को मूर्च्छा आ गई, लेकिन वे घबराए नहीं । उन्होंने अपनी बेचैनी भरी आंखों से “थाम्स” को कैलिफोर्निया की ओर जाते देखा ।

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उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि जहां चित्र लेने हैं, वह जहाज थाम्स निकट ही है । इस अनवरत संघर्ष में लिंटन वेल्स इतने थक चुके थे कि कोई जीवन-रक्षा नौका ही उनका सहारा बन सकती थी और हुआ कुछ ऐसा ही ।

लिंटन वेल्स को तब बड़ी हिम्मत आई जब “थाम्स” की ओर से एक जीवन रक्षा नौका अपनी ओर आते देखी । लिंटन अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक थे । नौका उन्हें “थाम्स” के पास ले गई और एक मोटी रस्सी के सहारे लिंटन वेल्स जहाज पर चढ़ गए । कप्तान ने सारा परिचय पाने के बाद “सिटी ऑफ होनोलूलु” जहाज से बचाए गए यात्रियों से बात-चीत का अवसर उन्हें दे दिया । इन यात्रियों की कई तस्वीरें भी वेल्स ने लीं । कोई एक घंटे के बाद वही विमान “थाम्स” की ओर लौट रहा था, ताकि वेल्स उससे लौट सकें ।

जब वेल्स को यह पता चला कि विमान में सवार होने के लिए उन्हें फिर से समुद्र में कूदना होगा, तो उन्हें अपना पहले का संघर्ष याद आया, पानी में पुनः कूदने पर भी वह हिम्मत नहीं हारे, क्योंकि विमान धीरे-धीरे उनके पास आ रहा था, अंततः विमान पर चढ़ गए और वह उन्हें ले उड़ा ।

लिंटन वेल्स जब लास एंजिलस पहुंचे, तब उन्हें भारी थकान हो गई थी, लेकिन उन्हें तब ज्यादा खुशी हुई, जब यह पता चला कि होनोलूलु जहाज में लगी आग और थाम्स द्वारा यात्रियों की रक्षा की खबर और चित्र किसी और अखबार के पास नहीं आए हैं । पत्रकार लिंटन वेल्स के भाग्य में ही यह सफलता लिखी थी, इसलिए यह घटना इतिहास का एक अध्याय बन गई ।

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