Guahibo | The Story of Guahibo | गुआहारिबो की कहानी
गार्डन जोन्स और उनके साथी इंडियानोंस का दल जंगल में आगे बढ़ रहा था । खच-खच-खच की आवाज करता जोन्स के हाथों में थमा बड़ा चाकू तेजी से उसकी राह में आने वाली झाड़ियों एवं लताओं को काट रहा था ।
जंगल में चारों ओर लंबे और विशाल झुरमुट वाले पौधे उगे हुए थे । इन पेड़-पौधों के झुरमुट से छनकर आने वाली धूप कुछ इस तरह से पड़ रही थी कि लोगों को शाम का आभास होता था । अलेन पीरखान्ट ने इन घने पेड़ों से आती मद्धमं रोशनी को देखा । लंबे पेड़ किसी विशाल छतरी की तरह तने हुए थे और हरियाली की इस छत से भांति-भांति की लताएं विशाल सर्पों के समान लटक रही थीं ।
अलेन के बिल्कुल पीछे चल रहा पियेर गेसस्यु अचानक फुसफुसाया, “जोन्स को रास्ता मालूम नहीं है । हम गुआहारिवो की ओर जाने वाली किसी राह पर हैं । “
अलेन ने सहमति में अपना सिर हिलाया और जोन्स की ओर देखा । जोन्स ने अपने हाथ में थामे उस बड़े चाकू को एक झटका दिया और अगले ही पल एक डाल नीचे गिर पड़ी । अपने काले एवं परेशानी से भरे चेहरे को उसने अलेन की ओर घुमाया । जोन्स के हाथों में थमा चाकू उस डाल की ओर इशारा कर रहा था । डाली का ऊपरी सिरा मसल कर तोड़ दिया गया था और उस पर लगे जख्म से ताजा रस निकल रहा था ।
“गुआहारिबो!” जोस ने धीमे से कहा । अंलेन और पियेर ने उस डाली को घूर कर देखा । दोनों मन-ही-मन उस व्यक्ति का काल्पनिक चित्रण कर रहे थे, जिसने शायद उस डाल को मसला होगा । एक व्यक्ति उन लोगों का हिस्सा था, जो इतने पिछड़े थे कि उनके पास इन पेड़-पौधों से निपटने के लिए चाकू तक न थे, बल्कि वे लोग इसी तरह से अपनी राह में आने वाले झाड़-झंखाड़ों को चीड़-फाड़ दिया करते थे । अलेन और उसके साथियों ने कॉलबिया के इन गर्म जंगलों में पांच महीने बिता दिए थे और अब वे नक्शे के अनुसार उस स्थान पर थे, जिसे खाली जगह के रूप में दर्शाया गया था । सन् १९५२ में भी जब हर तरह की तरक्की सुनिश्चित हो गई थी, जंगल के उस नक्शे में उक्त स्थान को अनजाना इलाका दर्शाया गया था ।
यही वह स्थान था, जहां गुआहारिबो रहते थे । अलेन और पियेर इसी संदर्भ में शुरुआती खोजबीन कर रहे थे । उनके दो अन्य कामरेड साथ नहीं थे । वे दोनों पीछे रहकर मेक्वीरीटेर इंडियंस की एक दोस्ताना जनजाति का अध्ययन कर रहे थे । अलेन और पियेर ने एक-दूसरे की ओर देखा । उन्हें जोन्स की बेचैनी देखकर इस बात का अहसास हो रहा था कि गुआहारिबो के बारे में फैली कहानियां जरूर कुछ सच्चाई लिए होंगी, ये वाकई उतने ही जंगली होंगे, जितना कि उनके बारे में फैली कहानियां बताती थीं । यदि ऐसा नहीं था, तो जंगलों में रहने वाला इंडियन जोस इतनी आसानी से भयभीत न होता ।
“जोन्स”, अलेन ने कहा, “हम इन गुआहारियों से मिलना चाहेंगे।” जोन्स ने जवाब से बचते हुए इशारा किया कि अब उन्हें कैंप लगाना चाहिए । शीघ्र ही रात का अंधेरा फैलने वाला है । उस रात कैंप में अलेन और पियेर यही बात सोच रहे थे कि घने जंगल में मेढ़कों की तेज टर्राहटों, कीड़ों, बंदरों आदि के शोर और यदा-कदा सुनाई देने वाली जगुआर (अमेरिका का तेंदुआ तुल्य पशु) की दहाड़ के अतिरिक्त ऐसा क्या था, जो उनके चारों तरफ था । सुबह होने पर जोन्स उन्हें लेकर एक पतली जलधारा के निकट पहुंचा । वे सभी उस जलधारा से होकर आगे नीचे की ओर बढ़ते चले गए । यह जलधारा आगे चलकर एक चौड़ी नदी के रूप में उनके सामने उपस्थित हुई ।
जोन्स रुक गया और उसने ऊपर नदी की ओर देखा, “शायद हम लोग मेरे चचेरे भाइयों की झोपड़ियों के नजदीक पहुंच गए हैं,” उसने आखिरकार कहा । “हम यहां से रास्ता निकालकर उन तक पहुंचेंगे । तुम यहीं इंतजार करो, हम कल डोंगी से वापस लौटेंगे।”
“अच्छी बात है,” अलेन ने जवाब दिया, “किंतु अपने पुत्र एमितिआनो को हमारे साथ छोड़ जाओ।” वह इस बात को सुनिश्चित कर लेना चाहता था कि चाहे जैसी परिस्थितियां हों, जोन्स लौट कर वापस अवश्य आए ।
इस छोटी सी बातचीत के बाद इंडियनों का दल गांव की ओर राह बनाता हुआ वहां से निकल पड़ा । अलेन, पियेर और इंडियन एमिलिआनो अपने बिस्तरों में पड़े थे । उनके पास सिवाय इंतजार के और चारा भी न था । घंटा-दर-घंटा समय सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रहा था । सूरज की गर्मी उमस से भरी थी । जंगल गर्म, मगर शांत था ।
अचानक दूर कहीं से आती चीख की आवाज ने जंगल की शांति को भंग कर दिया । एमिलिआनो अपने बिस्तर से उछल कर खड़ा हो गया । उसकी आंखें इस चीख को सुनकर फैल गई थीं ।
“गुआहारिबो!” उसने अटकते हुए कहा ।
अलेन और पियेर ने अपने कानों पर जोर देकर अन्य किसी गतिविधि की आहट लेने का प्रयास किया, परंतु उस पुकार के बाद फिर कोई आवाज नहीं आई । इसके बाद वे नदी के तट की ओर गए और वहां से नदी के दूसरे किनारे की ओर देखना शुरू किया ।
उस किनारे पर हरियाली मानो किसी दीवार की तरह उग आई थी, जिसके परे क्या कुछ था, यह देख पाना संभव नहीं था । उन्हें वहां कुछ भी हलचल नजर न आई । तभी दूसरे किनारे की ओर से एक और जोरदार चीख गूंज उठी । इस बार की चीख के साथ कुछ और भी आवाजें सुनाई दीं । कुछ ही क्षणों बाद जंगल एक बार फिर शांत हो गया । जंगल का वह मौन इन तीनों से लिपट-सा गया । भरपूर गर्मी के बावजूद कंपकपाते हुए तीनों अपने बिस्तरों तक पहुंचे । वे किसी अनहोनी की आशंका में डूबे चुपचाप इंतजार करने लगे । थोड़ी ही देर बाद नदी से चप्पू चलाने जैसे ध्वनि आने लगी ।
“मेरे पिता वापस आ गए हैं,” खुशी से कूद कर खड़े होते हुए एमिलिआनो ने चीख कर कहा । अलेन और पियेर भागते हुए एमिलिआनो के पीछे नदी तट तक जा पहुंचे । दोनों हैरान थे कि जोन्स इतनी जल्दी वापस कैसे आ सकता था । दोनों के ही दिमाग में एक अजीब-सा विचार उठ रहा था, अगर कहीं आने वाली डोंगी गुआहारिबो की हुई तो ?
गुआहारिबो नामक उन जंगलियों के बारे में यह पता न था कि उन्हें डोंगियों का इस्तेमाल करना भी आता होगा, फिर भी यह ख्याल उनके मन-मस्तिष्क को परेशान तो कर ही रहा था । दोनों दौड़ते हुए एमिलिआनो के पीछे पेड़ पर जा चढ़े । पेड़ नदी तट पर ही था और उसकी वह शाख, जिस पर तीनों चढ़े बैठे थे, नदी पर ही झूल रही थी ।
नदी में एक डोंगी आती हुई नजर आई । डोंगी में तीन लोग नग्न सवार थे । उनके चेहरे रंग से पुते हुए एवं कान काले पंखों से सजे थे ।
“वे गुआहारिवो हैं!” एमिलिआनो ने बताया । वह शायद डर गया था और इसीलिए शाख से नीचे उतरने की चेष्टा करने लगा ।
“नहीं!” अलेन ने शांत एवं स्थिर शब्दों में कहा ।
“उनको आवाज दो।” पियेर ने तत्काल सुझाव दिया ।
एमिलिआनो ने झिझकते हुए जैसे-तैसे गुआहारिबो भाषा में कुछ कहा । अलेन और पियेर ने उसके कहे शब्दों को दोहराया और फिर वे अपनी छाती पीट कर गुआहारिबो को यह दर्शाने लगे कि वे दोस्त हैं । डोंगी में बैठे सवारों ने उन्हें देख लिया । एक पल के लिए डोंगी रुकी, फिर अगले ही पल धीरे-धीरे बहती हुई उनकी नजरों से ओझल हो गई । “अब वे वापस आएंगे और हमें मार डालेंगे” एमिलिआनो ने कहा । अलेन और पियेर को काफी देर तक एमिलिआनो को समझाना पड़ा, तब कहीं जाकर उसकी घबराहट शांत हुई ।
थोड़ी देर बाद एक बार फिर नदी की तरफ से चप्पू चलाने की आवाजें आनी लगी | वे तीनों नदी की तरफ बढ़े । वही डोंगी वापस आ रही थी, पर इस बार उसमें केवल दो लोग ही सवार थे । डोंगी में सवार उनमें से एक काले एवं लाल रंग की धारियों से पुता था और उसने अपने बालों में छोटे-छोटे सफेद पंख खोंच रखे थे । डोंगी सामने वाले किनारे की तरफ बढ़ चली । जैसे ही डोंगी, अलेन वाले तट के विपरीत किनारे पहुंची उसमें सवार दूसरा व्यक्ति कूद कर तट पर जा पहुंचा । उस गुआहारिबो ने अपना धनुष निकाला और बाण चढ़ाकर उसका निशाना सीधा पियेर की तरफ कर दिया । अपने साथी की रक्षा हेतु दूसरे व्यक्ति ने अपनी डोंगी को पियेर वाले तट की तरफ खेना शुरू किया | यह निश्चित था कि आने वाला गुआहारिवो कुछ शंकित था और इसीलिए उसने साथी को अपने बचाव के लिए तैयार किया था । अलेन और पियेर उस गुआहारिबो को आता देख मुस्कराते हुए उसकी तरफ देखने लगे । आने वाला गुआहारिबो दूत अपनी अजनबी भाषा में न जाने क्या बड़बड़ा रहा था ।
पियेर ने एक सिगरेट जलाई और उसे उस गुआहारिबो की तरफ बढ़ा दी । उस जंगली ने वह सिगरेट ली और कुछ अजीब स्वर में चीखा, फिर किसी जोकर की भांति उसने उस सिगरेट को पीने की कोशिश की । सिगरेट पीने की कोशिश में सिगरेट के दो टुकड़े हो गए।
“गब्बल, गब्बल।” वह कूदता हुआ चिल्लाया ।
“उसे पूरा पैकेट चाहिए”, एमिलिआनो ने कहा।
पियेर ने पूरा पैकेट उसे दे दिया।
“गब्बल, गब्बल, गब्बल।” इस बार वह गुस्से में कुछ बड़बड़ाया और उत्तेजित होकर पिबेर के पैरों की तरफ बढ़ा । पियेर ने अलेन की ही तरह पायजामा पहन रखा था । “वह तुम्हारा पायजामा चाहता है।” अलेन ने अनुमान लगाया ।
पियेर ने अपनी जॉकिट उतारी और उसे गुआहारिबो को दे दी । वह जंगली अब हंसने लगा । इसके बाद अलेन को भी अपनी जॉकिट देनी पड़ी, फिर अलेन और पियेर को उन गुआहारियों को अपने पायजामे भी देने पड़े । गुआहारिबो खुशी और उत्तेजना में जोर-जोर से हंसने लगे थे । वे उपहारों को पाकर बहुत ही प्रसन्न थे । नंगे खड़े अलेन और पियेर को अपने हाथ फैला कर यह दर्शाना पड़ा कि अब उनके पास देने को कुछ भी नहीं है । दोनों उन जंगलियों से कुछ पाने की चाह में उनकी डोंगी की तरफ बढ़े ।
जंगली ने उन्हें तीन बाण उपहार स्वरूप दिए । कुछ और पाने के लिए एक बार फिर अपने हाथ फैला दिए । गुआहारिबो ने उनकी तरफ अपने खाली हाथ बढ़ा दिए । उसके पास देने के लिए अब कुछ भी नहीं था ।
दोनों गोरी चमड़ी वालों ने यह दर्शाने के लिए कि वे भूखे हैं, अपने पेट पर हाथ फिराने शुरू किए । यह देखकर उस गुआहारिवो ने अपना हाथ छोटी गोलाकार आकृति में घुमाना शुरू किया, फिर उसने सूर्य की ओर इंगित किया और उसके बाद उसने पूर्व, जहां सूर्य उदय होता है, की ओर इशारा किया । इसके बाद वह अपने साथी के साथ डोंगी में बैठकर नदी की धारा के साथ नीचे की ओर निकल पड़ा ।
“वह क्या कहना चाहता था ?” अलेन ने पूछा।
“उसने कहा कि कल वह सारे कबीले को लेकर आएगा,” एमिलिआनो ने कहा, “और” मुझे इस बात की कतई उम्मीद नहीं कि कल हम अपनी जान बचा पाएंगे।”
उस रात अलेन और पियेर ने एक मोमबत्ती जलाई और फिर वे घंटों बातें करते रहे । आशंकाएं तो अनेक थीं, पर कोशिश यही थी कि किसी भी अनजानी आवाज या हरकत से डरें नहीं ।
अचानक उनमें से कोई एक कूद कर खड़ा हो जाता, “उन्होंने इस भयानक अंधेरे में हमें चारों तरफ से घेर लिया है । जल्दी भागो यहां से।” कोई एक डर के मारे कह उठता, फिर बाकी बचे दो उसे ढाढस बंधाते और शांत करते । थोड़ी देर बाद कोई दूसरा किसी चीज को लेकर उत्तेजित हो जाता । इस तरह यह सिलसिला काफी देर चलता रहा । आखिरकार तीनों को नींद आ गई ।
सुबह जब उठे, तो यह देखकर हैरान रह गए कि सारा जंगल चीखने चिल्लाने की आवाजों से गूंज रहा था । अलेन और पियेर अपने साथी इंडियन (एमिलिआनो) के साथ दौड़कर नदी तट पर मौजूद उस विशाल पेड़ पर चढ़ गए । थोड़ी ही देर बाद उन्होंने एक बड़ी डोंगी को अपनी तरफ आते हुए देखा । डोंगी गुआहारिबों से भरी पड़ी थी । डोंगी के किनारे लगते ही उसमें से एक व्यक्ति बाहर आया । आने वाला नाटे कद, पीली चमड़ी और बिखरे बालों वाला जंगली पुरुष था । उसने एक भुजा पर काले पंखों को एक गुच्छे के रूप में बांध रखा था । इसके अलावा वह पूर्ण रूप से नग्न था ।
उसने अपनी डोंगी से नीचे उतरते ही अलेन और पियेर की दाढ़ी को पकड़ लिया । वह दाढ़ी को खींचकर देखने लगा कि वह असली थी अथवा नहीं, फिर प्रशंसा भरे भाव प्रदर्शित करता हुआ हंसने लगा । डोंगी से गुआहारिवो का उतरना शुरू हो गया । जंगल से भी कुछ जंगली आ गए और इस तरह वे कुल एक दर्जन के करीब हाथों में धनुष बाण भी थे । उनके हाव-भावों से लगता था, मानो वे किसी बात को लेकर गंभीर हैं । कुछ के धनुष बाण लिए उन योद्धाओं को देखकर एमिलिआनो वाकई चिंतातुर हो उठा । “वह नाटा, जिसने तुम्हारी दाढ़ी पकड़ी थी, उसका ध्यान रखना,” उसने बताया, “वही इन सबका मुखिया एवं तांत्रिक है । “
दोनों गोरी चमड़ी वाले एमिलिआनो की बातों का अर्थ समझ गए । वे हंसने लगे और यह चेष्टा करने लगे कि कथित सरदार भी उनके साथ हंसे । इस सारे घटनाक्रम के दौरान डोंगी बार-बार आती-जाती रही । हर बार डोंगी में कुछ नए जंगली वहां आने लगे । सभी जंगली खुश एवं उत्साहित नजर आ रहे थे । शीघ्र ही उन जंगलियों की औरतें भी नजर आने लगीं । उनके साथ उनकी खाली टोकरियां भी थीं ।
फिर शीघ्र ही उन जंगलियों ने अलेन एवं पियेर द्वारा लाई गई उन रंगीन कपड़ों की गांठों को खोलना शुरू कर दिया, जो वे लोग जोस के चचेरे भाइयों के लिए लाए थे । सभी जंगली एक साथ बैठकर बंदरों के समूह की भांति चटर-पटर करने लगे । वहीं दूसरी ओर उनकी औरतें आस-पास मौजूद सामान से अपनी टोकरियां भरने लग गई थीं । अलेन ने अपना खाना पकाने का बर्तन उस कथित तांत्रिक एवं मुखिया को दे दिया और फिर इसे एक साफ-सुथरा व्यापार दर्शाने के लिए उसने बदले में पास ही खड़े एक योद्धा से उसके तीर एवं कमान ले लिए । फिर पास खड़ी एक औरत के कानों में सजाए गए पंखों में से कुछ को ले लिया । यह सिलसिला चल पड़ा । हर कोई इस मनोरंजक व्यापार में शामिल हो गया ।
अंततः उन जंगलियों ने वह सब कुछ ले लिया, जो उन खोजियों के पास था, परंतु फिर भी वे इंतजार में बैठे रहे । ऐसा लगता था, मानी कुछ होने का इंतजार कर रहे थे । उन्हें इस तरह से खाली मत बैठे रहने दो, अन्यथा कहीं वे महज मजे के लिए हमारे सिर न फोड़ दें।” अलेन ने कहा । पियेर ने हामी भरी और उसने कुछ करते रहने के ख्याल से उन नाटे जंगलियों को ताकत प्रदर्शन करने के उद्देश्य से अपनी बाहों में उठाना शुरू कर दिया, परंतु अभी भी कुछ जंगली अपने हाथों में धनुष बाण ताने हुए थे ।
उनकी मुख मुद्राएं भी कुछ गंभीर थीं । यह देखकर अलेन ने सोचा कि अब ऐसा कुछ करने की जरूरत थी कि जिससे उनके ध्यान को कहीं और लगाया जा सके । यह सोचकर अलेन उस कथित मुखिया को अपने साथ उस पेड़ तक ले गया, जहां उसका कैमरा लटक रहा था ।
“ध्यान से देखो तुम क्या कर रहे हो?”, अलेन की हरकत देखकर पियेर शीघ्रता से चिल्लाया । उसे कथन का अर्थ समझ में आ गया । उसे उनकी कहानियां याद आ गई, जिन्होंने पहले कभी जंगलियों की तरफ अपना कैमरा बढ़ाया था । किस्सों के अनुसार जंगलियों ने कैमरे को हथियार समझकर उसे थामे व्यक्ति पर वार कर दिया था । इस तरह की घटनाओं में कई घायल हुए एवं कुछ मारे भी गए थे ।
फिर भी अलेन ने उस बूढ़े मुखिया को अपना कैमरा दिखाया । उसने कैमरे के ‘व्यू फाइण्डर’ से उस मुखिया को पियेर की झलक दिखाई, फिर उसने पियेर की तस्वीर खींचकर मुखिया को समझाया कि इस तरह से तस्वीर खींचने पर खींचने वाला अपने प्रिय को छोटे आकार में अपने साथ कहीं भी ले जा सकता है ।
जंगली मुखिया यह देखकर बहुत प्रसन्न नजर आने लगा । उसने खुशी-खुशी अपने अनेक चित्र खिंचवाए । यह पहली बार था कि किसी ने किसी गुआहारिबो के चित्र खींचे थे । बाद में मुखिया के एक आदेश पर सभी जंगली योद्धाओं ने अपने हथियार नीचे रख दिए । अलेन ने उन जंगलियों को प्रसन्न एवं व्यस्त रखने के उद्देश्य से एक बार फिर लेन-देन का सिलसिला चालू कर दिया । इस तरह से वे लोग घंटों एक-दूसरे से व्यवहार करते रहे । आखिर जंगलियों ने धीरे-धीरे वहां से जाना शुरू कर दिया । सभी जंगली प्रसन्न थे ।
उनके मुखिया की हालत तो देखने योग्य थी । उसने अलेन की पतलून के एक भाग को किसी टोपी की तरह अपने सिर में ओढ़ रखा था । अंततः गुआहारिबो के साथ हुई उनकी यह पहली मुलाकात राजी-खुशी बिना किसी अनहोनी के संपन्न हो गई ।
काफी बाद में उसी दिन जोन्स अपने चचेरे भाइयों के साथ डोंगी खेता हुआ वहां आ पहुंचा । उसने शीघ्रता से उन सब के वहां से निकल पड़ने का प्रबंध किया और फिर वे वहां से चल पड़े । बाद में खोजकर्ताओं ने अपनी खोज के दौरान जंगल के और गहरे इलाकों में प्रवेश किया, जहां उनकी मुलाकात और गुआहारिबों से हुई । अंततः वे सभी अपने इस अदम्य साहसिक अभियान को पूर्ण कर वापस यूरोप पहुंच गए । उनके पास अपने अभियान से संबंधित ढेरों चित्र एवं नोट्स थे । ये वे दस्तावेज थे, जो यह दर्शाते थे कि उनका अभियान इस धरती पर किए गए सबसे महानतम अभियानों में से एक अभियान था ।