बुद्धिमान हंस । Short Panchatantra ki Kahaniyan
एक घने जंगल में एक बहुत ऊंचा पेड़ था । उसकी शाखें छतरी की तरह फैली हुई थीं और घनी थीं। बहुत हंसों का एक झुण्ड इस पेड़ पर निवास करता था । वे सब यहां सुरक्षित थे और बड़े आराम से रहते थे ।
उनमें से एक बूढ़ा हंस बहुत बुद्धिमान था । उसने पेड़ के तने के पास एक बेल को उगते देखा । इसके बारे में उसने दूसरे हंसों से बातचीत की ।
बूढ़े हंस ने उनसे पूछा, “क्या तुमने पेड़ पर चढ़ती हुई उस लता को देखा है ? जल्दी से जल्दी नष्ट कर देना चाहिए ।”
हंसों ने आश्चर्य से पूछा, “पर अभी क्यों? यह तो इतनी छोटी सी है। हमें यह क्या हानि पहुंचा सकती है ?”
“मेरे मित्रो,” बुढ़े हंस ने कहा, “छोटी-सी लता देखते ही देखते बड़ी हो जायेगी। यह हमारे पेड़ पर चढ़ कर उससे लिपटती जायेगी और फिर कुछ समय बाद मोटी और मजबुत हो जायेगी।”
“तो क्या हुआ ?” हंसों ने पूछा । ” एक लता हमें क्या हानि पहुंचा सकती है ?”
बुद्धिमान हंस ने उत्तर दिया, “तुम लोग समझ नहीं रहे हो । कोई भी इस बेल के सहारे पेड़ पर चढ़ सकता है। कोई बहेलिया चढ़ कर हम सबको मार सकता है।”
हंसों ने कहा, “ऐसी भी जल्दी क्या है । अभी तो यह बेल बहुत छोटी है । इतनी छोटी सी चीज हमें क्या हानि पहुंचा सकती है। फिर कभी देखेंगे ।”
“लता जब तक छोटी है तभी उसे नष्ट कर देना चाहिए,” बुद्धिमान हंस ने सलाह दी।
“अभी यह कोमल है इसलिए आसानी से काटी जा सकती है। बाद में यह सख्त और मोटी हो जायेगी तब तुम इसे काट नहीं सकोगे और फिर किसी दिन यह हमारे अनिष्ट का कारण बन जायेगी ।”
“अच्छा, अच्छा देखेंगे,” सब हंसों ने उसे टालते हुए कहा ।
उस समय उन्होंने लता को नहीं काटा । कुछ दिनों में वे सब बुढ़े हंस की बात को भूल गये। लता बढ़ती गई। वह पेड़ के सहारे ऊपर चढ़ती गई और उसके चारों तरफ लिपट गई ।
ज्यों-ज्यों समय गुज़रता गया बेल दृढ़ होती गई । अन्त में वह एक मोटी लकड़ी जैसी कड़ी और मजबूत हो गई ।
एक दिन सुबह जब हंसों का झुंड भोजन की खोज में बाहर गया हुआ था, उस समय एक बहेलिया पेड़ के पास आया ।
“अच्छा तो यही वह पेड़ है जहां बहुत सारे हंस रहते हैं,” बहेलिये ने मन ही मन सोचा, “जब वे शाम को घर लौटेंगे तो मेरे जाल में फंस जायेंगे ।”
बहेलिया बेल का सहारा लेकर पेड़ पर चढ़ गया । उसने बिलकुल ऊपर पहुंचकर अपना जाल फैला दिया और जल्दी से नीचे उतर कर घर चला गया।
सांझ पड़े सब हंस घर लौटे । उन्होंने शिकारी के जाल को नहीं देखा । ज्यों ही वे अपने घोसलों में जाने लगे, जाल में फंस गये। उन्होंने जाल से निकलने के लिए बहुत हाथ-पैर मारे मगर वे सब असफल रहे ।
वे सब चिल्लाने लगे, “हमें बचाओ, हमें बचाओ । हम शिकारी के जाल में फंस गये हैं ।
ओह, अब हम क्या करें?”
बुढ़े हंस ने कहा, “अब इतना क्यों घबरा रहे हो ? मैंने तुम्हें बहुत पहले ही बेल को काट देने के लिए कहा मगर तुम लोगों ने मेरी एक न सुनी । अब देखो उसका क्या फल हुआ। कल सुबह बहेलिया आयेगा । इस बेल के सहारे पेड़ पर चढ़ेगा और हम सबको मौत के घाट उतार देगा ।”
सब हंस रोने लगे, “हमने बड़ी मूर्खता की । हमें अफसोस है कि हमने तुम्हारी बात उसी समय नहीं मानी । हमें क्षमा कर दो। कृपा करके अब यह बताओ कि हम सब अपनी जान कैसे वचाएं ?”
बूढ़ा हंस बोला, “अच्छा तो ध्यान से सुनो कि हमें क्या करना चाहिए ।”
“बताओ, कृपा कर जल्दी बताओ कि हम क्या करें ?”
बूढ़े हंस ने कहा, “जब सुबह बहेलिया आये तो तुम सब ऐसे दिखाना जैसे कि मर चुके हो और बिलकुल चुपचाप पड़े रहना । बहेलिया मरे हुए पक्षियों को कोई हानि नहीं पहुंचायेगा ।
वह उन्हें घर ले जाने के लिए जाल से निकाल कर एक-एक करके जमीन पर फेंक देगा । जब बह आखिरी पक्षी को निकाल कर फेंक दे तो सब जल्दी से उठ कर उड़ जाना ।”
सुबह बहेलिया आया और बेल के सहारे उस पेड़ पर चढ़ गया । उसने जाल में फंसे हंसों को देखा। उसे सभी पक्षी मरे हुए लगे । उसने एक-एक पक्षी को जाल से निकाला और जमीन पर फेंकता गया।
जब तक उसने आखिरी पक्षी ज़मीन पर न फेंक दिया सबके सब दम साधे पड़े रहे । बहेलिया समझा कि वे सब मरे हुए हैं। लेकिन यह क्या ! एकाएक सब ज़िन्दा हो गये। सबके सब फड़फड़ाकर उठे और उड़ गये ।