अच्छे मेहमान आये | Panchatantra
बहुत पुरानी बात है। एक खटमल था। उसका बड़ा भारी कुटुम्ब था । ढेरों बच्चे थे। फिर उन सबके बहुत सारे बाल-बच्चे । खटमल अपने लम्बे-चौड़े परिवार के साथ एक बहुत बड़े सुन्दर पलंग के कोने और दरारों मे रहता था। यह पलंग राजा का था। जब राजा सोया होता तो वह खटमल और उसका परिवार राजा का खून चूसते और खूब मज़े से रहते ।
एक दिन एक मच्छर कमरे में आ गया । उसने राजा का बिछौना देखा। उस पर बैठते हुए उसने कहा, “अहा ! कितना कोमल ! कितना आरामदेह ! “
खटमल ने उसकी बात सुन ली और बाहर निकल आया । खटमल ने मच्छर से कहा “तुम कौन हो ? कहां से आये हो ? यह राजा का बिस्तर है । तुम यहां नहीं बैठ सकते एकदम, यहां से चले जाओ ।”
मच्छर ने उत्तर दिया, “क्या अतिथि से ऐसे ही बात की जाती है। मैं तो यात्री हूं । मैंने अपनी यात्राओं के दौरान बहुत से लोगों का खून चखा है । मगर अभी तक मैंने किसी राजा का खून नहीं चखा । वह तो शहद जैसा मीठा होता होगा । मुझे अपना मेहमान समझ कर राजा का खून भी चखने दो ।”
खटमल ने गुर्रा कर कहा, “नहीं, यह नहीं हो सकता ।”
“क्यों नहीं?” मच्छर ने कहा ।
क्योंकि,” खटमल ने समझाया, “जब तुम राजा को काटोगे तो उसे पीड़ा होगी वह जाग जायेगा और हम सबको भी मार डालेगा । इसलिए कृपा करके यहां से चले जाओ ।”
लेकिन मच्छर वहां से नहीं गया। वह खटमल के पैरों पर गिर पड़ा । उसने विनती की, मुझे रात तक यहां ठहरने दो। मैं केवल इतना जानना चाहता हूं कि राजा के खून का स्वाद कैसा होता है ।”
खटमल को दया आ गई। वह बोला, “यह तो सच है कि राजा का खून स्वादिष्ट होता है लेकिन मैं तुम्हें बस इसी रात ही ठहरने दूंगा ।”
मच्छर बड़ा प्रसन्न हुआ ।
खटमल ने फिर कठोरता से कहा, “लेकिन याद रखो, तुम खून चूसने के लिए गलत समय पर मत आना और गलत स्थान पर मत काटना।”
मच्छर बोला, “अच्छा, तो कृपा कर मुझे बताओ कि मैं क्या करूं ठीक समय कौन-सा है? और काटने के लिए कौन सा स्थान ठीक है ?”
खटमल ने बताया, “जब राजा साहब मदिरा पीकर खाना खा चूके हों तब उन्हें गहरी नींद आ जायेगी । वही समय उपयुक्त होगा ।”
“बहुत अच्छा,” मच्छर ने हां भरी। “और ठीक स्थान ?” खटमल ने फिर कहा,
“राजा का पैर । जब वह गहरी नींद में होंगे तब यदि वहां काटोगे तो उन्हें कुछ भी पता नहीं चलेगा ।”
मच्छर मान गया। “बहुत अच्छा, मैं ध्यान रखूंगा।”
खटमल अपनी दरार में लौट गया ।
मच्छर बैठा-बैठा राजा की प्रतीक्षा करने लगा, जब राजा साहब बिस्तर पर आकर लेटे तब बह बड़ा प्रसन्न हुआ ।
वह मन ही मन गुनगुनाया, “वाह ! अब मुझे राजा के खून का स्वाद मिलेगा । वह शहद को तरह मीठा होगा ।”
वह भूल गया कि खटमल ने उसे ठीक समय और ठीक स्थान के बारे में क्या चेतावनी दी थी ।
राजा को अभी नींद आनी शुरू ही हुई थी कि मच्छर ने उनकी गर्दन पर काट लिया । राजा तड़प कर उठ बेठा। वह एकदम लाल-पीला हो गया । उसने चिल्ला कर नौकरों को बुलाया ।
“अरे, सब जल्दी से आओ । मुझे किसी कीड़े-मकोड़े ने काट लिया है । बिस्तर को अच्छी तरह से उलट-पलट कर देखो। जो भी मिले उसे मार डालो ।”
राजा के नौकरों ने बिस्तर को अच्छी तरह से झाड़ा । मच्छर तो उड़ चुका था। उन्हें मिला बेचारा खटमल और उसका परिवार। उन्होंने खटमल और उसके सारे कूटुंब को मसल डाला । कोई भी न बचा ।