अंगूठे का संक्षिप्त
विवरण | Thumb Overview
प्राचीन काल
से ही अंगूठे के तीन भाग बताये गए हैं जो विश्व पर शासन करने वाली तीन महान्
शक्तियों के द्योतक हैं – प्रेम, तर्क और इच्छाशक्ति
।
पहली या नाखून वाली पोर इच्छा शक्ति की सूचक है ।
दूसरी पोर तर्क की प्रतिनिधि है ।
तीसरी पोर जो शुक्र के पर्वत की परिसीमा है, प्रेम
की सूचक है ।
जब अंगूठा असम रूप से विकसित
होता है,
उदाहरणार्थ यदि पहली पोर असाधारण रूप से
लम्बी हो तो हम देखते हैं कि व्यक्ति न तो किसी तर्क पर निर्भर करता है न किसी
संगति-असंगति के विचार पर, वह केवल इच्छाशक्ति से काम लेता
है।
यदि दूसरी
पोर पहली की तुलना में अधिक लम्बी हो
तो व्यक्ति में पूरी शान्ति-स्थिरता व सटीक तर्कभावना होते हुए भी, अपने विचारों
को कार्यरूप देने के लिए पर्याप्त इच्छाशक्ति और संकल्प नहीं होता ।
यदि तीसरी
पोर अधिक लम्बी और अंगूठा अपेक्षाकृत छोटा हो तो
स्त्री या पुरुष अधिक भावनाप्रधान प्रकृति के होते हैं ।
अंगठे के अध्ययन में सबसे अधिक ध्यान देने
योग्य दिलचस्प बात है
कि पहली सख्त है या लचकदार । यदि वह लचकदार है तो अंगूठा पीछे मुड़कर
चाप बनाता है, यदि
इसके विपरीत
सख्त है तो पहली पोर मे ज़ोर डालने
पर भी पीछे को नहीं मुड़ती, और
ये दो परस्पर विरोधी विशेषताएं व्यक्ति के चरित्र से अधिकतम स्वाभाविक सम्बन्ध
रखती हैं।
लचकदार अंगूठा लचाली जातियों की प्रमुख
विशेषता है | सक्त
अंगुठा
उत्तर निवासियों का चारित्रिक गुण है उदाहरणतया इस प्रकार
का लचकंदार जोड़ डेनिश, नावजियन, जर्मन, ब्रितानी, स्काट आदि जातियों
में बहुत कम मिलता है, दूसरी
तरफ आयरिश, फ्रेंच, स्पेनिश, इटालियन आदि जातियों में या जहां इनके एकत्र
समूह मिलते हैं, इस
तरह का अंगूठा बहुतायत में मिल जाता है ।