क्या है मंगल दोष / मांगलिक दोष | Manglik Dosh

Maglik

क्या है मंगल दोष / मांगलिक दोष

Manglik Dosh


मांगलिक दोष
एक ऐसा दोष है
,
जिसे किसी
भी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दोष
की वजह से विवाहिक जीवन में कलह
, परेशानी, तनाव और तलाक होने की संभावना रहती है।

हिन्दू धर्म
में विवाह के लिए यह दोष बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। सुखद विवाह के लिए मंगल दोष
के विषय में ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति कि कुंडली में मंगल दोष हो उसे मंगलदोष
वाला ही जीवनसाथी की ही तलाश करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि युवक और युवती
दोनों की
 कुंडली में मंगल दोष की तीव्रता समान है तो ही दोनों
को एक दूसरे से विवाह करना चाहिए। अन्यथा इस दोष की वजह से बिना मंगल वाले पति या पत्नी
में से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।

मांगलिक होने का मतलब

किसी भी स्‍त्री
या पुरुष के मांगलिक होने का मतलब यह है कि उसकी कुण्‍डली में मंगल ग्रह अपनी
प्रभावी स्थिति में है। हिन्दू
 ज्योतिष परम्पराओं के अनुसार यदि कुंडली में मंगल
प्रथम(१)
,
चतुर्थ(४), सप्तम(७), अष्टम(८) या द्वादश(१२) भाव में हो तो जातक
को मंगल दोष लगता है। जबकि सामान्य‍ तौर पर इन सब में से केवल
8वां और 12वां भाव ही खराब माना जाता है।

पहला स्थान अर्थात लग्‍न का मंगल किसी व्‍यक्ति के
व्यक्तित्व को और ज्यादा तेज बना देता है

चौथे स्थान का मंगल किसी जातक की पारिवारिक जीवन को
मुश्किलों से भर देता है।

7वें स्‍थान पर हो तो जातक को अपने साथी या सहयोगी के
साथ व्यव्हार में कठोर बना देता है।

8वें और 12वें स्‍थान पर यदि
मंगल है तो यह शारीरिक क्षमताओं और आयु पर प्रभाव डालता है।

यदि इन स्‍थानों
पर बैठा मंगल अच्‍छे प्रभाव में हो तो जातक के व्यवहार में मंगल ग्रह के अच्‍छे
गुण आएंगे और यदि यह खराब प्रभाव में हैं तो जातक पर खराब गुण आएंगे।

मांगलिक व्यक्ति का स्वभाव

मांगलिक व्‍यक्ति
के स्वभाव वाला व्यक्ति दिखने में कठोर निर्णय लेने वाले और बोली में भी कठोर होते
हैं। ऐसे लोग लगातार काम करते रहने वाले होते हैं
, साथ ही यह किसी भी काम को योजनाबद्ध तरीके से
करना पसंद करते हैं। मांगलिक लोग अपने विपरीत लिंग के प्रति कम आकर्षित होते हैं।
 

ये न तो
लड़ाई से घबराते हैं और न ही नए अनजाने कामों को हाथ में लेने से। अपनी इन्‍हीं कुछ
विशेषताओं की वजह से गैर मांगलिक व्‍यक्ति ज्यादा समय तक मांगलिक व्यक्ति के साथ
नहीं रह पाता है।

       

 मंगल दोष का निवारण

यदि किसी
जातक की कुंडली में मांगलिक दोष के लक्षण मिलते हैं तो उन्हें किसी
अनुभवी ज्योतिषी से सलाह करके ही मंगल दोष के
निवारण की पूजा करनी चाहिए।

अंगारेश्वर
महादेव
,
उज्जैन
(मध्यप्रदेश) में मंगल दोष की पूजा का विशेष महत्व है।

वट सावित्री और मंगला गौरी का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला होता है। अगर अनजाने
में किसी मांगलिक कन्या का विवाह किसी ऐसे व्यक्ति हो जाता है जो दोष रहित हो तो
दोष निवारण के लिए इन दोनों व्रत का अनुष्ठान करना बेहद लाभदायी होता है।

प्राण प्रतिष्ठित किये हुए विष्णु प्रतिमा से विवाह के बाद अगर कन्या किसी से
विवाह करती है
,
तब भी इस
दोष का होता है।

यदि किसी युवती की कुंडली में मंगल दोष पाया जाता है तो अगर वह विवाह से पहले पीपल
या वट के वृक्ष से विवाह कर लेती है और उसके बाद मंगल दोष रहित वर से शादी करती है
तो किसी प्रकार का दोष नहीं लगता है।

ऐसा कहा जाता है कि मंगलवार के दिन व्रत रखने और हनुमान जी की सिन्दूर से पूजा
करने और उनके सामने सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करने से मांगलिक दोष शांत
होता है।

महामृत्युजय मंत्र का जाप सभी बाधाओं का नाश कर देता है। वैवाहिक जीवन में
मंगल दोष का प्रभाव कम करने के लिए इस मंत्र की मदद से मंगल ग्रह की शांति करना
लाभदायक रहता है।

कार्तिकेय जी की पूजा करने से भी इस दोष से छुटकारा मिलता है।

गर्म और ताजा भोजन मंगल मजबूत करता है साथ ही इससे आपकी मनोदशा और पाचन क्रिया
भी सही रहती है
,
इसीलिए अपने
खान-पान की आदतों में बदलाव करें।

मंगल दोष से निपटने का सबसे आसान उपाय है, हनुमान जी की नियमित रूप से उपासना करना। यह
मंगल दोष को खत्म करने में सहायक होता है।

कई लोग मंगल दोष के निवारण के लिए मूंगा रत्न भी धारण करते हैं। रत्न जातक की कुंडली में मंगल के प्रभाव के अनुसार
पहना जाता है।

मंगल दोष
निवारण के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं जिससे शादीशुदा जीवन
में मांगलिक दोष नहीं लगता है।

            

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *