अकबर की मृत्यु
| Death of Akbar
अकबर की सारी प्रजा उसे घृणा की दृष्टि से
देखती थी, यहाँ तक कि उसके सम्बन्धी तथा
दरबारी भी उससे घृणा करते थे। उसकी मृत्यु को लोगों ने उसके स्वेच्छाचारी शासन से
मुक्ति समझा । जिस ढंग से उसे दफनाया गया, उससे
यही प्रकट होता है कि सभी की दृष्टि में वह घृणा
का पात्र था।
इतिहासकार विसेंट
स्मिथ का कथन
है कि “मृत सिंह की
अन्त्येष्टि बिना किसी उत्साह के जल्दी ही कर दी गई । परम्परा के अनुसार दुर्ग में
दीवार तोड़कर एक मार्ग
बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकन्दरा के मकबरे में दफना दिया गया।“
प्रश्न उपस्थित होता है कि यदि अकबर
से सभी प्रेम करते थे तथा वह आदर की दृष्टि से देखा जाता था, तो
इस प्रकार शीघ्रतापूर्वक बिना किसी उत्साह के उसे नहीं दफनाया जाता | केवल
इतना उल्लेख ही पर्याप्त नहीं है । कुछ इतिहासकारो का निश्चित मत है कि अकबर के
मृत्यु-स्थान के सम्बन्ध में भी गलत निर्देश देकर धोखा
दिया गया है।
आगरे के लालकिले
में अकबर की मृत्यु होने सम्बन्धी जो पारम्परिक विवरण प्राप्त होता है, वह
सही नहीं है । यदि उसकी मृत्यु आगरे के लालकिले
में हुई होती तो वहां से ६ मील दूर सिकन्दरा में उसे दफनाने सम्बन्धी कार्य को शीघ्रतापूर्वक बिना
किसी औपचारिकता के नहीं किया जाता | ऐसा प्रतीत होता है कि अकबर का शव
दुर्ग की दीवार तोड़कर एक मार्ग से बाहर निकाला गया तथा वहां से
६ मील दूर
उसे दफनाया गया |
विसेंट स्मिथ ने जिन अधिकृत लेखकों के उदाहरण दिये
हैं,
वे सभी बाद के यूरोपीय लेखक हैं। इससे यह
प्रकट होता है कि आगरे के लाल किले में अकबर की मृत्यु होने की बात मनगढ़न्त है, जिस
पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए। वस्तुतः इस प्रकार के संक्षिप्त उल्लेख कि अकबर
का शव दुर्ग के किसी द्वार से बाहर न निकाला जाकर दीवार तोड़कर एक छिद्र से निकाला
गया | अकबर का अन्तिम संस्कार शीघ्रतापूर्वक एवं बिना
किसी औपचारिकता के हुआ। अकबर के शव को इस प्रकार गुप्त रूप से निकालने की क्या
आवश्यकता थी ? अकबर का अन्तिम संस्कार एक रहस्य
था। इस प्रकार का रहस्य, शीघ्रता आदि तभी सम्भव हैं, जबकि
अकबर का शव उसी राज प्रासाद में दफन हो, जहां वह
बीमार पड़ा था । अतः अकबर की मृत्यु सिकन्दरा के उसी ६ मंजिल वाले अपहृत हिन्दू
राजभवन में हुई, जहाँ वह दफनाया गया कहा जाता है।
अकबर के शव को शीघ्रता में अनौपचारिक ढंग से
दफनाये जाने सम्बन्धी बात से यह निष्कर्ष निकलता है कि उसे उसी स्थान पर दफन किया
गया,
जहां वह मृत्यु-शैया पर लेटा था। वह सिकन्दरा
में दफन है, अतः हमारा यह मत है कि उसकी
मृत्यु सिकन्दरा में ही हुई थी । हमारे इस निष्कर्ष को इस तथ्य से परिपूष्टि मिलती
है कि अकबर ६ मंजिल वाले एक हिन्दू राजभवन में दफन है । उसकी मृत्यु वहां तब
हुई थी,
जब वह
वहाँ अस्थायी रूप से निवास कर रहा था। यदि अकबर की मृत्यु आगरे के लाल किले में
हुई होती तो ऐसा कोई कारण स्पष्ट नहीं है कि उसका शव दुर्ग
के प्रमुख द्वार से बाहर निकालने की बजाय दीवार तोड़कर निकाला जाये।
अकबर का शव जन-सामान्य की जानकारी के बिना
अज्ञात रूप में रहस्यमय ढंग से किले की दीवार तोड़कर बाहर
निकाला गया, इस बात की अपेक्षा यह समुचित
प्रतीत होता है कि उसकी मृत्यु उसी राजभवन मे हुई, जहाँ
वह
दफन है तथा उसके अन्तिम संस्कार के समय किसी प्रकार का जुलूस आदि आयोजित नहीं किया
गया ।