Saphala Ekadashi 2024
पौष माह की कृष्णपक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं । इसका व्रत करने से सारे कार्य सफल हो जाते हैं । इस व्रत को करने वाले प्रातः स्नान करके भगवान अच्युत की आरती करें तथा भोंग लगाएँ । अगरबत्ती, नारियल, सुपारी, आँवला, अनार तथा लौंग से पूजन करें । दीपदान और रात्रि जागरण का बड़ा माहात्म्य है |
सफला एकादशी व्रत कथा
राजा महिष्मत के चार बेटे थे । छोटा बेटा ल्युक बड़ा दुष्ट और पापी था | वह पिता के धन को कुकर्मो मे नष्ट करता रहता था | दुखी होकर राजा ने उसे देश से निकाला दे दिया । परन्तु उसकी लूटपाट की आदत न छूटी । एक बार उसे तीन दिन भोजन नसीब नहीं हुआ | वह भोजन की तलाश में एक साधु की कुटिया पर पहुँचा | उस दिन सफला एकादशी थी ।
महात्मा ने उसका मीठी वाणी से सत्कार किया तथा खाने के लिए भोजन दिया । महात्मा के इस व्यवहार से उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई । उसने सोचा मैं भी मनुष्य ही हूँ । कितना दुराचारी और पापी । वह साधु के चरणों पर गिर पड़ा । साधू ने उसे अपना चेला बना लिया । धीरे-धीरे उसका चरित्र निर्मल होता गया । अब उसमें कोई कुकर्म नहीं रहा । वह महात्मा की आज्ञा से एकादशी का व्रत करने लगा । जब वह बिल्कुल बदल गया तो महात्मा ने उसके सामने अपना असली रूप प्रकट कर दिया । महात्मा के रूप मे उसके सामने उसके पिता खड़े थे | ल्युक मे राजकाज सम्भालकर आदर्श प्रस्तुत किया । ल्युक आजीवन सफला एकादशी का व्रत रखने लगा ।