रविवार व्रत कथा | सूर्य देव व्रत कथा । Ravivar Vrat Katha | Surya Vrat Katha
एक ब्राम्हण देवता हो बींक रोज न्हा धोकर सूरज भगवान की पूजा करणे को नेंम हो । सूरज भगवान की कहाणी केंवतो और सारा दिन घर म ही रेंवतो हो। ब्राम्हणी बोलती कमायां बिना घर क्यान चालसी । जणा ब्राम्हण कुंवा पर जार बैठयो तो पणियारियां बींन बठ बैठबा कोनी दिवी ।
बठासूं जार ब्राम्हण बाजार म जार बैठग्यो बठासूं भी बाजार का लोग उठा दिया। ब्राम्हण निराश होकर जंगल म चलेग्यो । बठ तालाब म पाणी हो बी म स्नान करयो । एक पीपल को सूखो पेड हो बीम पाणी सींचयो । झाड हरयो भरयो होयग्यो आपक घर पाछो जाबा लाग्यो तो सूरज भगवान बोल्या ब्राम्हण तू कोई वर मांग । ब्राम्हण अठिन बठिन देख्यो तो कोई दिख्यो कोनी ब्राम्हण रोज आँवतो जांवतो तो बीन आवाज आवती ब्राम्हण की मांग । ब्राम्हण दुबलो होबा लागग्यो । एक दिन ब्राम्हणी पूछी थाको शरीर पीलो पडबा लागग्यो थे दुबला होबा लागग्या कांई बात हैं ?
जणा ब्राह्मण बोल्यो घर म तु बैठवा कोनी, देव बार टाभर बैठवा देवे कोनी, कुंवा पर पणिहारियां बैठन देव कोनी ,बाजार म साहूकार कोनी बैठण देव जणा, म्है सुना जंगल म जार बैठु |पूजा पाठ करुं सूरज भगवान की कहाणी केवूं सुखो तलाब भर जाव । सूखो पीपल को पेड हरयो भरयो हो जाव । पाछो घर आवूं तो आवाज आव ब्राह्मण की मांग ? जणा ब्राह्मणी बोली बे सूरज भगवान है।
काल बोल जणा सगलो मांग लीजो। ब्राम्हण बोल्यो कांई कांई मांगू । ब्राम्हणी बोली अन्न देवो, धन देवो, लक्ष्मी देवो, सोना का भण्डार देवो, मोत्यां का थाल देवो, मोटी रोटी देवो, पालणा म. झूलतो बेटो देवो लावण्या आयी लक्ष्मी देवो, कुल आयी बहु देवो, नौखण्डी महल देवो, हाथी, घोडा देवो, पच्चीस बरस की म्हारी काया देवो । १६ बरस की म्हारी बीन्दणी देवो। इत्तो सगलो देवो । दूजे दिन ब्राम्हण सूरज भगवान सू सगलो मांग लियो। सुरज भगवान बोल्या ब्राम्हण दीखण म तो भोलो दीखे पण सगलो ही सूख मांग लियो । थार सगलो सुख हो जाई सुरज भगवान यान बोल्या ।
ब्राम्हण घर आयो तो टूटी फुटी झोपडी और ब्राह्मणी कोनी दिखी बीन बींकी लुगाई हेलो मारी देखो सोना का बंगला म कचन सी बीन्दणी ऊबी है । आपणा न सुरज भगवान टूटया है । आप मांग्यो जित्तोई भगवान दीयो हैं । जणा ब्राम्हण बोल्यो आपां इत्ता धन को कांई करा । ब्राम्हणी बोली कंवारी छोरयां को बयाव करो परण्योडी न मुकलावा देवो होम करा ब्राम्हण जीमावां ब्राम्हण सगला ब्राम्हणां न नुतो दे दियो सोना की मोरा दक्षिणा म दीवी । सगला जणा ब्राम्हण की जै बोलवा लागग्या बीं देश को राजा ब्राम्हण न बुलायो और पूछयो थाके इत्तो धन कठासूँ आयो।
जिको सगलो गाँव थाकी जै बोल ? ब्राम्हण बोल्यो या जै म्हारी कोनी सुरज भगवान की है। सबन सूरज भगवान की जै बोलणू चइजे । ब्राम्हण बोल्यो म्हने तो सगलो धन सूरज भगवान दियो हैं। जणा ब्राम्हण आप बीती सारी बात राजा न बताई। राजा बोल्यो देवता म्हारे धन तो घणोई हैं। बेटो कोनी म्हने कांई करणू चईजे ब्राम्हण बोल्यो राजा थांकी जै जैका र उठा देवों सूरज भगवान की जै बोलो । सूरज भगवान राजा न नौवां महीना बेटो दीयो सूरज भगवान राजा न और ब्राम्हण न टूटया ज्यान सबन टूटीजो
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