बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा विधि | बैकुंठ चतुर्दशी की कथा | baikunth chaturdashi ki katha | baikunth chaturdashi 2023

baikunth chaturdashi ki katha

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को यह व्रत किया जाता है । इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत् पूजा करके भोग लगाएँ। तत्पश्चात् पुष्प, धूप, दीप, चन्दन, आदि पदार्थो से आरती उतारे |

बैकुंठ चतुर्दशी की कथा | Baikunth Chaturdashi ki Katha


एक बार नारदजी बैकुण्ठ में भगवान विष्णु के पास गए । विष्णुजी ने नारदजी से आने का कारण पूछा । नारदजी बोले – हे भगवन् ! आपको पृथ्वीवासी कृपानिधान कहते हैं । किन्तु इससे तो केवल आपके प्रिय भक्त ही तर पाते हैं । साधारण नर-नारी नहीं । इसलिए कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे साधारण नर-नारी भी आपकी कृपा के पात्र बन जाएँ ।

इस पर भगवान बोले – हे नारद ! कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को जो नर-नारी व्रत का पालन करते हुए भक्तिपूर्वक मेरी पूजा करेंगे, उनको स्वर्ग प्राप्त होगा । इसके बाद भगवान विष्णु ने जय-विजय को बुलाकर आदेश दिया कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुले रखे जाएँ । भगवान ने यह भी बताया कि इस दिन जो मनुष्य किंचित मात्र भी मेरा नाम लेकर पूजा करेगा उसे बैकुण्ठधाम प्राप्त होगा ।

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