गुरुवार व्रत की कथा । बृहस्पति व्रत कथा । Guruvar Vrat Katha | शुक्रवार व्रत कथा । शुक्रवार व्रत की कथा । Shukravar Vrat Katha

गुरुवार व्रत की कथा । बृहस्पति व्रत कथा । Guruvar Vrat Katha

%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE

एक साहुकार हो बींक पास धन मोखलो हो। बींकी लुगाई एक दिन पाडोसण क गयी । पाडोसण बोली सेठाणीजी थे कदेही आवो ही कोनी बा बोली म्हाक तो घणो ही काम हैं । उठा पटक करतांई टेम मिल कोनी ।

पाडोसण बोली ई को कांई सोच करया । गुरुवार न माथो न्हाणू झाडू बुवारो करो झाडा झटका करो हजामत बणावो सात गुरुवार एक सा यान ही करो। सेठाणी पाडोसण की बताई रीत सूं काम करी। सात गुरुवार तक करताई ही सगलो रुगयो पैसो खत्म होयग्यो । हंडया सूं हंडया लडन लागगी। धणी क भी घाटा नफा लागग्या । धणी घर म देख तो की रहयो कोनी। सगलो धन चोर चोरी करर लेयग्या । एक दिन बा बैठी- बैठी दूजी पाडोसण क घर म गयी।

बा पाडोसण वृहस्पति भगवान की कहाणी केव ही बा जाकर पूछी कांई करो हो ? पाडोसण बोली बृहस्पति भगवान की पूजा करु हूं । ईका सूं काई हुव है जणा पाडोसण पाछी बोली अन्न धन होव भण्डार भरपूर होव । बा पूछो म्हे भी बरत करु पण क्याण करु बा पाडोसण बोलो गुरुवार न माथो नहीं न्हाणू् झाडू बुवारो नहीं करणू । गुड चिणा की दाल गाय न देणु। पीला वस्त्र पेरणू केला का झाड की पूजा करणू सात गुरुवार करतां ही बा बोली म्हे बूहस्पति भगवान को उजेवणो करुं ।

पण्डितां न पूछयो क्यान करु । पण्डित बोल्या सोना की बृहस्पति भगवान की मूर्ति बनाणु पीला वस्त्र, पीली चक्की बनाणू ब्राम्हण भोजन कराणो । होम कराणू ब्राम्हणां न शक्ति सारु दक्षिणा देणू ।

शुक्रवार व्रत कथा । शुक्रवार व्रत की कथा । Shukravar Vrat Katha


%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE

एक डोकरी ही रोज शुक्र भगवान की पूजा करती ही एक बार बा तीरथां जावण लागी। बहु न बोली म्हे तीरथां जाऊं तू म्हारा भगवान की पूजा करीजे । भोग लगाइजे । सासू यान बोलर तीरथां चली गई |बहू घर को सगलो काम करती पण भगवान की पूजा कोनी करती भगवान बैठया बेठया हंसता ।

बा बहु मजूरनी न बोली देख भगवान म्हन देखर हंस है । ए भगवान न तू थारे घर म ले जा । मजूरनी बोली म्हारा बेटा बहू न सुवाव कोनी ई वास्त म्हे घर कोनी ले जाऊं जणा बहु बोली खाडो खोदर गाड द । मजूरनी भगवान न खाढो खोदर गाड दीवी भगवान की नाराजगी सूं बेपार म घाटा नफा लागग्या| घर म एक एक चीज कम होवण लागगी धणी आपकी लुगाई न पूछयो कि घर की एक एक चीज कठ जावण लागी है ?

लुगाई बोली थां की मां साथ लेगी हैं बो आपकी मां न कागद लिखर बुलायो मां आंवता ही बेटो मां न पूछयो कि मां तू सगली चीजां साथ क्यूं लेयगी । मां बोली तू जित्तो दीयो उत्तो लेगी म्हे ओर की भी कोनी लेयगी ।

मां ऊपर नजर उठार देखी तो भगवान बठ कोनी दीख्या । बा बहु न पूछी म्हारा भगवान कठ गया ? बहू बोली थांका भगवान म्हने रोज हंसता हा ई वास्त खाडो खोदर गाड दिवी। सासू जल्दी जल्दी भगवान न पाछा काडी । भगवान न न्हवाई पूजा करी, भोग लगाई, माफी मांगी | बहू और बेटा कनवुं भी माफी मंगवायी पाछा घर म आनन्द होयग्या बेपार धन्धो चोखो चालण लागग्या । भगवान बींक आनन्द करया ज्यान सबक करीजो।

इसे भी पढ़े[छुपाएँ]

आध्यात्म – पुजा | Aadhyatm – Puja

मारवाड़ी व्रत व त्यौहार की कहानिया व गीत | Marwari Fasts & Festival Stories & Songs

सात वार की कथा | सात वार की कहानी | Saat Vaar Ki Katha

सोमवार की व्रत कथा | सोमवार की कहानी कथा | Somvar Vrat Katha

मंगलवार व्रत कथा | मंगलवार व्रत की कहानी | Mangalvar Vrat Katha

बुधवार व्रत कथा | बुधवार अष्टमी की कथा | Budhwar Vrat Katha

शनिवार व्रत कथा । शनि व्रत कथा और पूजन विधि | Shanivar Vrat Katha

रविवार व्रत कथा | सूर्य देव व्रत कथा । Ravivar Vrat Katha | Surya Vrat Katha

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *