हर्नान कोर्टेस | Hernan Cortes Discovered
१२वीं और १३वी शताब्दी में एजटेक (Aztecs) नामक सभ्यता तीसरी महान सभ्यता थी | एजटेक जाति के लोग बहुत बहादुर थे | उनकी राजधानी क्वेटजलकोटल (Quetzalcoatl) उन स्थान पर स्थित था, जहा पर आज का मैक्सिको शहर बसा है । वे एक खून के प्यासे ऐसे देवता की पूजा करते थे, जिसकी प्यास अपराधियों के जीवित शरीरों की भेंट चढ़ाने से ही बुझती थी |
सन् १५१९ में एजटेक अपनी शक्ति के चरम शिखर पर थे । उसी वर्ष हर्नान कोर्टेस की देखरेख में स्पेन के लगभग ५०० सेनानियों ने मैक्सिको के टापू पर हमला किया । हर्नान कोर्टेस की यात्रा और हमले की कहानी बड़ी दिलचस्प है ।
४ मार्च, १५१९ को ११ स्पेनिश जहाजों का बेड़ा एटलांटिक के किनारे मैक्सिको में दिखायी दिया । यह जहाजी बेड़ा हर्नान कोर्टेस की देखरेख में स्पेन से मैक्सिको गया था । हर्नान कोर्टेस व उसके साथियों का मुख्य उद्देश्य मैक्सिको की खोज करना और एजटेक साम्राज्य पर विजय प्राप्त करना था । इस साम्राज्य के विषय में इससे पहले स्पेन के खोज-यात्री जुआन दी ग्रिजाल्वा (Juan de Grijalva) ने सूचना दी थी । उसके अनुसार मैक्सिको के जंगलों और पर्वतों में विशाल मंदिर और बड़े-बड़े शहरों का साम्राज्य छिपा हुआ था । हर्नान कोर्टेस ने स्पेन के हित में इस साम्राज्य को जीतने का निश्चय किया । वह अपने साथ ५०० सिपाही, कुछ घोड़े, बंदूकें और तोपें लेकर युद्ध के लिए निकल पड़ा । स्पेन से मैक्सिको तक की कठिन यात्रा करने के बाद उसने मैक्सिको पर हमला बोल दिया ।
१६ अगस्त, १५१९ को हर्नान कोर्टेस की सेनाओं ने एजटेकों की राजधानी की ओर बढ़ना आरंभ किया । उसकी सेनाएं जंगलों, दलदलों से होती हुईं आगे बढ़ने लगीं । रास्ते में कहीं उन्हें युद्ध करना पड़ा तो कहीं के निवासियों ने उनका स्वागत किया ।
नवंबर के आरंभ में वे अपने लक्ष्य पर पहुंच गये । यह मैक्सिको की झील के किनारे बसा हुआ था । सफेद भवनों और हरे बगीचों से युक्त यह एक भव्य शहर था, जो स्पेनवासियों को बहुत ही सुंदर लगा । जैसे ही हर्नान कोर्टेस आगे बढ़ा, उसकी मुलाकात एजटेक राजा मोक्तेजुमा (Moctezuma) से हुई । राजा यदि चाहता तो हजारों योद्धाओं से युक्त अपनी सेनाओं को बुलाकर युद्ध कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया । उसने स्पेनवासियों का बिना किसी शत्रुता के आदर किया क्योंकि उसे विश्वास था कि हर्नान कोर्टेस भी उनके देवता का पुजारी है । उसने हर्नान कोर्टेस व उसके दल के ठहरने के लिए खेमे लगवा दिये तथा उन्हें मैक्सिको नगर में प्रवेश करने की आज्ञा भी दे दी ।
हर्नान कोर्टेस ने अपने आप को खेमों में कैदी समझा और सोचा यह राजा की चालाकी है । उसने चालाकी से एजटेक राजा को अपने पास बुलवाया और उसे कैद करके मौत के घाट उतार दिया । इसका समाचार मिलते ही एजटेक के लोगों ने हर्नान कोर्टेस के विरुद्ध बगावत कर दी । दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया, जिसमें हजारों लोग मारे गये । हर्नान कोर्टेस ने देखा कि शहर में एक जबरदस्त हंगामा मच गया है, उसके बहुत से साथी मर चुके थे । अतः उसने वहां से भागने का निश्चय किया ।
वहां का खजाना लूट कर वह अपने लोगों के साथ भाग निकला । मार्ग में जब वे झील पार कर रहे थे तो अचानक एजटेकों ने उन पर पुनः हमला कर दिया । इस मुठभेड़ में अनेक स्पेनी सैनिक मारे गये और बहुत सारा लूट का माल झील में डूब कर लुप्त हो गया ।
लौटने के बाद हर्नान कोर्टेस ने नये सिरे से शक्ति जुटानी आरंभ की और धीरे-धीरे स्पेन के लोगों को मैक्सिको झील तक ले गया । झील के किनारे उसने तोपें लगानी शुरू कर दी । जब उसने देखा कि उसकी सेना काफी है तो उसने मई, १५२१ में हमला कर दिया । बड़ी भयंकर लड़ाई हुई । एजटेक लोगों ने हिंसक जानवरों की तरह बहादुरी से मुकाबला किया लेकिन ३-४ महीने की घेराबंदी के बाद अंततः अगस्त, १५२१ को उन्हें आत्मसमर्पण के लिए विवश होना पड़ा और इस प्रकार एजटेक साम्राज्य हर्नान कोर्टेस के कब्जे में आ गया ।
सन् १५२२ में स्पेन के राजा ने कोर्टेस को एजटेक साम्राज्य का कैप्टन जनरल बना दिया तथा इसका नया नाम उन्होंने ‘न्यू स्पेन’ रखा । कोर्टेस ने मैक्सिको की धरती पर स्पेन की ओर से सात वर्ष तक राज्य किया । सन् १५२८ में जब वह स्पेन गया तो राजा चार्ल्स पंचम ने उसका भव्य स्वागत किया ।
लौटने पर उसके विरोधियों ने उसको गिराने के लिए जाल बिछाने शुरू कर दिये । उसको दमन हेतु क्रूरता बरतनी पड़ी जो कि बढ़ती ही गयी । उसकी क्रूरता से लोग तंग आने लगे ।
स्पेन की सरकार भी उससे डरने लगी । इसीलिए उसे वहां से वापस बुला लिया गया और उसके सब अधिकार छीन लिये गये । कुछ दिनों बाद वह गंभीर रूप से बीमार हो गया और इसी बीमारी में ६२ वर्ष की उम्र में २ दिसंबर, १५४७ को उसकी मृत्यु हो गयी । उसके पार्थिव शरीर को मैक्सिको ले जाकर दफनाया गया ।
निस्संदेह हर्नान कोर्टेस एक महान व्यक्ति था लेकिन उसकी क्रूरता के कारण आज भी मैक्सिको के लोग उससे घृणा करते हैं । मैक्सिको के बच्चों को स्कूलों में उसके द्वारा लड़कियों और मजदूरों पर किये गये अत्याचारों के विषय में पढ़ाया जाता है ।
वहां उसकी कोई भी मूर्ति नहीं है । इससे सिद्ध होता है कि वहां के लोग आज भी उससे बहुत अधिक घृणा करते हैं ।