illi aur ghun ki kahani : एक बार की बात है इल्ली और घुण बातें करते हुए कहने लगे | इल्ली चलो कार्तिक माह है स्नान कर लें । लेकिन घुण की मनसा नहीं थी । वह बोली – तू ही स्नान कर ले । इल्ली ने कहा – मैं तो करुगी ।
तभी उसने देखा राजकुमारी स्नान करने जा रही है । वह राजकुमारी के कपड़ों से चिपक गई और राजकुमारी के साथ कार्तिक स्नान करने लगी । घुण नहाया नहीं । तत्पश्चात् कार्तिक का माह समाप्त हुआ जिसके साथ ही इल्ली और घुण का जीवन भी समाप्त हो गया ।
अगली योनि में उन्होंने जन्म लिया । इल्ली को एक राजा के यहाँ पुत्री के रूप में जन्म लिया और घुण को एक गधे की योनि मिली । वह भी राजा के यहाँ था । इल्ली बड़ी हुई तब राजा ने उसका विवाह धूमधाम से कर दिया और विदा करने लगा
तो वह बोली – मुझे यह गधा चाहिए । राजा ने उसे बहुत समझाया कि यह गधा क्यों और कुछ माँग लो । लेकिन बेटी की जिद्द के आगे वह गधा उसे देना पड़ा । गधे को लेकर वह ससुराल पहुँची । गधे को उसने एक जगह बाँध दिया । थोड़े ही दिन ऐसे ही चलता रहा ।
एक दिन राजकुमारी उस गधे के पास आई तो वह बोला – अरे ! ओ लड़की ! जरा पानी दो पीने को । राजकुमारी ने कहा – तुमसे मैंने कहा था चलो कार्तिक स्नान कर लो । तब तुमने मेरी एक न सुनी । इस प्रकार वह बाते करने लगे यह सब राजकुमारी को कहते हुए जेठानी ने सुनी और अपने देवर से कह दिया कि तुम्हारी बहू तो जादू जानती हैं ।
वह तो जानवरों से बातें करती है । देवर बोला – नहीं, मैं तो तब जब स्वयं सुनूँगा और देखूँगा । अगले दिन उसने सब देखा व सुना ।
वह तुरंत उसके पास पहुँचा और बोला – यह सब क्या है ? तुम क्या जादू जानती हो ? बताओ नहीं तो तुम्हारे तलवार से टुकड़े कर दूंगा ।
राजकुमारी ने कहा – मत पूछो यह सब । उसका पति अड़ गया । तब राजकुमारी ने कहा – यह गधा पिछले जन्म में घुण था और मैं इल्ली । मैंने इससे कार्तिक स्नान को कहा । यह नहीं नहाया । इसलिए इस जन्म में गधा बना । मैंने कार्तिक स्नान किया । इसलिए मैं यहाँ राजा के यहाँ जन्मी ।
उसके पति ने आश्चर्य से कहा – अच्छा तो यह बात है । तो यह बताओ कि कार्तिक स्नान से और क्या लाभ हैं ?
राजकुमारी ने कहा – इसके स्नान से मैं राजा के यहाँ जन्मी । मुझे ऐश्वर्य मिला और आप जैसा पति । सुख-सम्पत्ति सभी मिली । तब राजकुमार ने कहा – तो ठीक है । अब हम दोनों ही कार्तिक स्नान किया करेंगे । अतः कार्तिक स्नान का अपना विशेष महत्व है जो कि सभी को उनके अनुसार फल देता है ।