Paranormal People
असामान्य लोग
आपने X Man Movie तो देखे ही होगी, इस बात पर ध्यान देने वाली है की इस फिल्म मे कुछ ऐसे लोगो को दिखाया गया है जो आम आदमी की तुलना मे अलग ही शक्ति लिए हुए होते है | इनके शरीर मे कुछ ऐसी ताकते होती है जो उनको Paranormal People (असामान्य लोगो) की गिनती मे रखती है | तो आइये जानते है की आखिर क्या है Paranormal People और जानते है Paranormal People के कुछ उदाहरण :
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असामान्य लोग | Paranormal People
What is Paranormal People | असामान्य लोग क्या है
Paranormal People Example | असामान्य लोगो का उदाहरण
आयरलैंड की युवती जे० स्मिथ का उदाहरण
बर्लिन (जर्मनी) के निकट मिसौरी सिडैलिया का उदाहरण
सोसाइटी ऑफ फिजीकल रिसर्च की रिपोर्ट
कोलराडो निवासी डबल्यू० पी० जोन्स और उनके सहयोगी नार्मन के शोध
शोधकर्ता जोन्स स्वयं भी एक विद्युत् मानव
जेनी मोरन मोंटाना राज्य मेडालिया कस्ब्रे( अमेरिका) का उदाहरण
कनाडा के ऑटोरियो क्षेत्र वोंडन गाँव का उदाहरण
टोकियो (जापान) की नेशनल मेडिकल रिसर्च इन्स्टीट्यूट का अनुसंधान
What is Paranormal People | असामान्य लोग क्या है
मनुष्य का शरीर एक चलता फिरता बिजली घर है, उसी के द्वारा शरीर काम करता है और मनुष्य मस्तिष्क भी संचालित होता है | मनुष्य के शरीर की सरंचना और क्रिया विधि बहुत जटिल है | इसे निरंतर संचालित होने के लिए उच्च कोटी की शक्ति का प्रयोग होता है | इसकी पर्याप्त मात्रा जन्म के समय से ही हमारे अंदर विधमान रहती है जो आवश्कता के अनुसार ही कारी करती है |
कोशिकाओ के आंतरिक सरंचना का एक महत्त्वपूर्ण आधार है – माइटोकोंड्रीया | इसे सामान्य शब्दो मे कहे तो कोशिकाओ का पावर हाउस | भोजन, रक्त, मांस, अस्थि आगे बढ़कर यह इसी जगह पर ऊर्जा का रूप लेता है | यह ऊर्जा ही कोशिकाओ को सक्रिय रखती है और इसका एकत्र होना ही महाप्राण कहलाता है |
बिजली के हीटर, कूलर, पंखे आदि चलते हैं, इससे उसकी उपयोगिता का पता चलता है किंतु कभी-कभी इस प्रक्रिया में बाधा भी होते देखा जा सकता है। ठीक उसी प्रकार कभी-कभी ऐसा देखा गया है की शरीर मे किसी भी प्रकार का परिवर्तन इस ऊर्जा का रूप ही बदल देता है, ये रहने के ढंग से, जीवन शैली से, किसी दुर्घटना से प्रभावित होता है | ऐसी घटनाएँ कई बार देखने में आई हैं, जिनसे मानवी शरीरों को एक छोटे जनरेटर या डायनमो की तरह काम करते देखा गया है।
Paranormal People Example | असामान्य लोगो का उदाहरण
कई उदाहरण ऐसे देखे गए हैं, जो यह बताते हैं कि इस शरीर में असाधारण ऊर्जा का प्रवाह संचार हो रहा है। यह स्थिति हर किसी में होती है, पर वह अपनी मर्यादा में रहती है और कुछ स्थिति मे यह अपने स्थान से उभर पड़ती है | छूने से किसी शरीर में बिजली जैसे झटके प्रतीत होते हों, तो भी यह नहीं समझना चाहिए कि उस शक्ति के सही मार्ग व कारी मे किसी प्रकार अभाव है। हर किंसी में पाई जाने वाली मानवी विद्युतु, जिसे अध्यात्म की भाषा में प्राण कहते हैं, कभी-कभी किसी शरीर के प्रतिबंध भेदकर बाहर निकल आती है, तब उसका स्पर्श भी भौतिक बिजली जैसा ही बन जाता है।
आयरलैंड की एक युवती जे० स्मिथ के शरीर में इतनी बिजली थी कि उसे छूते ही झटका लगता था। डॉ० एस० क्राफ्ट के द्वारा इस पर काफी खोज की गई, यह पाया गया की उसमें कोई छल नहीं था । हर दृष्टि से यह परख लिया गया कि वह शरीरगत बिजली ही है, पर इस उपलब्धि का आधार क्या है ? इसका कारण नहीं समझा जा सका।
बर्लिन (जर्मनी) के निकट एक छोटे-से गाँव मिसौरी सिडैलिया में एक लड़की जब १४ वर्ष की हुई, तो उसके शरीर में अचानक विद्युत्-प्रवाह का संचार आरंभ हो गया। इस लड़की का नाम था–जेनी मार्गन। उसके शरीर की स्थिति एक शक्तिशाली बैटरी जैसी हो गई। एक दिन वह हेंडपंप चलाकर पानी निकालने लगी तो उसके स्पर्श के स्थान पर आग की चिनगारियाँ छूटने लगीं। लड़की डर गई और घर वालों का सारा विवरण सुनाया। पहले तो समझा गया कि पंप में कहीं से करेंट आ गया होगा, पर जब जाँच की गई तो पता चला कि लड़की का शरीर ही बिजली से भरा हुआ है। वह जिसे छूती उसी को झटका लगता। वह एक प्रकार से अस्पर्श्य करने वाली लड़की बन गई। चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने इस जंजाल से उसे छुड़ाने के लिए अपने-अपने ढंग से कारण तलाश करने और उपचार ढूँढ़ने में शक्ति भर प्रयत्न किया पर कुछ सफलता न मिली। कई वर्ष यह स्थिति रहने के बाद वह प्रवाह स्वयं ही घटना शुरू हुआ और युवा होने तक वह स्थिति अपने आप टल गई। तब उसकी जान में जान आई और सामान्य जीवन बिता सकने योग्य बनी।
सोसाइटी ऑफ फिजीकल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार केवल अमेरिका में ही २० से अधिक बिजली के आदमी पाए गए हैं। ऐसा माना जाता है की तलाश करने पर वे संसार के अन्य देशों में भी मिल सकते हैं।
कोलराडो निवासी डबल्यू० पी० जोन्स और उनके सहयोगी नार्मन लोग ने इस विषय में लंबी शोधें की हैं और इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि इसमें कोई बड़े आश्चर्य की बात नहीं है। सामान्य-सा शारीरिक व्यतिक्रम है। शरीर की कोशिकाओ के नाभिकों की बिजली-आवरण ढीले पड़ने पर लीक करने लगती है। तब शरीर की बाहरी परतों पर उसका प्रवाह दौड़ने लगता है। नाभिकों में अनंत विद्युत् शक्ति का भंडार तो पहले से ही विद्यमान है। इन शोधकर्ताओं का कथन है कि स्थान और उपयोग मे अंतर के कारण इस थिति का जन्म होता है |
शोधकर्ता जोन्स स्वयं भी एक विद्युत् मानव थे। उन्होंने नंगे पैरों धरती पर चलकर भू-गर्भ की अनेको धातु खदानों का पता लगाने से भारी ख्याति प्राप्त की थी। उनके स्पर्श से धातुओं से बनी वस्तुएँ, जादूगरों के खिलौनों की तरह उछलने-खिसकने और विचित्र हलचलें करने लगती थी। छूते ही बच्चे झटका खाकर चिल्लाने लगते थे।
अमेरिका के मोंटाना राज्य के मेडालिया कस्ब्रे की जेनी मोरन नामक लड़की एक चलती-फिरती बैटरी थी। जो उसे छूता वही झटका खाता। अँधेरे में उसका शरीर चमकता था। अपने प्रकाश से वह घोर अँधेरे में भी मजे के साथ यात्रा कर लेती थी। उसके साथ चलने वाले किसी जीवित लालटेन के साथ चलने का अनुभव करते थे। उसके शरीर के स्पर्श से १०० वाट तक का बल्ब जल उठता था। यह लड़की ३० वर्ष गुजारने तक जीवित रही और अस्पर्श्य बनी एकांत कोठरी में दिन गुजारती रही।
कनाडा के ऑटोरियो क्षेत्र वोंडन गाँव में जन्मी एक लड़की १७ वर्ष तक जीवित रही। धातु का सामान उसके शरीर से चिपक जाता था। इसलिए उसके भोजन पात्र तक लकड़ी या काँच के रखे जाते थे।
टोकियो (जापान) की नेशनल मेडिकल रिसर्च इन्स्टीट्यूट ने इस तरह की घटनाओं पर व्यापक अनुसंधान किया और कुछ महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले हैं। इस संस्था के वैज्ञानिकों का कथन है कि आमतौर पर एक बल्ब २५ वोल्ट से ६० वोल्ट का विद्युत बल्ब जलाने जितनी विद्युत् की मात्रा प्रत्येक शरीर में पाई जाती है। रेडियो के एंटीना वाले भाग को हाथ की उँगलियों का स्पर्श देकर बजाएँ तो ध्वनि की तीव्रता बढ़ जाती है, उँगलियाँ हटाने पर आवाज कुछ कम हो जाती है, यह इसी बात का प्रमाण है। विद्युत चिनगारियों के मामले आए हैं, उनमें भी विद्युत् आवेश अधिकांश उँगलियों में तीव्र पाया गया है, पर असीमित-शक्ति का कोई कारण खोजा नहीं जा सका।
भारतवर्ष की तरह जापान भी धार्मिक आस्थाओं, योग साधनाओं का केंद्र है। सामान्य भारतीय की तरह उनमें भी आध्यात्मिक अभिरुचि स्वाभाविक है। एक घटना के माध्यम से जापानी वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकालने का भी प्रयास किया है कि शरीर में विद्युत् की उपस्थिति का कारण तो पता नहीं किंतु जिनमें भी यह असामान्य स्थिति पाई गई, उनके मनोविश्लेषण से पता चलता है कि ऐसे व्यक्ति या तो जन्म-जात आध्यात्मिक प्रकृति के थे या कालांतर में उनमें विलक्षण क्षमताओं का भी विकास हो जाता है। इस विषय में जेनेवा की एक युवती जेनेट डरनी का उदाहरण विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है।
जेनेट १६४८ में जब वह १६-१७ वर्षीय युवती थी तब किसी रोग से पीड़ित हुई। उनका वजन बहुत अधिक गिर गया। अब तक उनके शरीर में असाधारण विद्युत् भार था वह काफी मंद पड गया था, किसी धातु की वस्तु का स्पर्श करने पर अब भी उनकी उगलियों से चिनगारियाँ फूट पड़ती थीं। अब वह अनायास ही ध्यानस्थ हो जाने लगीं। ध्यान की इस अवस्था में उन्हें विलक्षण अनुभूतियाँ होती। वह ऐसी घटनाओं का पहले ही उल्लेख कर देती, जो बाद मे सचमुच घटित होतीं। व्यक्तियों के बारे में वह जो कुछ बता देतीं वह लगभग वैसा ही सत्य हो जाता। वे सैकड़ों मील दूर की वस्तुओं का विवरण सत्य रूप में इस तरह वर्णन कर सकती थीं, मानो वह वस्तु प्रत्यक्ष ही उनके सामने है। पता लगाने पर उस स्थान या वस्तु की बताई हुई सारी बातें सत्य सिद्ध होती। काफी समय तक वैज्ञानिकों ने जेनेट की इन क्षमताओं पर अनुसंधान किए और उन्हें सत्य पाया, किंतु वे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं कर सके कि इस अचानक उठने वाली शक्ति या विद्युत् का कारण क्या है ?
रासायनिक विश्लेषण से भले ही यह बात सिद्ध न हो पर जो वस्तु अस्तित्व में है, वह किसी न किसी रूप में कभी न कभी व्यक्त होती रहती है। लंदन के सुप्रसिद्ध स्नायु रोग विशेषज्ञ डॉ० जॉन ऐश क्राफ्ट को जब यह बताया गया कि उनके नगर में ही एक ११ वर्षीय किशोरी कन्या जेनी मार्गन के शरीर में असाधारण विद्युत् शक्ति है और कोई व्यक्ति उसका स्पर्श नहीं कर सकता, तो उनको एकाएक विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि हाड-माँस के शरीर में अग्नि जैसा कोई तत्व और विद्युत जैसी क्षमतावान शक्ति भी उपलब्ध हो सकती है। उसके परीक्षण का निश्चय कर के जेनी मार्गन को देखने उसके घर पर जा पहुँचे। बडे आत्मविश्वास के साथ जेनी से हाथ मिलाने के लिए उन्होंने अपना हाथ आगे बढाया। जेनी बचना चाहती थी, किंतु डॉक्टर ने स्वयं आगे बढ़कर उसके हाथ का स्पर्श किया। उसके बाद जो घटना घटी वह डॉ० ऐश के लिए बिलकुल अनहोनी और विलक्षण थी। एक झटके के साथ वे दूर फर्श-पर जा गिरे, काफी देर बाद जब होश आया तो उन्होंने अपने आपको एक अन्य डॉक्टर द्वारा उपचार करते हुए पाया। उन्होंने स्वीकार किया कि इस लड़की के शरीर में हजारों वोल्ट विद्युत् प्रभार से कम शक्ति नहीं है। सामान्य विद्युत् धारा से साधारण झटका लग सकता है, कितु १५० पौंड के आदमी को दूर पटक दे इतनी असामान्य शक्ति इतने से कम विद्युत् भार में नहीं हो सकती।
वास्तव में बात थी भी ऐसी ही। जेनी मार्गन जिस किसी व्यक्ति के संपर्क में आई | उन सबने यही अनुभव दोहराया। एक दिन जेनी अपने दरवाजे पर खड़ी थी। उधर से एक ताले बेचने वाला निकला | वह जेनी से ताला खरीदने का आग्रह करने लगा। जेनी के मना करते-करते, उसने सस्ते ताले का प्रलोभन देकर ताला उसके हाथ में रख दिया। उसी के साथ उसके हाथ का जेनी के हाथ से स्पर्श हो गया, फिर तो जो हालत बनी उसे देखने के लिए भीड़ इकट्ठी हो गई। झटका खाकर ताले वाला पीछे जा गिरा। बड़ी देर में उसे होश आया तो वह अपना सामान समेटकर भागते ही बना। इस तरह की ढेरों घटनाएँ घट चुकने के बाद ही डॉ० ऐश ने जेनी के अध्ययन का निश्चय किया था, किंतु शरीर में उच्च विद्युत् वोल्टेज होने के कारण का वे भी कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सके।
बुरी हालत तो बीती एक युवक पर, जो जेनी को प्यार की दृष्टि से देखता था। जेनी जों अब तक अपने इस असामान्य व्यक्तित्व से ऊब चुकी थी। किसी भावनात्मक संरक्षण की तलाश में थी। इस युवक को पाकर गद्गद हो उठी, किंतु भयवश स्नेह सूत्र भावनाओं तक ही जुड़े थे। शरीर स्पर्श से दोनों ही कतराते आ रहे थे। एक दिन युवक ने जेनी को एक ओपेरा में काफी की दावत दी। काफी पीकर जेनी जैसे ही उठी, फर्श पर पैर फिसल जाने से वह गिर पडी। युवक उसे बचाने दौडा, किंतु वह जेनी को बचा ही नहीं पाया था कि स्वयं: भी ठोकर खाकर एक मेज पर जा गिरा, इससे वहाँ न केवल हड़कंप मच गई, और उस पर एक साथ कई गर्म प्याले लुढक गये, जिससे वह जल भी गया।
काफी उपचार के बाद बेचारा घर तक जाने योग्य हो पाया। ओपेरा में उपस्थित सैकड़ों लोगों के लिए वह विलक्षण दृश्य था, जिससे जेनी की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई, पर उस युवक ने फिर कभी मुड़कर भी उसे नहीं देखा। देखा वैज्ञानिकों ने, पर हुई उनकी भी दुर्गति। इस विद्युत् भार का कोई कारण किसी की समझ में नहीं आया। सन् १६५० तक जेनी जीवित बिजली घर रही। उसके बाद अपने आप ही उसकी यह क्षमता विलुप्त हो गई।
यह उदाहरण इस बात का प्रतीक है कि मनुष्य शरीर एक प्राण विद्युत् का खजाना है। हम सामान्य आहार, साधारण श्वास और निर्बल इच्छा शक्ति के कारण न तो उस शक्ति को जगा पाते हैं न कोई विशिष्ट उपयोग ही कर पाते हैं, पर यह विद्युत् ही है, जिसे विभिन्न योग-साधनाओं द्वारा जागृत और नियंत्रित करके योगीजन और महापुरूष अपने लोक और परलोक दोनों को समर्थ बनाते थे। वह कार्य करने में सफल होते थे, जो साधारण व्यक्तियों को कोई प्रताप और चमत्कार जैसा लगता है।
इस तरह अनायास ही जाग पडने वाली शरीर विद्युत् की तरह कई शरीरों में प्राण शक्ति अग्नि के रूप में प्रकट होने की भी घटनाएँ घटती हैं। वास्तव में सभी भौतिक शक्तियाँ परस्पर परिवर्तनीय हैं, अतएव दोनों तरह की घटनाएँ एक ही परिप्रेक्ष्य में आती हैं।