एक कविता ऐसी भी | Poem
रचयिता – श्री योगेश शर्मा “योगी”
हरामी के पिल्लों ने,जीना हराम कर दिया।दगाबाज दल्लो ने, हमें बदनाम कर दिया।।
हमने कमीनों को महान कहने,कहां कमी की।
खुद के ज़मीर को, खुद हमने नीलाम कर दिया।।
वंदे मातरम रटते रहे, हम भी रट्टू तोते की तरह।
उसने विश्वास के परिंदो का कत्ले आम कर दिया।।
अहिंसा की घुट्टी पीकर, पल रहे अब हम सभी।
शहीदों के सर, गधों ने गद्दारी का धर दिया।।
मरने के डर से ना जाने कितनी बार मर चुके हैं हम ।
राम नाम सत्य कहने वालों का, राम-राम कर दिया।।