सर्प स्तंभन मंत्र | सेना स्तंभन मंत्र | शस्त्र स्तंभन मंत्र | क्षुधा स्तम्भन मंत्र | निद्रा स्तंभन मंत्र | Sarp Stambhan Mantra

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सर्प स्तंभन मंत्र | सेना स्तंभन मंत्र | शस्त्र स्तंभन मंत्र | क्षुधा स्तम्भन मंत्र | निद्रा स्तंभन मंत्र | Sarp Stambhan Mantra

सर्प स्तंभन मंत्र


सर्पाप सरं भद्रं ते दूरं गच्छ महाविष ।
जनमेजय यज्ञान्ते आस्तिक्य- वचनं स्मर ।।
आस्तिक्य वचनं स्मृत्वा यः सर्पो न निवर्तते ।
सप्तधा भिद्यते मूर्ध्नि शिश वृक्ष फलं यथा ।।

उपरोक्त मन्त्र को प्रथम किसी एकान्त स्थान में दस हजार बार जप करके सिद्ध कर लेना चाहिये और जब प्रयोग की आवश्यकता हो तो केवल २१ बार मन्त्र पढ़कर फूँक मार देने से अद्भुत सर्प स्तम्भन होता है ।

ॐ नमो तक्षक कुलायै सर्प स्तम्भने कुरु कुरु स्वाहा ।

उपरोक्त मन्त्र को दीपावली की रात्रि को किसी निर्जन स्थान में २१ हजार बार जाप कर सिद्धि कर लेवें और जब प्रयोग की आवश्यकता हो तो मिट्टी के सात ढेले २१ बार मंत्र से अभिमन्त्रित कर सर्प की दिशा में फेंक देने से सर्प का स्तम्भन होता है ।

सेना स्तंभन मंत्र


ॐ नमः चण्डिकायै अरिसैन्य स्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा ।

इस उपरोक्त मन्त्र को क्वार या चैत्र की नवदुर्गा में रात्रि समय देवी के मन्दिर में ५१ हजार बार जाप कर सिद्धि कर लेवें और जब शत्रु सेना के आक्रमण का भय हो तो सात जोड़ा लौंग २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर शत्रु दल के सामने डाल देने से आक्रमण के लिये आती हुई शत्रु सेना तत्काल स्तम्भित हो जाती है ।

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विशेष – मन्त्र की समाप्ति पर देवी का पूजन कर बलि प्रदान करने से ही सफलता प्राप्त होती है, ऐसा प्राचीन तन्त्राचार्यों का मत है ।

शस्त्र स्तंभन मंत्र


ओम् नमो भैरवे नमः । मम शत्रु शस्त्र – स्तम्भने कुरु कुरु स्वाहा ।

उपरोक्त मन्त्र को सर्वार्थ सिद्धि योग में रात्रि के समय श्मशान में जा निर्वस्त्र होकर २१ हजार बार जप करके अन्त में मांस-मदिरा से भैरव की पूजा करके बलि प्रदान करे, तत्पश्चात् जब प्रयोग की आवश्यकता हो तब खरमंजरी के बीज हाथ में ले २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर शत्रु के सन्मुख फेंक देने से शत्रु का वार करने के लिये उठा हुआ हाथ भी तत्काल रुक जाता है ।

ओम् नमो भगवते महावल पराक्रमाय शत्रूणां शस्त्र स्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा ।

इस उपरोक्त मन्त्र को किसी एकान्त स्थल में एक लाख बार जप कर सिद्धि कर लेनी चाहिये, तत्पश्चात् आवश्यकता के समय निम्न प्रकार से प्रयोग में लावे –

(१) चमेली की जड़ को पुष्य नक्षत्र में उखाड़ लावे और २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर मुख में रखने से शत्रु का शस्त्र स्तम्भन होता है ।

(२) रविवासरी या पुष्य नक्षत्र में विष्णुक्रान्ता नामक बूटी को जड़ से उखाड़ लावे और २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर मुख में रखे तो शस्त्र स्तम्भन होता है ।

(३) जिस रविवार को पुष्य नक्षत्र हो, अपामार्ग की जड़ लाकर जल के साथ पीस २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर शरीर पर लेप करने से शरीर में शस्त्र का प्रभाव नहीं होता ।

(४) किसी भी शुभ दिन में खजूर की जड़ को लाकर हाथों तथा पाँवों में बाँधने से भी शस्त्र स्तम्भन होता है।

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क्षुधा स्तम्भन मंत्र


ओम् नमो सिद्धि रूपं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा ।

सूर्य अथवा चन्द्रग्रहण के अवसर पर किसी सरिता जल के मध्य में खड़े होकर दस हजार बार जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है और जब प्रयोग करना हो तो ओंगा के बीज लाकर २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर खीर बनाकर खाने से क्षुधा स्तम्भन होता है ।

ओम् गा जुहदख्यां उन्मुख मुख माँसर धिल ताली अहुम ।

इस मन्त्र को जिस रविवार को हस्त नक्षत्र होवे, किसी भी देवमन्दिर में एकाग्रतापूर्वक दस हजार बार जाप करके सिद्धि कर लें, फिर आवश्यकता होने पर निम्न प्रकार से प्रयोग करें –

(१) रविवार के दिन चर्चिका के बीज इक्कीस बार मन्त्र पढ़कर खाने से भूख रुक जाती है ।

(२) तुलसी, क्षत्री, पद्म तथा अपामार्ग के बीज समभाग लेकर जल के साथ पीस कर गोली बनावे और आवश्यकता के समय एक गोली २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर खावे और ऊपर से दुग्ध पान करे तो भूख नहीं लगती है ।

(३) रविवार के दिन गाय के दूध में लटजीरा के चावलों की खीर बना कर अपामार्ग की धूनी देकर गुड़ व चना मिलाकर मिट्टी की हँड़िया में रख उसका मुख मिट्टी से अच्छी तरह बन्द कर प्रवाहित जल के नीचे गड्ढा खोद कर गाड़ दे तो जितने दिन का निश्चय मन में करे उतने दिन भूख नहीं लगेगी ।

निद्रा स्तंभन मंत्र


अलक बाँधू पलक बाँधू, सारा खलक बाँधू गुरु
गोरख की दुहाई मेरी निद्रा दे भगाई छू छू छू ।।

इस मन्त्र को सूर्यग्रहण के समय किसी सरिता के तट पर नग्न होकर दस हजार बार जाप करके सिद्धि कर लेवें फिर जब प्रयोग करना हो निम्न प्रकार का प्रयोग करें –

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(१) हरियल पक्षी की बीट, दोमनि घोड़े की लीद में पीस कर आँखों में अंजन की भाँति लगाने से निद्रा स्तम्भन होता है।

(२) नमक, मिर्च तथा सोंठ का चूर्ण बना सुरमे की भाँति लगाने से निद्रा नहीं आती है ।

(३) ककरी एवं महुए की जड़ को जल के साथ पीस कर सूँघने से अद्भुत निद्रा स्तम्भन होता है ।

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