चमचाकार अथवा चपटा हाथ | Type of Hand – 3

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चमचाकार अथवा चपटा हाथ 


इस प्रकार के हाथ को चमचाकार इसलिए कहा जाता क्योकी कलाई के पास या उंगलियों की जड़ों के पास असामान्य रूप से
चौड़ी होती है। जब हथेली की बनावट कलाई के पास अधिक चौड़ी होती है तो वह
उंगलियों की ओर बढ़ते हुए कुछ नुकीली हो जाती
है
, लेकिन जब इसके विपरीत हथेली की अधिकतम चौड़ाई उंगलियों की जड़
के पास होती है
तो नुकीलापन कलाई
को तरफ
होती है ।

चपटे हाथ के महत्त्व पर ध्यान दे तो पहली बात यह कि चपटा हाथ यदि दृढ़ और कठोर है तो एक
उत्तेजित
और अधीर
मनःस्थिति का
निर्देशन करता है । साथ ही
लक्ष्य के प्रति
ऊर्जस्विता और
उत्साह का भा
भी इससे होता है
। लेकिन हाथ जब
कोमल और गद्देदार
होता है
, जैसा कि प्रायः
देखने को मिलता है तो इससे
अधीर और
चिड़चिड़े मिजाज का बोध होता है। ऐसा व्यक्ति टुकड़ों और
आवेगों में काम करता है, किसी काम में देर
तक लगा नहीं रह सकता ।
इसी तरह चपटे हाथ
का एक विशेष और प्रधान लक्षण इसका
क्रिया, ऊर्जा और
स्वाधीनता के प्रति गहरा लगाव है। ऐसा हाथ महान नाविकों

खोजकर्ताओं, आविष्कारकों और महान इंजीनियरों या मैकेनिकों
का
होता है, किन्तु इसका यह
अर्थ नहीं कि ऐसे ही लोगों मे यह हाथ मिलेगा
, बल्कि हर तरह और हर क्षेत्र के लोगों में चपटा
हाथ मिल
सकता है नियम यह कहता है कि इस कोटि का हाथ काफी बड़ा
है
|

ऐसे व्यक्ति में पूर्ण स्वाधीनता
का भावना बलवती होती है और यह विशेषता ऐसे हाथ वालों का विशेष लक्षण है। नि:संदेह
यही एक भावना ऐसी है जो उन्हें खोजकर्ता और आविष्कारक
नाती है तथा उन्हें इंजीनियरिण थवा मशीनीविज्ञान के सुपरिचित नियमों की लीक से
हटाकर अज्ञात सत्यों की खोज में लगाती है और वे अपने आविष्कारों के कारण
सुप्रसिद्ध हो जाते हैं। ऐसे चमचाकार हाथ वाले लोग जीवन की किसी भी स्थिति या
स्थान पर हो
, इससे कुछ अन्तर नही
पड़ता
क्योकी वे किसी न किसी रूप
में अपने-आप सामने उभर कर आते अवश्य है और अपनी निजी स्वतंत्र सत्ता के अधिकार का
सि
क्का जमाते हैं । ऐसे हाथ वाला कोई गायक, अभिनेत्री, डाक्टर था उपदेशक
सभी स्थापित नियमों को तोड दिखाता है
| किसी सनक के
प्रभाव में
या उसकी खातिर नहीं, बल्कि इसलिए कि
उसके पास एक मौलिक दृष्टि
होती है | हमारे समाज के सभी महान इंजीनियर और आविष्कारक
ही नही
, ऐसे सब लोग भी
ऐसे हाथ
वाले ही होते हैं | वे प्रायः जिस तरह से अपना काम करते हैं, उसमें गलत कहे
जाते हैं
, लेकिन सच बात यही
है कि वे किसी नये विचार अथवा जीवनधारा के ऐसे अगुवा होते हैं जो दूसरे मनुष्यों
के लिए वर्षों बाद जीवनदायक सिद्ध होते हैं ।

इन दोनों में से वह हाथ अधिक व्यावहारिक है जो उंगलियों की जड के
पास अधिक चौड़ा होता है । यदि ऐसा
व्यक्ति
कोई आविष्कारक है तो वह अपनी प्रतिभा का उपयोग गाड़ी के इंजन, जलपोत, रेलवे आदि तथा
जीवन की अन्य अधिक उपयोगी वस्तुएं बनाने में करेगा
, और कारण सिर्फ यह
कि वह वर्गाकार कोटि के अधिक निकट है ।

किन्तु यदि हाथ कलाई के पास अधिक चौड़ाई का कोण बनाता है तो
उसका क्षेत्र मस्तिष्क और विचारों के जगत् में गतिशीलता का होगा । यदि उसमें
आविष्कारक प्रतिभा है तो वह वायुयानों का आविष्कार करेगा
, यदि वह नस्पति वैज्ञानिक है तो नये-नये फुलों की खोज
करेगा
, यदि धर्म जगत का व्यक्ति हैं तो किसी नये उपदेश का
दूत बनकर आयेगा । 

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