मुंड कटिया गणेश मंदिर | Mund Katiya Ganesh Temple

मुंड कटिया गणेश मंदिर

मुंड कटिया गणेश मंदिर

Mund Katiya Ganesh Temple

विश्व का इकलौता मंदिर, जहां बिना सिर के विराजते है गणेश भगवान

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हिन्दू संस्कृति और पूजा में भगवान गणेश जी को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले भगवान गणेश की पूजा को अनिवार्य बताया गया है। माना जाता हैं कि सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा करने से सारे कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं और प्रसन्न होकर वे भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

वैसे तो प्रथम पूज्य श्री गणेश के पूरे देश में अनेक मंदिर मौजूद है, पर आज हम आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बता रहे है जो दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां बिना सिर के भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।

यह बात सुनने में तो अविश्वस्नीय लगती हैं लेकिन यह सच है। यह अनोखा मंदिर उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल के चमोली जिले में स्थित सोनप्रयाग से लगभग ३ किमी.दूरी पर केदार घाटी की गोद में स्थित “मुंडकटिया मंदिर” हैं। इस स्थान को “देवभूमि” के नाम से भी जाना जाता हैं।

कहा जाता हैं कि यह वही स्थान है जहां भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश जी का सिर काट दिया था और यही पर भगवान शिव द्वारा एक हाथी का सिर भगवान गणेश जी के धड़ पर लगाया गया था।

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मुंडकटिया मंदिर का नाम कैसे पड़ा


मुंडकटिया नाम दो शब्दों से मिलकर बना है- मुंड(सिर) और कटिया(विच्छेदित) । तभी से इस मंदिर का नाम मुंडकटिया मंदिर पड़ा ।

शिव पुराण के अनुसार, पार्वती देवी स्नान करने गई थी । उस समय उन्होंने हल्दी के लेप से एक मानव रूप की संरचना की और उस शरीर में प्राण फूंक दिए । फिर पार्वती देवी ने उन्हें अपने पुत्र के रूप में स्वीकार कर लिया और अपने कक्ष में किसी को न आने की आज्ञा दी।

तब भगवान गणेश जी द्वार पर पहरा देने लगे और कुछ समय बाद भगवान शंकर वहां पहुंचे और उन्होंने कक्ष के भीतर प्रवेश करने के लिए गणेश जी को हटने को कहां, परन्तु जब उन्होंने हटने से मना कर दिया | तो भगवान शिव क्रोधित हो उठे और क्रोध के आवेश में उन्होंने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में माता पार्वती के आग्रह करने पर भगवान शंकर ने गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर लगा कर उन्हें जीवन प्रदान किया ।

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