Pathwari Ki Kahani | Pathwari Mata Ki Katha in Hindi | पथवारी माता की कहानी | पीपल पथवारी की कहानी
एक बुढ़िया थी । उसने अपनी बहू से कहा – तू दूध-दही बेचकर आ । वह बेचने गई तो उसने रास्ते में देखा औरतें पीपल पथवारी सींच रही थीं । उनको सींचता देखकर बहू ने पूछा कि – तुम यह क्या कर रही हो ?
औरतें बोली कि हम पीपल पथवारी सींच रही हैं । इससे अन्न-धन होता है । बारह वर्ष का बिछुड़ा हुआ पति मिल जाता है । बहू बोली – ऐसी बात है तो तुम तो पानी से सींचती हो मैं दूध से सींचूँगी ।
गूजरी रोजाना दूध-दही बेचने नहीं जाती, वह रोजाना दूध तो पीपल में दही पथवारी में सींचती। सास दूध-दही का दाम माँगती तो कह देती – महीना पूरा हो जाने पर दूँगी ।
कार्तिक का महीना पूरा हो गया । पूर्णिमा के दिन बहू पथवारी के पास जाकर बैठ गई । पथवारी ने पूछा कि – तू मेरे पास क्यों बैठ गई ? बहू बोली – सास दूध-दही का दाम माँगेगी । पथवारी बोली कि – मेरे पास क्या दाम रखा है ? ये पान और धतूरा है इसको ले जा । बहू ने वही ले जाकर कोठरी में रख दिया और डर के मारे कपड़ा ओढ़कर सो गई ।
सासू बोली – बहू ! पैसे ला, बहू बोली – कोठरी में रखे हैं । सासू ने कोठरी खोलकर देखा हीरे-मोती जगमगा रहे हैं । सासू बोली – बहू ! इतना धन कहाँ से लाई ?
बहू ने आकर देखा तो सच में ही धन भरा हुआ है । बहू ने सास को सारी बात बता दी । सास ने कहा – अब की कार्तिक मास में मैं भी सोचेंगी ।
कार्तिक आया । सास दूध-दही तो बेच आती और हाँडी धोकर पीपल पथवारी में डाल देती । आकर बहू से कहती – मेरे से दाम माँग । वह कहती – सासूजी ! कोई बहू भी दाम माँगे है ? पर सासू कहती कि तू माँग । बहू बोली – सासूजी ! पैसे लाओ । तो वह पीपल पथवारी के पास जाकर बैठ गई । पीपल पथवारी ने सास को पान, धतूरा, भयडींडा दे दिया । उसने ले जाकर कोठरी में रख दिया ।
बहू ने खोलकर देखा तो उसमें कीड़े-मकोड़े बिलबिला रहे हैं । बहू ने कहा – सासूजी ! यह क्या ? सासू ने आकर देखा और बोलने लगी – पीपल पथवारी तो बड़ी दोपड़ पीटी है । इसको तो धन दिया । मुझे तो कीड़ा-मकोड़ा दिया । तब सब कोई बोलने लगे कि – बहू सत् की भूखी, सींचे थी तू धन की भूखी है ।
पथवारी माता ! जैसा बहू को दिया, वैसा सब को दियो । जैसा सास को दिया वैसा ही किसी को मत दियो ।