वास्तु शास्त्र और उनके स्वामी | वास्तु दिगपाल | Vastu Digpal | Vastu God

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वास्तु शास्त्र और उनके स्वामी | वास्तु दिगपाल

Vastu Digpal | Vastu God

वास्तु शास्त्र में दिशाए बहुत ज्यादा महत्त्व रखती है और दिशाए या दिग के अपने स्वामी होते हैं, और इनका विश्लेषण हमें पुराणों में भी मिलता है | दिशाओ में उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम और उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम होते है | ये कुल 8 दिग अर्थात दिशाए होती हैं ऐसे इनके दिगपाल भी होते हैं । ठीक वैसे ही ९ और १० ऊपर व नीचे होते है |

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इस प्रकार १० दिगपाल होते है, प्राचीन मंदिरों में इनकी मूर्तियां भी रहती है जैसे उत्तर में कुबेर होते हैं जो यक्षों के राजा माने जाते है | दक्षिण में यमराज या पितरों के राजा | पूर्व में इंद्र होते हैं, जो देवताओं के राजा माने जाते है | पश्चिम में वरुण देव होते है | फिर उत्तर-पूर्व को ईशान कोण कहते है जहा शिवजी होते है यह भी माना जाता है की वहा चन्द्रमा है | यह माना जाता है की अगर उत्तर-पूर्व में चन्द्रमा है तो दक्षिण-पश्चिम में नृत्ति है, जिसे मृत्यु की सहायक भी माना जाता है | दक्षिण-पूर्व में अग्नि होता है। उत्तर-पश्चिम में वायु दिगपाल होते हैं |

यह माना जाता है की ऊपर की ओर ब्रम्हा बैठते हैं और नीचे में विष्णु रहते हैं | कुछ पुराणों में नीचे शेषनाग होते और शेषनाग के ऊपर विष्णु बैठे हैं जिसके अंदर हम सभी हैं | जो वास्तु पुरुष है वह विष्णु का एक रूप हैं। इस वास्तु पुरुष का उत्तर-पूर्व मे सिर है और दक्षिण-पश्चिम में उनके पैर जैसा माना जाता है।

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