रत्न के रंग | रत्न के रंग के अनुसार उसके प्रभाव | Ratno ke Rang Benefits  

Ratno ke Rang Benefits

Ratno ke Rang Benefits

नगों के रंग से ही नगों की चमत्कारिक शक्तियों का अंदाजा लगाया जा सकता है । वैसे रंगों का मानव-मस्तिष्क पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है । उदाहरण के तौर पर वर्तमान में जेलों की कोठरियों को गुलाबी रंग से रंगा जाता है और इन कोठरियों में आक्रामक कैदियों को रखा जाता है तो वे शांत रहने लगते हैं । प्रश्न है – क्यों ?  और उत्तर है – चूंकि गुलाबी रंग शांति प्रदान करता है, वह प्यार का रंग है । इसलिए कैदी मादक दवाओं के प्रभाव में अगर न हों तो वे ऐसे वातावरण में आक्रामक नहीं रह सकते ।

इसी प्रकार आजकल विभिन्न अस्पतालों के शल्य चिकित्सा कक्षों व अन्य कक्षों को नीले रंग से रंगा जाता है । नीला रंग वास्तव में सदियों से चमत्कार के क्षेत्र में स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है । इसी तथ्य को ध्यान में रख कर चिकित्सक ऐसा कर रहे हैं ।

आज कल अगर हम रंगों के प्रभाव के प्रति अधिक ध्यान दे रहे हैं तो उस से पुरानी  चमत्कार प्रणाली का रहस्य हमारे सामने खुलता जा रहा  है । अगर गुलाबी रंग की दीवारें क्रोधी व्यक्ति को शांत कर सकती हैं तो क्या इसी नग के रंग से प्यार को आकर्षित नहीं किया जा सकता ?  इतना ही नहीं, इस ऊपरी स्तर पर भी नगों के रंगों का नाटकीय प्रभाव होता है । जब हम किसी पर रंग का उपयोग करते हैं तो रत्न का शारीरिक प्रभाव कम पड़ता है और हम चमत्कार के साम्राज्य में प्रवेश कर जाते हैं ।

कोई भी व्यक्ति किसी के शरीर को आरोग्य प्रदान नहीं कर सकता, वैसे ऐसी पद्धतियां जरूर हैं जिनकी सहायता से वे ऐसा कर सकते हैं, मगर वास्तविकता यह है कि आरोग्य व्यक्ति के अंदर से उभरना चाहिए । प्रायः बहुत से आरोग्य प्रदान करने वाले व्यक्ति कहते हैं कि वे इस प्रक्रिया को तीव्र कर सकते हैं । संभवतः ऐसे व्यक्ति रूग्ण व्यक्ति के शरीर में उर्जा-प्रवाह के मार्ग में आई अड़चनों को दूर कर ऐसा कर सकते होंगे ।

सदियों से चमत्कार के क्षेत्र में आरोग्य प्रदान करने के लिए नगों का उपयोग होता आया है तथा इनमें से कुछ प्रभावशाली भी रहे । ऊंगली कट जाने पर आप तुरंत ब्लड स्टोन पहन लें या नेत्रों में पीड़ा होने पर माणिक । स्पष्ट रूप से मेरा कहना तो यह है कि नगों का उपयोग डाक्टरी चिकित्सा के उपरांत करें । घाव की मरहम पट्टी करने के बाद ब्लडस्टोन पहनें । इससे घाव शीघ्र भरने में सहायता मिलेगी ।

चमत्कार ज्ञान-विज्ञान के चेहरे पर कोई थप्पड़ नहीं है बल्कि जहां तक संभव हो इनका एक-दूसरे के साथ उपयोग किया जाना चाहिए । इसी तथ्य को ध्यान में रख कर अगर आप आरोग्य संबंधी जानकारी पढ़ेंगे तो नगों के चमत्कार के विषय में निश्चित ही आपकी प्रत्येक जिज्ञासा का समाधान हो जाएगा ।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि नग अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, मगर हमें उनका ज्ञान होना नितांत आवश्यक है । उनके साथ सामंजस्य और शरीर से उनका स्पर्श होने पर ही चमत्कार प्रभावी होता है । कुछ भी हो, रंगों में उर्जा होती है और रंगीन नगों में तो दुगनी । कुछ उर्जाएं इस प्रकार हैं ।

लाल रंग के नग

लाल रंग रक्त, जन्म तथा मृत्यु को होता है पर साथ ही अनेक सभ्यताओं में इसे पवित्र या देवी-देवताओं से संबंधित माना गया है । लाल रंग के नग संप्रेषक व कार्यशील होते हैं और उनका संबंध मंगल ग्रह व अग्नि से माना गया है जो कि आक्रामक उर्जाएं मानी गई हैं । लाल रंग के नग रक्षात्मक होते हैं तथा शारीरिक व मानसिक शक्ति को सुदृढ़ करते हैं । इनका उपयोग साहस बढ़ाने, शरीर को उर्जा देने तथा बेदी पर रख कर कर्म कांडों को अतिरिक्त शक्ति देने के लिए किया जाता है ।

प्राचीन काल में लाल रंग के नगों का उपयोग विष के प्रतिरोधक, विचारों को शुद्ध रखने तथा क्रोध और हिंसक भावनाओं के निषेध के लिए किया जाता था । अग्नि और आसमानी बिजली से रक्षा के लिए भी इनका उपयोग किया जाता था । आरोग्य के संदर्भ में लाल रंग के नगों का संबंध रक्त से माना जाता है । रक्त की कमी, बहते रक्त को रोकने तथा घाव को भरने में सहायता के लिए इन्हें धारण किया जाता था । ये घसीट और सूजन पर भी प्रभावी रहते हैं । चूंकि इनका संबंध रक्त से होता है इस कारण गर्भपात को रोकने में सहायता हेतु भी इन्हें धारण किया जाता था ।

लाल नगों का उपयोग क्षीण काम शक्ति को शक्ति प्रदान करने के लिए भी किया जाता है । इसके लिए दृश्यात्मक कल्पना के दौरान श्रोणि प्रदेश या लिंग पर रखा जाता है

गुलाबी रंग के नग

गुलाबी रंग के नग संग्राहक होते हैं तथा उनमें प्यार की तरंगे निहित रहती है । वे शांत, सुखकारी, दमित भावनाओं को वाले तथा शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क को राहत पहुंचाते हैं । कभी ऐसी मान्यता थी कि इन नगों पर शुक्र ग्रह का अधिपत्य रहता है (जब कि शुक्र ग्रह का रंग हरा है)। इन का उपयोग प्यार के आकर्षित करने या वर्तमान प्यार को प्रगाढ़ करने के लिए किया जाता है । पुराने संबंधों में आई दरार को भरने का भी काम ये रत्न करते हैं । इसे स्वयं से प्यार बढ़ाने के लिए भी धारण किया जा सकता है । स्वयं से प्यार का अर्थ किसी यौन व्याधि से नहीं है, बल्कि इसे धारण करने वाला स्वयं की भूल को पहचान कर उसे स्वीकार करने लगता है ताकि जीवन सही मार्ग पर चलें । मैं पहले भी कह चुक हूं कि कोई तब तक प्यार नहीं करेगा जब तक हम स्वयं को प्यार नहीं करेंगे इसके लिए हम गुलाबी नगों की उर्जा का लाभ उठा सकते हैं ।

इन नगों से शांति, प्रसन्नता, आनंद और हंसी को बढ़ावा मिलता है । ये हल्की भावनाओं को उत्तेजना देते हैं, मित्रों को आकर्षित करते हैं व निष्कपटता को बढ़ावा देते हैं । सामूहिक कर्म कांडों के लिए ये आदर्श रहते हैं ।

नारंगी रंग के नग

नारंगी रंग के रत्नों में यद्धपि लाल रंग का अंश रहता है मगर ये अपने प्रभाव में सौम्य रहते हैं । ये संप्रेषक होते हैं तथा इन्हें प्रायः सूर्य का प्रतीक माना जाता है । इन्हें सुरक्षात्मक कर्म-कांडों में इस्तेमाल किया जाता है । इसका संबंध व्यक्तिगत उर्जा से रहता है, इसी कारण इसके धारण करने पर चमत्कारिक क्रियाओं के दौरान व्यक्ति की क्षमताएं बढ़ जाती हैं । इन नगों को उन व्यक्तियों को पहनना चाहिए जो स्वयं को कम आंकते हैं । इनके धारण करने पर वे स्वयं के महत्व के प्रति सचेष्ट हो जाते हैं । नारंगी रंग के नग सौभाग्य को आकर्षित करते हैं । अतः सफलता के प्रतीक माने जाते हैं । सकारात्मक परिणामों के लिए इन्हें चमत्कार-क्रिया के दौरान पहना जाता है ।

पीला रंग के नग

पीले रंग के रत्न व खनिज पदार्थ उभारदार होते हैं तथा इन पर बुध ग्रह का स्वामित्व रहता है । ये संचार से संबंधित क्रियाओं में इस्तेमाल किए जाते हैं । यदि किसी व्यक्ति को स्वयं को सही प्रकार से व्यक्त करने में कठिनाई अनुभव होती हो तो ऐसे व्यक्तियों को ये नग धारण करने चाहिए । इसी प्रकार इन नगों से लेखकों को लेखन कार्य में सफलता मिलती है जबकि वक्ताओं को बोलने की कला में सुरक्षात्मक माने जाने वाले इन पीले रत्नों पर सूर्य के साथ-साथ वायु तत्व का भी अधिपत्य रहता है, इस कारण ये चेतन मस्तिष्क को शक्तिशाली बनाते हैं । चमत्कार के दौरान दृश्यात्मक कल्पना को बढ़ाने के लिए भी इन्हें पहना जाता है ।

यात्रा संबंधी क्रियाओं के दौरान भी इसका प्रयोग किया जाता है । इसे उठे हाथ में लेकर कल्पना की जाती है कि हम गंतव्य की ओर यात्रा कर रहे हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र का पीले नग पाचन शक्ति को सुधारते है, तंत्रिका-प्रणाली को व्यवस्थित करते हैं तथा त्वचा संबंधी रोगों को दूर करते हैं । समग्र रूप से ये यात्रा, विनिमय, उर्जा व मानसिक सजगता के रत्न माने जाते हैं ।

हरा रंग के नग

हरे रंग का संबंध प्रकृति, उपजाऊपन व जीवन से माना जाता है । प्रायः धर्म तथा चमत्कार के क्षेत्रों में इसे लाल रंग से भी जोड़ा जाता है ।

इस रंग के नग संग्राहक माने जाते हैं तथा स्वास्थ्य संबंधी चमत्कारों में उपयोग में लाए जाते हैं । इस में नगों के साथ हरी या नीली मोमबत्ती जला कर दृश्यात्मक कल्पना में रूग्ण व्यक्ति को पूर्ण निरोगी व्यक्ति के रूप में देखा जाता है । स्वास्थ्य की रक्षा के लिए भी इन्हें धारण किया जाता है तथा माना जाता है कि इन से नेत्र शक्तिशाली बनते हैं, गुर्दे नियंत्रण में रहते हैं, उदर संबंधी समस्याएं मिट जाती हैं और आधाशीशी का दर्द नहीं होता । शुक्र ग्रह के प्रभुत्व में होने के कारण बागवानी करते समय इन्हें पहना जाता है ताकि पौधों का शीघ्र विकास हो या इन्हें इसी उद्देश्य से भूमि में दबा दिया जाता है । अगर आप के घर में कुछ पौधे हो तो  शक्तिशाली बनाए गए हरे नग भूमि में दबा कर देखें । इन्हीं गुणों के कारण माना जाता था कि ये उपजाऊपन बढ़ाते हैं जिस से गर्भाधान बढ़ता है ।

पृथ्वी तत्व के साथ मिला कर इनका उपयोग धन-संपदा, समृद्धि तथा भाग्य वृद्धि संबंधी क्रियाओं में किया जाता है । धरातलीय एवं संतुलनकारी नग होने के कारण इन्हें पृथ्वी से सामंजस्य के लिए भी पहना जाता है ।

नीला रंग के नग

नीला रंग समुद्र, निद्रा तथा गोधूलि वेला का रंग माना जाता है । इस पर नेपच्यून ग्रह तथा जल-तत्व का प्रभुत्व रहता है । ये संग्राहक नग माने जाते हैं और शांति का प्रसार करते हैं । नीले रंग के नग को रखने या हल्के प्रकाश में उसे घूरने से भावनाएं शांत हो जाती हैं । यदि किसी को रात्रि में नींद नहीं आती तो उसे नीले नग को बिस्तर पर रखने से नींद आ जाएगी । इस से दुःस्वप्न भी नहीं आते ।

इन नगों का उपयोग आरोग्य प्राप्ति विशेषकर ज्वर को कम करने, अल्सर और उसके कारणों को दूर करने तथा सूजन को हटाने के लिए किया जाता है । कभी-कभी दर्द को कम करने या हटाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है ।

अगर किसी को शरीर की आंतरिक एवं बाहरी शुद्धि की आवश्यकता हो तो उन्हें इन नगों को पहनना चाहिए । ऐसा प्रायः चमत्कारिक क्रियाएं करने से पूर्व किया जाता है ।

नील-लोहित रंग के नग

नील-लोहित रंग के ये रत्न संग्राहक तथा आध्यात्मिक होते हैं और इसी कारण काफी प्राचीन समय से इनका संबंध रहस्यवाद व शुद्धिकरण से रहा है । इन पर बृहस्पति और नेपच्यून ग्रह का स्वामित्व रहता है । ध्यान तथा अवचेतन मस्तिष्क से संबंध स्थापित करने वाली क्रियाओं के लिए ये नग उत्तम रहते हैं । नीले एवं हरे रत्नों की भांति ही इस रंग के रत्न भी आरोग्यकारी तथा शांतिदायक माने जाते है तथा कभी कभी तो शरारती बच्चो को आज्ञाकारी बनाने के लिए भी उन्हें पहनाया जाता है ।

मस्तिष्क संबंधी शिकायतों जैसे कि सिरदर्द या मानसिक रुगणता और संक्षोभ तथा बालों की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है ये अवसाद को हटा कर आरामदायक निद्रा भी दिलाते हैं । इन नगों का संबंध आयोजित धर्म से रहता है तथा उच्च-शक्तियों से संपर्क हेतु इन्हें पहना जाता है ।  

श्वेत रंग के नग

चंद्रमा के अधीन वाले श्वेत नग संग्राहक होते हैं और इसी कारण निद्रा व आत्मा सबंधी कार्यों से घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं । प्राचीन काल में जिन माताओं में शिशु के लिए दूध की कमी पाई जाती थी, वे श्वेत नग पहना करती थीं ताकि उचित मात्रा में दूध बन सके । समकालीन अमरीका में इन्हें सौभाग्य का प्रतीक मान कर पहना जाता है या साथ रखा जाता है ।

चंद्रमा चूंकि रात्रि में उदित होता है इस कारण रात्रि में खतरनाक स्थानों पर अपनी सुरक्षा के लिए भी इन्हें धारण किया जाता है । कभी-कभी तो प्रत्येक क्षण सुरक्षा के विचार से श्वेत के साथ लाल रंग के नग भी पहने जाते हैं ।

अगर आप सिरदर्द से मुक्ति चाहते हैं तो श्वेत रत्न धारण कीजिए कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि चूंकि श्वेत रंग सभी रंगो का समनिव्त रूप है इस कारण श्वेत रंग के रत्नो को चमत्कारी रूप, से आवेशित कर किसी नग के स्थापन्न रूप से पहना जा सकता है । दृश्यात्मक कल्पना की सहायता से ऐसा किया जा सकता है ।

काला रंग के नग

काले रंग के रत्नों पर शनि ग्रह का प्रभुत्व माना जाता है तथा ये पृथ्वी और स्थिरता के द्योतक माने जाते हैं । ये संग्राहक होते हैं तथा आत्म-नियंत्रण और लचीलेपन के प्रतीक़ माने जाते हैं । अनेक बार इन्हें सुरक्षात्मक माना जाता है, मगर कितनी ही बार किसी व्यक्ति को मारने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है । अगर आप सरलता तथा आध्यात्मिकता में इतने तल्लीन रहते हैं कि आपका शारीरिक जीवन कष्ट में रहता है तो आपको काले नग पहनने चाहिए ।

रहस्यात्मक रूप से काला रंग बाहरी अंतरिक्ष तथा अंधेरे का प्रतीक है । यदि आप अदृश्य होने संबंधी कोई चमत्कार करना चाहते हैं या यह चाहते हैं कि आपकी क्रियाओं को देख न पाएं तो इसके लिए काले नग का उपयोग करें । उदाहरण के लिए काली मिट्टी से स्वयं की एक मूर्ति बनाएं तथा उसे काले नगों से सजा दें । फिर इसे एक काली पेटी या काले कांच से बनी पेटी में रख कर अंधेरे कोने में रख दें । अगर आप को किसी से खतरा है तो यह आप को छिपा लेगा ।

बहुरंगी रंग के नग

अनेक रंगों वाले ये नग जैसे ब्लड स्टोन (हरा व लाल), टूरमेलीन (अनेक रंग) पोलकी (सभी रंग) आदि एक ही रंग वाले रत्नों की तुलना में चमत्कारिक गुणों की दृष्टि से अत्यधिक जटिल होते हैं । इनमें से अधिकांश के प्रत्येक रंग को ध्यान पूर्वक देखें तथा फिर उनकी उर्जाओं को मिला कर उनके उपयोग का निर्धारण करें ।

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